Hindi Newsमध्य प्रदेश न्यूज़Before the arrival of PM Modi in Kuno Sanctuary the princely state that had donated the land petitioned to take back

चीतों के भारत आने से पहले नया पेच, जमीन वापसी के लिए कोर्ट पहुंचा पालपुर राजघराना

सरकार ने कुनो पालपुर सेंचुरी का नाम बदलकर कुनो नेशनल पार्क भी कर दिया ऐसे में अब पालपुर राजघराने के वंशजों ने अपनी पुश्तैनी संपत्ति वापस पाने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

Vishva Gaurav लाइव हिंदुस्तान, ग्वालियर।Fri, 16 Sep 2022 11:24 AM
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इस समय पूरे देश भर में चंबल का कूनो अभयारण्य चर्चाओ में हैं क्योंकि शनिवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से आये चीतों को छोड़कर चीता प्रोजेक्ट योजना का शुभारंभ करने पहुंचेगे। लेकिन उससे पहले 75 साल बाद भारत में चीतों की वापसी में एक नया पेच आ गया है। श्योपुर में पालपुर राजघराने की ओर से श्योपुर जिले के विजयपुर अतिरिक्त सत्र न्यायालय में ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना संबंधी याचिका दायर की गई है। जिसमें पालपुर राजघराने ने कूनो नेशनल पार्क के अंदर प्रशासन द्वारा अधिग्रहित राजपरिवार के किले और जमीन पर कब्जा वापस करने की मांग की है। इस याचिका पर अगली सुनवाई 19 सितंबर को विजयपुर एडीजे कोर्ट में होगी।

पालपुर रियासत के वंशज श्रीगोपाल देव सिंह ने दावा किया है कि उन्होंने अपना किला और जमीन श्योपुर के कुनो पालपुर अभयारण में बब्बर शेरों के दूसरे सुरक्षित घर के तौर पर बने कुनो पालपुर अभयारण के लिए दी थी। लेकिन अब कूनो पालपुर अभयारण्य में शेरों की जगह चीते बचाने का काम किया जा रहा है। कूनो को गुजरात के गिर शेरों को लाने के लिए अभयारण्य घोषित किया गया तो उन्हें अपना किला और 260 बीघा भूमि खाली करनी पड़ी। वहीं कुँवर गोपाल देव ने आरोप लगाया कि सरकार ने कुनो पालपुर सेंचुरी का नाम बदलकर कुनो नेशनल पार्क भी कर दिया ऐसे में अब पालपुर राजघराने के वंशजों ने अपनी पुश्तैनी संपत्ति वापस पाने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 

ग्वालियर हाई कोर्ट में भी याचिका दायर कर चुका है राजघराना

कूनो-पालपुर पर शासन करने वाले परिवार के वंशज श्रीगोपाल देव सिंह ने बताया कि उन्होंने संपत्ति को वापस लेने के लिए सत्र अदालत में याचिका दायर की है। दरअसल पालपुर रियासत के वंशज शिवराज कुंवर, पुष्पराज सिंह, कृष्णराज सिंह, विक्रमराज सिंह, चंद्रप्रभा सिंह, विजयाकुमारी आदि ने ग्वालियर हाईकोर्ट में कूनो सेंक्चुरी के लिए की गई भूमि अधिग्रहण के खिलाफ साल 2010 में ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका (क्रमांक 4906/10) लगाई थी। 

19 सितंबर को होगी सुनवाई 

हाईकोर्ट ने याचिका में दिए गए तथ्यों पर संतुष्टि जाहिर करते हुए कहा था कि यह मामला सेशन कोर्ट का है, सीधे हाईकोर्ट इस तरह के मामलों में सुनवाई नहीं करता। इसीलिए कोर्ट ने साल 2013 में श्योपुर कलेक्टर के मार्फत इस मामले को विजयपुर शेषन कोर्ट में ले जाने के निर्देश दिए थे। लेकिन 2013 से श्योपुर में पदस्थ कलेक्टर इस मामले को टालते रहे। पालपुर रियासत के वंशजों ने साल 2019 में श्योपुर कलेक्टर के खिलाफ हाईकोर्ट की अवमानना की कार्रवाई शुरू की तब तत्कालीन श्योपुर कलेक्टर ने आनन-फानन में विजयपुर सेशन कोर्ट में मामला भेजा। पालपुर रियासत का आरोप है कि कलेक्टर ने गलत जानकारी के साथ मामला पेश किया। हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना के खिलाफ ही पालपुर राजघराने ने विजयपुर कोर्ट में याचिका लगाई है। जिसकी पहली सुनवाई की अगली तारीख कूनो में चीते आने के दो दिन बाद यानी 19 सितंबर की लगी है।

याचिका में यह लगाई गई है आपत्तियां- 
- सिंह परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना 1981 में जारी हुई अधिसूचना के 2 साल में अधिग्रहित की गई संपत्ति का अवार्ड जारी करना होता है लेकिन जिला प्रशासन ने लगभग 30 साल बाद यह अवार्ड जारी किया, लिहाजा अधिग्रहण की कार्रवाई नियमानुसार नहीं है।
- कूनो पालपुर सेंचुरी में 220 बीघा सिंचित उपजाऊ जमीन अधिग्रहित की गई थी, जिसके बदले में 27 बीघा जो संचित उबड़ खाबड़ पथरीली जमीन भी है।
- 220 बीघा जमीन के बीच धौलपुर रियासत के ऐतिहासिक किले का अधिग्रहण में कोई जिक्र नहीं है, ना कोई मुआवजा मिला फिर भी सरकार इन संपत्तियों का उपयोग कर रही है।

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