लोकसभा चुनाव करीब है। सांसद अपने रिपोर्ट कार्ड को लेकर मैदान में जाने को तैयार हैं। आंवला सांसद धर्मेंद्र कश्यप को सरकार ने निधि तो खूब दी, मगर शुरुआती साल में विकास कार्यों पर खर्च में लेटलतीफी कर दी। खाते में रकम अधिक होने की वजह से सरकार को अगली किस्त तक रोकनी पड़ी। सांसद निधि से बनाई गईं कई सड़कों का बुरा हाल है। कई शवदाह जर्जर हैं। हालांकि सांसद ने कई गांवों को पुलिया और सम्पर्क मार्ग दिए। गांव की सूरत भी बदल दी। अंतिम साल में सांसद ने विकास कार्यों के प्रस्ताव देने में खूब रुचि दिखाई। सांसद ने किस्त आने से पहले ही विकास के प्रस्ताव डीआरडीए को भेज दिए।
आंवला सांसद धर्मेंद्र कश्यप की लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा आती हैं। इनमें दो विधानसभा बदायूं की हैं। तीन विधानसभा बरेली की हैं। धर्मेंद्र कश्यप ने हर साल पांचों विधानसभा में 1-1 करोड़ का टारगेट तय किया था। शुरुआती साल में धर्मेंद्र कश्यप ने सांसद निधि खर्च में रुचि नहीं दिखाई। किस्त रुकीं तो भागदौड़ शुरू हुई। सांसद ने विशारत गंज में 2.31 लाख से शवदाह गृह बनवाया था। शवदाह की हालत खराब है।
ऐसा ही हाल ढका में बनाए गए खड़ंजे का भी है। डेढ़ साल पहले 6 लाख से बना ढका में 333 मीटर लंबा खड़ंजा बैठ गया। पानी की निकासी भी बदहाल है। सांसद निधि से बनाई गई कई सड़कों की हालत अच्छी भी है। भमोरा में 12 लाख से दो साल बनाई गई सीसी रोड अच्छी गुणवत्ता की गवाही दे रही है। सांसद को पिछले चार साल में 20 करोड़ की सांसद निधि का भुगतान हो गया है। हाल ही में 2.5 करोड़ की किस्त आई है। सांसद ने किस्त आने से पहले ही विकास कार्य के प्रस्ताव दे दिए थे। निर्माण एजेंसियों को भुगतान शुरू हो गया है।
सांसद की पांच उपलब्धियां
सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने लाल फाटक ओवरब्रिज परियोजना को मंजूर कराने में अहम भूमिका निभाई।
चनहेटी स्टेशन को कैंट स्टेशन का दर्जा दिलाने में सांसद ने दिल्ली तक खूब दौड़ लगाई।
सांसद की कोशिश से कैंप लगाकर दिव्यांगजनों को करीब 2.5 करोड़ के उपकरण बांटे गए।
आंवला लोकसभा क्षेत्र की पांचों विधानसभा में 1.25 करोड़ की 600 सोलर लाइट लगाई गईं।
कैलाश गिरी मणी पर सिरौली-मीरगंज को जोड़ने के लिए ओवरब्रिज का ऐलान कराया।
सांसद ने सड़क और खड़ंजे में दिखाई रुचि
बरेली। आंवला सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने सबसे अधिक निधि सीसी रोड-खड़ंजा और नालियों के निर्माण पर खर्च की। दूरदराज के गांवों को जोड़ने के लिए पुलिया बनवाईं। सांसद ने बारात घर बनवाने में खूब रुचि दिखाई। सांसद अपनी लोकसभा क्षेत्र के 20 प्राइमरी स्कूलों को फर्नीचर के लिए एक-एक लाख रुपये निधि से दिए। आंवला के करुआ ताल गांव में 11 लाख की लागत से बारातघर बनवाया। बदायूं के डहरपुर गांव में 20 लाख की लागत से सीसी रोड बनवाई। बदायूं के राजपुर मंझा गांव में नाले के निर्माण पर सांसद ने 19 लाख खर्च किए।
सांसद की बात
आंवला सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने बताया कि मेरा पूरा फोकस गांव के विकास पर रहा। मैंने अपनी निधि से छोटे-छोटे पुल बनवाए। सीसी रोड और नाली-खड़ंजों में मैंने ज्यादा निधि खर्च की है। कई स्कूलों को फर्नीचर दिए हैं। शुरुआत में जीएसटी की वजह से विकास कार्य शुरू होने में देरी हुई। बाद में तेजी आ गई। मैंने अपने निधि के मुताबिक प्रस्ताव दे दिए हैं। जो निधि अभी आनी है उसके प्रस्ताव भी तैयार करा लिए हैं। सांसद ने कहा कि जो काम छूट गए हैं उनको पूरा कराऊंगा। केंद्र सरकार गांव-गरीब और किसान-नौजवान के लिए तमाम योजनाएं लाई है। उसको लाभ जनता को मिला है। हमनें सरकार की योजनाओं को ईमानदारी के साथ लागू कराया है।
विपक्ष की नजर में नहीं हुआ विकास
आंवला क्षेत्र में कोई भी नई परियोजना पिछले साढे चार साल में नहीं आई। आंवला सांसद प्रधानमंत्री के नक्शे कदम पर चले। सिर्फ वादे हुए विकास योजना धरती नहीं आईं। शुगर मिला का वादा किया था। वादा ही रह गया। आंवला को नई रेल चलवाने की बात थी। नहीं चली।
- शुभलेश यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष, सपा
आंवला सांसद से क्षेत्र की जनता ही नाखुश है। आंवला क्षेत्र में कोई भी ऐसा काम नहीं हुआ जो दिखाई दे। जनहित के सभी काम लटके हुए हैं। आंवला सांसद जनता से पूरे कार्यकाल में वादे करते रहे। जमीन पर विकास दिखाई नहीं दे रहा। प्रधानमंत्री मोदी के पैटर्न पर ही आंवला सांसद चले हैं।
- राजेश सागर, जिलाध्यक्ष, बसपा
पब्लिक की सुनिए
गांव के आसपास की कई सड़कों की हालत अभी तक अच्छी नहीं है। सांसद को बताया भी गया है। सांसद ने युवाओं को रोजगार देने के लिए कोई प्रयास नहीं किए। क्षेत्र में एक भी फैक्ट्री नहीं लगी। आंवला क्षेत्र में कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं आया। सिर्फ छोटे-छोटे काम हुए।
- अशद, देवचरा
आंवला सांसद ने मिलनसार हैं। जनता के दुख दर्द में शामिल होते हैं। सांसद ने हमारे क्षेत्र में सड़क-नाली खड़जे के काम कराए हैं। अगर कोई बड़ा प्रोजेक्ट और आंवला क्षेत्र में लगवा देते तो अच्छा रहता।
- बबलू, श्रीवास्तव, देवचरा