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Hindi News मध्य प्रदेशमंडी में नहीं मिला प्याज का सही भाव, फिर खंडवा की मंडी में किसानों ने किया कुछ ऐसा

मंडी में नहीं मिला प्याज का सही भाव, फिर खंडवा की मंडी में किसानों ने किया कुछ ऐसा

भारतीय किसान मजदूर संघ के महामंत्री सीताराम इंगला ने कहा कि आज किसान को प्याज को पैदा करने पर 12 रुपए प्रति किलो की लागत आती है। अगर वह 10 रुपए में बेचता है तो उसे 2 रुपए का घाटा होता है।

मंडी में नहीं मिला प्याज का सही भाव, फिर खंडवा की मंडी में किसानों ने किया कुछ ऐसा
लाइव हिंदुस्तान,खंडवाSat, 28 May 2022 06:20 PM

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महंगी प्याज अक्सर लोगों को रुलाती है। लेकिन मंडी में प्याज बेचने गए किसान के साथ कहानी अक्सर उलटी होती है। प्याज का सही भाव नहीं मिलने से किसान अक्सर परेशान होते नजर आते हैं। मध्य प्रदेश के खंडवा में भी ऐसा ही होता नजर आ रहा है। यहां पर प्याज का सही दाम नहीं मिलने से परेशान किसान मजदूर संघ के किसानों ने खंडवा कलेक्टर परिसर के पास टेंट लगाकर मात्र 1 रुपए में 4 किलो प्याज बेचा। किसानों ने आरोप लगाए की प्याज की फसल को लेकर सरकार किसानों पर ध्यान नहीं दे रही है। सरकार को किसानों से समर्थन मूल्य पर प्याज खरीदनी चाहिए। 

सरकार को बताया जिम्मेदार
खंडवा के जिला कलेक्टर कार्यालय परिसर के पास किसान मजदूर संघ ने प्याज की घटती कीमतों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। भारतीय किसान मजदूर संघ के महामंत्री सीताराम इंगला ने बताया कि आज किसानों की जो दुर्दशा हो रही है। उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। किसान ने भरपूर मेहनत कर फसल पैदा की लेकिन शासन खरीद ने में विफल हो गया है। सरकार ने पीछा छुड़ाने के किए अनेक प्रकार की योजनाएं किसान के मत्थे मढ़ दी है। आज किसान 25 पैसे प्रति किलो प्याज बेचने को मजबूर है। लेकिन सरकार खरीद नहीं रही है। जब प्याज का रेट बढ़ता है तो भाव उतारने के लिए सरकार विदेश से प्याज मंगवा लेती है। क्या सरकार यहां से प्याज नहीं खरीद सकती? अगर सरकार किसानों को बचाना चाहती है तो यहां के किसानों का पूरा सहयोग करे। सरकार प्याज खरीदी करें, मूंग खरीदी करे, सभी तरह की खरीद की जिम्मेदारी सरकार की है। अगर किसान को घटा जाता है तो सरकार को आगे आकर किसानों को मदद करनी चाहिए।

लागत भी नहीं निकलती
भारतीय किसान मजदूर संघ के महामंत्री सीताराम इंगला ने कहा कि आज किसान को प्याज पर 12 रुपए प्रति किलो की लागत आती है7 अगर वह 10 रुपए में बेचता है तो उसे 2 रुपए का घाटा होता है। लेकिन आज मंडी में वह 4-5 रुपए प्रति किलो प्याज बेचने को विवश है। ऐसी हालत में किसान को जहर खाने के अलावा कोई चारा नहीं सूझता। क्योंकि उसके वह जितना पैसा मजदूरों को देता उतना भी नहीं निकलता। ऊपर से किराया -भाड़े का खर्च अलग से। सीताराम इंगला ने कहा कि शिवराज किसान हितैषी सरकार बोलते हैं। लेकिन हमें तो लगता नहीं कि सरकार किसान हितैषी नहीं है क्योंकि जमीनी स्तर पर तो कुछ भी नहीं है। 
 

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