लोकसभा चुनाव का सातवां चरण : हर दल के सामने हैं नई चुनौतियां
राजनीति शतरंज और ताश के खेल से जरा भी कम नहीं होती है। राजनीति में विजेता बनने के लिए शतरंज की तरह शातिर चालें चलने और मोहरों को ताश के पत्तों की तरह फेंटने का ठोस उदाहरण प्रदेश में सातवें चरण की 13...
राजनीति शतरंज और ताश के खेल से जरा भी कम नहीं होती है। राजनीति में विजेता बनने के लिए शतरंज की तरह शातिर चालें चलने और मोहरों को ताश के पत्तों की तरह फेंटने का ठोस उदाहरण प्रदेश में सातवें चरण की 13 सीटें हैं। इसे समझने के लिए इस चरण में शामिल सीटें और मैदान में उतारे गए लड़ाकों पर एक नजर डाल लेना ही काफी है। भाजपा इस चरण में 2014 के प्रदर्शन को दोहराने तथा विपक्षी दलों ने इन सीटों पर काबिज होने के लिए घेरेबंदी की रणनीति बना रखी है।
भाजपा ने सातवें चरण की इन 13 सीटों पर फिर से काबिज होने के लिए प्रत्याशियों के चयन में भारी उलटफेर के साथ मजबूत चक्रव्यूह बनाया है। वहीं विपक्ष भाजपा की कमजोर कड़ियों को तलाश करते हुए इस चरण की सीटों पर काबिज होने की कोशिश में है। भाजपा और विपक्षी दलों के शह, मात के दांव को इस क्षेत्र के मतदाता 19 मई को अपने मतदान से परखेंगे।
इन सीटों के महत्व का आंकलन इसी से किया जा सकता है कि 13 में से पांच सीटों पर भाजपा से 2014 में जीते सांसद चुनाव मैदान से बाहर हैं। यहां से दूसरे प्रत्याशियों को मौका दिया है। वहीं सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस ने भी प्रत्याशियों के चयन में कई प्रयोग किए हैं। सबकी निगाहें पूर्वांचल की इन सीटों पर है, कारण इसी चरण में वाराणसी में भी चुनाव होना है। यहां से पीएम नरेंद्र मोदी इस बार भी चुनाव मैदान में हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री मनोज सिन्हा गाजीपुर से, अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से तथा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय चंदौली संसदीय से प्रत्याशी हैं।
मोदी के सामने केजरीवाल जैसा प्रत्याशी नहीं
वाराणसी सीट जिस पर समूचे देश की निगाहें हैं यहां पर भाजपा प्रत्याशी पीएम नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस ने फिर से अजय राय को मैदान में उतारा है। सपा ने हाल ही में पार्टी में शामिल होने वाली शालिनी यादव पर दांव लगाया है। 2014 में नरेंद्र मोदी ने दूसरे नंबर पर रहे अरविंद केजरीवाल को 371784 मतों से हराया था। इस चुनाव में यहां केजरीवाल जैसा कोई लड़ाका मोदी के सामने नहीं है।
बलिया में भदोही के सांसद को टिकट
बलिया संसदीय सीट पर भाजपा ने अपने सीटिंग सांसद भरत सिंह को मैदान में नहीं उतारा है। उनकी जगह भदोही के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर पिछली बार सपा के टिकट से दूसरे नंबर पर रहे नीरज शेखर भी मैदान में नहीं हैं। सपा ने इस बार सनातन पांडेय को मैदान में उतारा है। 2014 में भरत सिंह ने सपा प्रत्याशी नीरज शेखर को 139434 मतों से हराया था।
देवरिया में भाजपा को भरोसा रमापति राम पर
भाजपा ने देवरिया के सांसद वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र को इस बार टिकट नहीं दिया है। उनकी जगह भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी को मैदान में उतारा है। 2014 के चुनाव में कलराज मिश्र ने बसपा प्रत्याशी नियाज अहमद को 265386 मतों से हराया था। इस बार बसपा ने यहां से विनोद जायसवाल को गठबंधन का प्रत्याशी बनाया है, जबकि नियाज अहमद कांग्रेस से प्रत्याशी हैं।
गोरखपुर में भाजपा और सपा ने दिए नए चेहरे
गोरखपुर से 2014 में योगी आदित्यनाथ ने सपा की राजमति निषाद को 312783 मतों से हराया था। योगी के सीएम बन जाने के बाद हुए उपचुनाव में सपा से प्रवीण निषाद यहां से सांसद चुने गए थे। इस बार भाजपा ने भोजपुरी नायक रविकिशन पर तो सपा ने रामभुआल निषाद को मैदान में उतारा है। भाजपा 2014 की जीत को दोहराना चाहती है तो सपा उप चुनाव के नतीजे पाने की कोशिश में है।
गाजीपुर में उपविजेता रही थी सपा
गाजीपुर संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी मनोज सिन्हा ने 2014 में सपा प्रत्याशी शिवकन्या कुशवाहा को कुल 32452 मतों से हराया था। इस करीबी हार के बावजूद सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में है। 2014 में सपा से प्रत्याशी रहीं शिवकन्या कुशवाहा इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चंदौली से प्रत्याशी हैं। बसपा ने अफजाल अंसारी को टिकट दिया है, अफजाल 2014 में कौमी एकता दल से बलिया से प्रत्याशी थे।
कुशीनगर सीट से उपविजेता मैदान में
कुशीनगर संसदीय सीट से भाजपा ने सांसद राजेश पांडेय उर्फ गुड्डू पर भरोसा नहीं जताकर विजय दूबे को मैदान में उतारा है। राजेश पांडेय ने 2014 में कांग्रेस के कुंअर आरपीएन सिंह को 85540 मतों से हराया था। इस बार भी कांग्रेस से कुंअर आरपीएन सिंह मैदान में हैं। गठबंधन से सपा ने नथुनी प्रसाद कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है। इससे यहां का चुनाव खासा रोचक हो गया है।
मिर्जापुर में अनुप्रिया के सामने नया चेहरा
मिर्जापुर की सांसद केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल के सामने इस बार सपा-बसपा गठबंधन में सपा ने रामचरित्र निषाद को मैदान में उतारा है। 2014 में अनुप्रिया पटेल ने बसपा की समुद्रा बिंद को 219079 मतों से हराया था। बता दें कि सपा ने यहां पर पहले राजेंद्र सिंह बिंद को प्रत्याशी बनाया था, अंतिम समय में प्रत्याशी बदल दिया। कांग्रेस ने इस बार भी ललितेश पति त्रिपाठी को ही मैदान में उतारा है।
घोसी में भाजपा के सामने बसपा से नया चेहरा
घोसी संसदीय सीट पर भाजपा ने इस बार भी हरिनारायण राजभर पर भरोसा जताया है। पहले यह सीट सहयोगी सुभासपा के लिए रिजर्व रखी थी। बात नहीं बनने पर सांसद को फिर से प्रत्याशी बनाया। 2014 में राजभर ने बसपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को 145015 मतों से हराया था। दारा सिंह चौहान अब भाजपा में हैं और प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। बसपा ने यहां से अतुल राय को मैदान में उतारा है।
चंदौली में महेंद्र नाथ पांडेय के सामने नया चेहरा
भाजपा ने चंदौली लोकसभा सीट पर फिर से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय पर ही भरोसा जताया है। 2014 में पांडेय ने बसपा प्रत्याशी अनिल कुमार मौर्या को 156756 मतों से हराया था। मौर्या अब भाजपा के विधायक हैं। सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से सपा ने नए प्रत्याशी संजय चौहान को मैदान में उतार कर नया दांव खेला है। इससे यहां कांटे का मुकाबला होने की संभावना है।
सलेमपुर से बसपा प्रदेश अध्यक्ष मैदान में
भाजपा ने इस सीट पर इस बार भी सांसद रवींद्र कुशवाहा पर ही भरोसा जताया है। सांसद रवींद्र कुशवाहा ने 2014 में बसपा प्रत्याशी रविशंकर सिंह पप्पू को 232342 मतों से हराया था। इस बार यहां से बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा चुनाव मैदान में उतरे हैं। कांग्रेस ने वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्र को यहां से प्रत्याशी बनाया है।
राबर्ट्सगंज में भरोसा नहीं दिखाया पुराने लड़ाकों पर
राबर्ट्सगंज (सु.) सीट से सीटिंग भाजपा सांसद छोटेलाल खरवार इस बार मैदान में नहीं हैं। भाजपा से समझौते के तहत यह सीट अपना दल (सोनेलाल) को मिली है। अपना दल (सोनेलाल) ने यहां से पकौड़ी लाल कोल को प्रत्याशी बनाया है। वहीं सपा-बसपा गठबंधन से सपा ने भाईलाल कोल को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भगवती प्रसाद चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। 2014 में भाजपा प्रत्याशी छोटेलाल ने बसपा प्रत्याशी शारदा प्रसाद को 190486 मतों से हराया था।
महराजगंज से पंकज के सामने इस बार अखिलेश सिंह
महराजगंज संसदीय सीट पर भाजपा ने अपने सीटिंग सांसद पंकज चौधरी पर ही भरोसा जताया है। उनके सामने गठबंधन से सपा ने अखिलेश सिंह को प्रत्याशी बनाया है। पिछले चुनाव में इस सीट पर रनर रहे बसपा के काशीनाथ शुक्ला मैदान में नहीं हैं। कांग्रेस ने यहां से सुप्रिया श्रीनेत को मैदान में उतारा है। श्रीनेत पहली बार चुनाव लड़ रही हैं।
बांसगांव में पुराने चेहरों पर ही दांव
बांसगांव (सु) सीट पर भाजपा और बसपा ने 2014 के रनर और विनर पर ही दांव खेला है। उस समय भाजपा प्रत्याशी कमलेश पासवान ने बसपा प्रत्याशी सदल प्रसाद को 189516 मतों से हराया था। इस बार भी दोनों दलों ने इन्हीं प्रत्याशियों पर भरोसा जाताया है।