शरीर से चमड़ी निकाल कर मां के लिए बनवाई चप्पल, रामायण पढ़कर बदल गया MP का अपराधी
रौनक पर करीब तीन दर्जन आपराधिक मामले दर्ज हैं। लेकिन अब वह भक्ति रस में डूबा हुआ नजर आ रहा है। उसने बताया कि रामायण पढ़ने के बाद उसके मन में विचार आया कि इस दुनिया में मां से बड़ा कोई नहीं है।
मध्य प्रदेश के उज्जैन से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। एक शख्स अपने शरीर की चमड़ी निकलवा कर अपनी मां के लिए उसी से एक चप्पल बनवाया। शख्स पर हत्या, लूट जैसे 37 आपराधिक मामले दर्ज हैं। अपराध जगत में उसका बड़ा नाम है। साल 2019 में एक पुलिस एनकाउंटर में उसके पैर में गोली भी लगी थी। इस वजह से उसे चलने में काफी दिक्कत होती है। खुद की चमड़ी से मां के लिए चप्पल बनाने वाले शख्स की पहचान रौनक गुर्जर के रूप में हुई है।
रामायण पढ़कर लिया फैसला
रौनक पर करीब तीन दर्जन आपराधिक मामले दर्ज हैं। लेकिन अब वह भक्ति रस में डूबा हुआ नजर आ रहा है। उसने बताया कि रामायण पढ़ने के बाद उसके मन में विचार आया कि इस दुनिया में मां से बड़ा कोई नहीं है। इसके बाद उसने फैसला किया कि वह शरीर से चमड़ी निकलवा कर अपनी मां के लिए चप्पल बनवाएगा। इस दौरान उसे काफी दर्द का भी सामना करना पड़ा था। मां के लिए चप्पल बनवाने के बाद रौनक भागवत कथा करा रहा है, जिसे सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं।
लिपटकर रोती दिखीं मां
उज्जैन के चिमनगंज थाना क्षेत्र के ढांचा भवन में रहने वाले 39 साल के रौनक गुर्जर ने बताया कि रामायण पढ़ने के बाद मेरे विचार बदल गए हैं। इसे पढ़कर मैंने संकल्प लिया कि मुझे अपनी मां के लिए कुछ करना है। इसी संकल्प के साथ मैंने अपने शरीर की चमड़ी से मां के लिए चप्पल बनवाई। शायद इससे मेरे कर्म बदल जाएं। रौनक का मां को चप्पल पहनाते हुए एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें उनकी मां उनसे लिपटकर रो रही हैं।
क्या बोली मां?
रौनक की मां निर्मला गुर्जर ने बताया कि उन्हें पता था कि उनका बेटा कुछ ऐसा कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा बेटा भगवान सभी को दे, उसने हर मुसीबत से हम लोगों को बाहर निकाला है। उसके जीवन में अब कोई दुख न आए मेरी भगवान से यही प्रार्थना है।
वहीं रौनक के घर भागवता कथा सुना रहे आध्यात्मिक गुरु जीतेन्द्र ने कहा कि 'देखने में आता है कि कोई प्रेमिका के लिए तो कोई पत्नी के लिए हाथ काट लेता है। ऐसे दौर में एक बेटे ने श्रवण कुमार बनकर अपनी चमड़ी से मां के लिए चरण पादुका बनवाई है। नई पीढ़ी को रामायण पढ़कर देखना चाहिए, इससे उनकी जिंदगी बदल जाएगी।'
रिपोर्ट- विजेन्द्र यादव
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