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Hindi News मध्य प्रदेशग्वालियर-चंबल संभाग में बोवनी शुरू मगर खाद की कमी से किसान की सांस फूली, डिमांड की दो तिहाई सप्लाई नहीं 

ग्वालियर-चंबल संभाग में बोवनी शुरू मगर खाद की कमी से किसान की सांस फूली, डिमांड की दो तिहाई सप्लाई नहीं 

रबी सीजन में अक्सर खाद की कमी से किसान सड़क पर उतर आता है, खाद के ट्रकों को लूटता है और इसका फायदा व्यापारी उठाता है। व्यापारी बाजार के संकट के कारण किसान को एक बोरी पर मनमाफिक लाभ लेकर खाद देता है।...

ग्वालियर-चंबल संभाग में बोवनी शुरू मगर खाद की कमी से किसान की सांस फूली, डिमांड की दो तिहाई सप्लाई नहीं 
रवींद्र कैलासिया, भोपाल, लाइव हिंदुस्तानWed, 13 Oct 2021 06:12 PM
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रबी सीजन में अक्सर खाद की कमी से किसान सड़क पर उतर आता है, खाद के ट्रकों को लूटता है और इसका फायदा व्यापारी उठाता है। व्यापारी बाजार के संकट के कारण किसान को एक बोरी पर मनमाफिक लाभ लेकर खाद देता है। यह इस साल की बात नहीं बल्कि हर साल मध्य प्रदेश में किसान को इससे दो-चार होना पड़ता है। ग्वालियर-चंबल संभाग के किसानों के लिए हर बार की तरह इस बार भी जितनी खाद की डिमांड थी, उसमें से केव ल 35 फीसदी सप्लाई हुई है और हालत यह है कि भिंड-मुरैना में किसान परेशान है। वहीं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुले रूप में यह कह रहे हैं कि खाद की कमी नहीं है। 

 

मघ्य प्रदेश में रबी की फसल के लिए अक्टूबर से दिसंबर तक किसान अपने खेतों में जुटा रहता है। सबसे पहले ग्वालियर-चंंबल संभाग में रबी सीजन के लिए खाद की मांग होती है। प्रकृति वैसे ही इन संभागों में कम बारिश करती रही है। ऊपर से शासन-प्रशासन खाद की उपलब्धता को लेकर सही तौर पर  कार्ययोजना नहीं बनाते जिससे किसान की सांस ऊपर-नीचे होती रहती हैं। इस बार भी वही हो रहा है। प्रशासन ने चार लाख मीट्रिक टन खाद की मांग का अनुमान लगाया था लेकिन उसकी आपूर्ति में समयबद्ध कार्यक्रम पर विशेष जोर नहीं दिया। 

अभी तक केवल 75 हजार टन आई खाद
रबी की फसल के लिए अक्टूबर में चार लाख मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता थी जिसमें से दो लाख मीट्रिक टन राज्य में स्टाक था। केवल दो लाख मीट्रिक टन केंद्र से आना थी। अब तक तेरह दिन बीत गए हैं लेकिन मात्र 75 हजार मीट्रिक टन डीएपी ही प्रदेश को मिली है। वहीं, बताते हैं कि ग्वालियर-चंबल संभागों में किसानों ने बोवनी शुरू कर दी है। खाद के नहीं मिलने से उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी हैं। 

चक्काजाम-लूटपाट और कालाबाजारी
किसान को आज डीएपी की जरूरत है लेकिन मांग की तुलना में केवल 35 फीसदी खाद मिलने से वह घबरा गया है। ग्वालियर-भिंड-मुरैना में किसान कानून को हाथ में लेने को मजबूर होता जा रहा है। किसान ने डीएपी की सप्लाई के लिए भिंड-मुरैना में तो चक्काजाम और लूटपाट की घटनाएं शुरू कर दी हैं। इस कमी के माहौल में व्यापारी हाथ धोना चाह रहे हैं और उन्होंने भी किसान की मजबूरी का फायदा उठाकर पांच सौ रूपए तक की  ज्यादा कीमतें वसूलना शुरू कर दिया है। यही नहीं यह लोग ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए कृत्रिम संकट के लिए स्टाक भी करने लगे हैं जिसका परिणाम यह रहा है कि भिंड में एक व्यापारी के गौदाम सवा सौ से ज्यादा खाद की बोरियां मिलीं। 

नवंबर-दिसंबर में भी हालात ऐसी ही बन सकते हैं
कृषि विभाग के उप संचालक जीएस चौहान ने बताया कि ग्वालियर-चंबल संभाग के बाद नवंबर और दिसंबर में उज्जैन, भोपाल, होशंगाबाद, जबलपुर और इंदौर, रीवा-शहडोल संभागों में भी खाद की जरूरत होगी। हर महीने विभाग से केंद्र सरकार को खाद की अनुमानित मांग भेजी जाती है। इस महीने दो लाख की मांग भेजी गई थी लेकिन अभी सवा लाख मीट्रिक टन डीएपी केंद्र सरकार से नहीं आया है। ग्वालियर-चंबल संभाग में अभी मांग है जिसकी आपूर्ति के लिए आज भी करीब ॊ0 हजार मीट्रिक डीएपी रैक ग्वालियर-मुरैना पहुंचने वाला है। उज्जैन संभाग में कुछ समय में ही मांग शुरू होने वाली है तो इसके बाद भोपाल, होशंगाबाद, जबलपुर, इंदौर, रीवा-शहडोल में इसकी जरूरत होगी। 


भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा कि खाद का कोई संकट नहीं है। मध्य प्रदेश की चार लाख मीट्रिक टन की मांग थी जिसमें ढाई लाख मीट्रिक टन खाद राज्य को मिल चुकी है। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ खाद के संकट पर सरकार को घेर रहे हैं। उनका कहना है कि जब खाद का संकट नहीं है तो फिर मुरैना में पुलिस खाद की लाइन में लगे किसानों को लाठियों से क्यों पीट रही है। प्रशासनिक मशीनरी दबी जुबान से यह स्वीकार कर रही है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमत ज्यादा होने की वजह से केंद्र सरकार खाद की खरीदी नहीं कर रही थी। अब केंद्र सरकार ने सब्सिडी बढ़ाई है तो डीएपी की सप्लाई में तेजी आएगी। 

 

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