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VIP Seat : शिवमोगा में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्रों में टक्कर

कर्नाटक की शिवमोगा सीट पर दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्रों के बीच टक्कर पर पूरे देश की नजर है। किसी समय सोशलिस्ट आंदोलन का गढ़ रहा यह क्षेत्र अब भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। इस...

VIP Seat : शिवमोगा में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्रों में टक्कर
हिटी,बेंगलुरु Mon, 22 Apr 2019 09:42 AM
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कर्नाटक की शिवमोगा सीट पर दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्रों के बीच टक्कर पर पूरे देश की नजर है। किसी समय सोशलिस्ट आंदोलन का गढ़ रहा यह क्षेत्र अब भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।

इस संसदीय सीट पर सत्रहवीं लोकसभा के लिए तीसरे चरण के मतदान में मतदाता दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्रों के भाग्य का फैसला करेंगे। शिवमोगा सीट पर नवंबर में उपचुनाव भी हुआ था, जिसमें भाजपा उम्मीदवार कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के पुत्र बीवाई राघवेंद्र को जीत मिली थी। वह एक बार फिर भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। उनका मुकाबला जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार पूर्व सीएम एस बंगरप्पा के बेटे मधु बंगरप्पा से है।

उपचुनाव में जीत का स्वाद चख चुके सांसद राघवेंद्र इस बार भी लोकसभा की ड्योढ़ी लांघने के लिए पूरे जोर-शोर से मैदान में है। मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए उन्होंने कोई भी कोर कसर बाकी नहीं रखी है। वह दो बार सांसद बन चुके हैं। यह जिला मंकी बुखार के सामने आने से समाचारों की सुर्खियों में रहा है।

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दक्षिण का प्रवेश द्वार : दक्षिण में यही इकलौता राज्य है जहां भाजपा न सिर्फ अपने दम पर सरकार बना चुकी है, बल्कि यह दक्षिण में उसका प्रवेश द्वार कहलाता है। बीते वर्ष मई में विधानसभा चुनाव हुआ था जिसमें भाजपा, कांग्रेस और एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस अलग-अलग लड़े थे। उस समय भाजपा बहुमत से मामूली अंतर से चूक गई और कांग्रेस जेडीएस ने मिलकर सरकार बना ली। लोकसभा में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर भाजपा का वर्चस्व है। यहां से कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सांसद रह चुके हैं। वर्तमान में यह सीट भाजपा के पास है। 

शिव के नाम पर शिवमोगा : कर्नाटक के शिवमोगा का नाम भगवान शिव के नाम पर पड़ा है। यह शहर तुंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। 

11 बार कांग्रेस, पांच बार भाजपा जीती
शिवमोगा सीट पर अब तक 18 बार आम चुनाव हुए हैं। इनमें 11 बार कांग्रेस को जीत मिली है। इसके अलावा भाजपा को पांच बार जीत हासिल हुई है। समाजवादी पार्टी और समयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को एक-एक बार जीत मिली है। बीजेपी ने 1998 में पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की थी और तब ए मंजूनाथ सांसद चुने गए थे। 2005 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने शिवमोगा लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। साल 2009 से लगातार तीन बार भाजपा इस सीट पर जीत दर्ज कर रही है, जिसमें 2018 का उपचुनाव भी शामिल हैं।

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सुपारी इकोनॉमी बड़ा मुद्दा
सुपारी इकोनॉमी यहां का बड़ा मुद्दा है। लोगों का कहना है कि यह फसल तीन पीढ़ियों का पेट भर सकती है, बशर्ते दाम सही रहे। इस क्षेत्र के मुद्दों में अनधिकृत खेती से प्राप्त राजस्व और वन भूमि का नियमितीकरण, मैसूर पेपर मिल का बंद होना और विश्वेश्वरैया इस्पात संयंत्र का खस्ता हाल होना प्रमुख है। शिमोगा में पानी की समस्या है, लेकिन लोग तुंगभद्रा प्रोजेक्ट से राहत की उम्मीद कर रहे हैं। प्रोजेक्ट का श्रेय दोनों पार्टियां ले रही हैं। रेल, सड़क और बुनियादी सुविधाओं के लिहाज से शिमोगा रफ्तार से चल रहा है। अब इस सीट पर किस पार्टी के दावे आम लोगों को भाते हैं, ये देखना होगा। फिलहाल दोनों पार्टियों ने अपनी-अपनी जीत के लिए पूरा जोर लगा रखा है।

मौजूदा सांसद : बीवाई राघवेंद्र  
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के बेटे बीवाई राघवेंद्र ने 2009 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता एस बंगरप्पा को 52 हजार वोटों से हराया था। इसके बाद 2014 में मोदी लहर के बीच बीएस येदियुरप्पा को शिमोगा सीट से बड़ी जीत मिली थी। येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद फिर से  राघवेंद्र ने 2018 के उपचुनाव में शिवमोगा से जीत दर्ज की। उन्होंने जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार और बंगारप्पा के बेटे मधु बंगारप्पा को शिकस्त दी थी।

पिता की लोकप्रियता भुनाने की कोशिश
सांसद होने के बावजूद भाजपा के राघवेंद्र पिता बीएस येदियुरप्पा की लोकप्रियता की छाया से बाहर नहीं आ सके हैं, तो दूसरी तरफ गठबंधन उम्मीदवार मधु भी अपने स्वर्गीय पिता पूर्व सीएम की लोकप्रियता को भुनाने में जुटे हुए हैं। गठबंधन उम्मीदवार अपनी विजय सुनिश्चित करने के लिए राज्य की जेडीएस और कांग्रेस सरकार की सफलताओं को मतदाताओं के समक्ष रख लुभाने की कोशिश में जुटे हैं।   

जातीय समीकरण
संसदीय सीट में मतदाताओं का आकलन किया जाए तो यहां लिंगायत, ब्राह्मण, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग का भी असर हैं। यहां लिंगायत समुदाय के करीब 35% वोट हैं।

आठ में से सात सीटें
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां की आठ सीटों में सात पर कब्जा किया था। इस बार संसदीय सीट पर बसपा उम्मीदवार को मिलाकर कुल 12 प्रत्याशी मैदान में हैं, किंतु मुकाबला कांग्रेस समर्थित जेडीएस और भाजपा के बीच नजर आ रहा है।

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