
भारत जब 3000 साल तक विश्वगुरु रहा तब नहीं हुए टकराव, वैश्विक हालात पर बोले भागवत
संक्षेप: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि निजी स्वार्थों की वजह से दुनिया में टकराव और संघर्ष पैदा हुए हैं। वह इंदौर में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट…
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि निजी स्वार्थों की वजह से दुनिया में टकराव और संघर्ष पैदा हुए हैं। इससे पूरे विश्व में तमाम समस्याएं पैदा हुई हैं। संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि भारत जब तीन हजार वर्षों तक विश्वगुरु रहा तब कोई वैश्विक टकराव नहीं देखा गया।

हम कभी बंट गए थे लेकिन उसे भी मिला लेंगे
मोहन भागवत ने कहा कि ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने भारत के बारे में एक बार कहा था कि आजाद होने के बाद यानी बिटिश शासन खत्म हो जाने के बाद तुम (भारत) टिक नहीं सकोगे और बंट जाओगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आलम यह है कि अब खुद इंग्लैंड बंटने की स्थिति में आ रहा है लेकिन हम नहीं बंटेगे। हम आगे बढ़ेंगे। हम कभी बंट गए थे लेकिन उसे भी हम फिर से मिला लेंगे।
दुनिया में संघर्षों के लिए निजी स्वार्थ जिम्मेदार
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि तमाम भविष्यवाणियों को झूठा साबित करके भारत विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ रहा है। भारत जब 3,000 वर्षों तक विश्वगुरु था तब कोई वैश्विक संघर्ष नहीं देखा गया। मौजूदा वक्त में दुनिया में हो रहे टकराव और संघर्षों के लिए व्यक्तिगत स्वार्थ जिम्मेदार हैं। इन निजी स्वार्थों ने दुनिया में तमाम समस्याओं को जन्म दिया।
आस्था और विश्वास पर चलती है दुनिया
मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल की नर्मदा परिक्रमा यात्राओं पर आधारित पुस्तक का इंदौर में विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जहां दुनिया आस्था और विश्वास पर चलती है वहीं भारत कर्म और तर्क से समाहित आस्था की भूमि है। भारत में कर्मठ और तर्कशील लोग रहते हैं।
नर्मदा परिक्रमा श्रद्धा का विषय
मोहन भागवत ने आगे कहा कि नर्मदा परिक्रमा श्रद्धा का विषय है। हमारा देश श्रद्धा का देश है। भारत में जो आस्था है वह प्रत्यक्ष ज्ञान और प्रमाण पर आधारित है। भारत वह भूमि है जहां कर्मवीर और तर्कवीर दोनों ही निवास करते हैं।
जीवन एक रंगमंच
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जीवन एक रंगमंच है। इसमें हम सब निमित्त मात्र हैं। हम सभी को जीवन के इस रंगमंच पर अभिनेता के तौर पर अपनी भूमिकाएं निभानी है। हमारा असल स्वरूप लीला के खत्म होने के बाद सामने आता है।





