
RTO का स्क्वॉड बनाकर अवैध वसूली की कर रहे थे तैयारी, ऐन वक्त पर 4 फर्जी पुलिसवाले गिरफ्तार
संक्षेप: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में क्राइम ब्रांच ने फर्जी पुलिस गैंग का भंडाफोड़ किया है। एक फर्जी टीआई, दो फर्जी कॉन्स्टेबल और एक वाहन चालक को गिरफ्तार किया गया। इनके कब्जे से फर्जी नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र बरामद हुए हैं। यह गैंग RTO का स्क्वॉड बनाकर हाईवे पर अवैध वसूली के लिए गश्त पर निकलने वाला था।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में क्राइम ब्रांच ने फर्जी पुलिस गैंग का भंडाफोड़ किया है। एक फर्जी टीआई, दो फर्जी कॉन्स्टेबल और एक वाहन चालक को गिरफ्तार किया गया। इनके कब्जे से फर्जी नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र बरामद हुए हैं। यह गैंग RTO का स्क्वॉड बनाकर हाईवे पर अवैध वसूली के लिए गश्त पर निकलने वाला था।

इस गैंग की सूचना ऑनलाइन शॉप संचालक वैभव पाल ने दी। वैभव ने बताया कि उनके चाचा मुकेश पाल की लीगल वर्कशॉप के नाम से चल रही ऑनलाइन दुकान है। शिवम चतुर्वेदी नामक युवक खुद को एसपी ऑफिस में पदस्थ टीआई बताकर धमकाने लगा और दो फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार करवाए। तीन और नियुक्ति पत्र बनवाने के लिए उसने फिर कॉल किया, लेकिन वैभव ने मना कर दिया। इसके बाद युवक धमकाने लगा, जिस पर पुलिस को सूचना दी गई।
डीएसपी क्राइम ब्रांच नागेन्द्र सिंह सिकरवार, साइबर सेल प्रभारी निरीक्षक धर्मेन्द्र सिंह कुशवाह और एसआई धर्मेन्द्र शर्मा ने तुरंत कार्रवाई की। जैसे ही फर्जी गैंग और नियुक्ति पत्र बनाने पहुंचा, उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
क्राइम ब्रांच के अधिकारी आरोपियों से पूछताछ कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह फर्जीवाड़ा पहली बार किया गया या पहले भी होते रहे। ग्वालियर एसएसपी धर्मवीर सिंह ने बताया कि मामले की जांच पूरी गंभीरता से की जा रही है।
फर्जी टीआई शिवम चतुर्वेदी का वैभव पाल के पास कॉल आया, जिसमें तीन और नियुक्ति पत्र बनवाने की मांग की गई। यह जानकारी वैभव पाल ने तुरंत क्राइम ब्रांच को दी। जैसे ही शिवम और उसके साथी कार से वहां पहुंचे, क्राइम ब्रांच ने उन्हें तुरंत पकड़ लिया।
क्राइम ब्रांच की पूछताछ में पकड़े गए संदेहियों ने अपने नाम शिवम चतुर्वेदी पुत्र पुरुषोत्तम चतुर्वेदी , पवन यादव पुत्र ओमकार यादव, नीरज यादव पुत्र कुंदन लाल यादव और रविन्द्र यादव बताया है। सभी सागर जिले के रहने वाले हैं।
जांच में यह भी पता चला कि शिवम खुद को टीआई बता रहा था, जबकि पवन और नीरज खुद को कॉस्टेबल बताते थे और रविन्द्र ड्राइवर था। दो माह पहले सागर से चारों युवक आए थे। शहर में अलग-अलग इलाकों में घूमते थे। बेरोजगार युवकों को पुलिस में नौकरी लगवाने का झांसा देते थे। जाल में फंसाने वाले लोगों से पैसे वसूलते थे।





