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मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव: पार्टियों के लिए आखिरी समय का चुनाव प्रबंधन निर्णायक होगा 

मध्य प्रदेश का चुनावी गणित इस बार बिगड़ा हुआ है। बदलाव की कोशिश कर रही कांग्रेस विश्वास की कमी से जूझ रही है तो भाजपा में संशय की स्थिति है। यही स्थिति यहां के मतदाता की है जो बदलाव की बात तो करता है,...

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव: पार्टियों के लिए आखिरी समय का चुनाव प्रबंधन निर्णायक होगा 
कटनी | रामनारायण श्रीवास्तवSun, 25 Nov 2018 07:13 AM
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मध्य प्रदेश का चुनावी गणित इस बार बिगड़ा हुआ है। बदलाव की कोशिश कर रही कांग्रेस विश्वास की कमी से जूझ रही है तो भाजपा में संशय की स्थिति है। यही स्थिति यहां के मतदाता की है जो बदलाव की बात तो करता है, लेकिन विकल्प को लेकर भ्रमित है। ऐसे में आखिरी समय का चुनाव प्रबंधन हार-जीत के नतीजों में निर्णायक होगा।

प्रदेश का चुनाव तीन पट्टियों में बंटा हुआ है। एक मालवांचल है, जिसका फैसला अक्सर प्रदेश की भावी सरकार तय करता है। दूसरी पट्टी चबंल से लेकर बुंदेलखंड व बघेलखंड को समेटे है जो इस बार सबसे ज्यादा उद्वेलित है। तीसरी पट्टी महाकौशल की है जहां आदिवासी सीटें इस बार निर्णायक हो सकती है। 

फिर निर्णायक हो सकता है मालवांचल 

मालवांचल में बड़ी बढ़त लेकर भाजपा लगातार तीन चुनावों में जीत हासिल कर सत्ता में है। इस बार वैसी स्थिति नहीं है। मालवांचल को सीमावर्ती गुजरात व राजस्थान भी प्रभावित करता है, जहां आपस में रोटी-बेटी के रिश्ते हैं। भाजपा यहां पर विकास के मुद्दों को लेकर सरकार विरोधी माहौल कम करने में लगी है, लेकिन कई सीटों पर उसे बागी व कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन यहां पर कांग्रेस की समस्याएं भी कम नहीं है। इस पूरे अंचल में उसके पास ऐसा नेता नहीं है जो जनता को बदलाव के लिए प्रेरित कर सके। 

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आखिरी दौर में 50 सीटों पर जोर 

ऐसे में भाजपा व कांग्रेस दोनों आखिरी समय के चुनाव प्रबंधन में जुटी है। प्रदेश की लगभग पचास सीटें ऐसी है जिन पर कांग्रेस और भाजपा की आखिरी दौर की रैली, सभाएं व रोड शो का असर पड़ सकता है। 

कमलनाथ की काट को आदिवासी सीटों पर जोर

महाकौशल में इस बार कड़ा मुकाबला है। कांग्रेस यहां पर कमलनाथ को अघोषित रूप से भावी मुख्यमंत्री प्रचारित कर रही है। इसका लाभ भी उसे मिल सकता है। इसकी काट में भाजपा इस क्षेत्र की आदिवासी बहुल सीटों पर मेहनत कर रही है, ताकि नफा-नुकसान बराबर रहे।

बुंदेलखंड में चुनौती 

बुंदेलखंड के 29 विधानसभा क्षेत्रों में से पांच में भाग्य आजमा रहे मंत्रियों के लिए भी इस बार राह आसान नजर नहीं आ रही है। 2013 में बुंदेलखंड की 29 में से 23 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। वहीं कांग्रेस सागर में देवरी, दमोह में जबेरा, पन्ना में पवई, छतरपुर में राजनगर और टीकमगढ़ में खरगापुर व जतारा सीटों पर विजयी रही थी। 

 

 

 

 

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