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मानसून में देरी से मध्य प्रदेश के 18 जिलों में किसान परेशान, खरीफ की फसल हो सकती है बर्बाद

मध्य प्रदेश के 18 जिलों में खरीफ फसलों की बुवाई करने वाले किसानों ने कहा है कि अगर मानसून अगले एक सप्ताह तक नहीं आया तो उन्हें भारी नुकसान होगा। मौसम विभाग की भोपाल इकाई के आंकड़ों के मुताबिक,...

 मानसून में देरी से मध्य प्रदेश के 18 जिलों में किसान परेशान, खरीफ की फसल हो सकती है बर्बाद
हिन्दुस्तान टाइम्स ,भोपालTue, 21 Jul 2020 11:25 AM
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मध्य प्रदेश के 18 जिलों में खरीफ फसलों की बुवाई करने वाले किसानों ने कहा है कि अगर मानसून अगले एक सप्ताह तक नहीं आया तो उन्हें भारी नुकसान होगा। मौसम विभाग की भोपाल इकाई के आंकड़ों के मुताबिक, ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड और महाकौशल क्षेत्रों में कम बारिश हुई है। गुना में शून्य से 7%, ग्वालियर में शून्य से 45% कम बारिश हुई है।  

कम वर्षा वाले जिलों में ग्वालियर, भिंड, दतिया, गुना, शिवपुरी, छतरपुर, दमोह, सागर, टीकमगढ़, बालाघाट, जबलपुर, नरसिंहपुर, कटनी, धार, मंदसौर, शाजापुर और होशंगाबाद शामिल हैं।

मध्य प्रदेश में पिछले साल जुलाई में 643.1 मिमी की भारी बारिश दर्ज की गई थी, जबकि महीने में सामान्य बारिश 371.6 मिमी थी। राज्य में 1 जून से अब तक 318.6 मिमी बारिश हुई है।

पूरे बुंदेलखंड पन्ना और ग्वालियर-चंबल क्षेत्रों के एक तिहाई हिस्से को छोड़कर सूखा है, जबकि कुल 52 में से 13 जिलों में 20 फीसदी या उससे अधिक वर्षा हुई है। अधिक वर्षा वाले अधिकांश जिले मालवा-निमाड़ क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।

कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, खरीफ फसलों जैसे धान, बाजरा, सोयाबीन, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली की बुवाई राज्य में जून और जुलाई में की जाती है। बुंदेलखंड क्षेत्र में सागर जिले के बोबई गांव के किसान विनोद तिवारी ने कहा कि मैंने 25 एकड़ जमीन पर सोयाबीन और 5 एकड़ जमीन पर उड़द बोया। 2 जुलाई को बुवाई के बाद से हमारे क्षेत्र में वर्षा नहीं हुई है। इसका नतीजा यह है कि कृषि क्षेत्र की सतह में दरारें और फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू हो गया है। 

तिवारी ने कहा कि उनकी सोयाबीन के पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लगी हैं और पौधों की वृद्धि लगभग 30 से 40 फीसद तक प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि अगर मुझे अगले चार से पांच दिनों में बारिश नहीं हुई तो फसल को ठीक नहीं होगी। अब तक मैंने अपनी खरीफ फसल में बीज, जुताई, बुवाई के लिए लगे मजदूर, कीटनाशक आदि पर 1.66 लाख रुपये का निवेश किया है। अगर फसल खराब हो जाती है तो यह मेरे और मेरे परिवार के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। 

सागर के धाना गांव के एक किसान दयाराम अहिरवार ने भी कहा कि अगर अगले कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई तो उनकी पूरी फसल खराब हो जाएगी। उन्होंने कहा कि मैंने एक क्विंटल सोयाबीन और 25 किलोग्राम उड़द बोया। अब तक मैंने अपनी खरीफ सीजन की फसलों के लिए लगभग 15,000 से 20,000 रुपये का निवेश किया है। बुवाई के ठीक बाद एक बार वर्षा हुई है। पौधे मुरझा रहे हैं। 

ग्वालियर के बोराई गांव के निवासी महेंद्र सिंह यादव ने कहा कि मैंने 5 बीघा जमीन और दूसरी 5 बीघा जमीन में उड़द बोया है। बोरवेल का कोई फायदा नहीं है क्योंकि भूजल स्तर गिर गया है। इसलिए, अगर अगले हफ्ते बारिश नहीं होती है और मेरी फसल खराब हो जाती है तो मुझे 75,000 रुपये से अधिक का नुकसान होगा।

कृषि विभाग ने कहा है कि इस साल 118.05 लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ की बुवाई  की गई हे जबकि लक्ष्य 146.05 लाख हेक्टेयर भूमि पर बुवाई का था।

आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ के नर्मदापुरम संभाग के मीडिया प्रभारी शिवमोहन सिंह ने कहा कि बारिश कम होना किसानों के लिए चिंता का विषय नहीं है। उन्होंने कहा कि अनियमित बिजली की आपूर्ति न होने से किसान अपनी जमीन को सिंचित करने के लिए मोटर पंपों का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। सरकार को जल्द से जल्द किसानों की समस्या पर ध्यान देना चाहिए ताकि बारिश न होने की स्थिति में किसानों को भारी नुकसान न हो।

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