World Earth Day 2019 : लोकसभा चुनाव 2019 में पर्यावरण बड़ा मुद्दा आखिर क्यों नहीं बन रहा
भारत में अब कैंसर, टीवी, दमा से ज्यादा लोग प्रदूषित हवा के कारण दम तोड़ रहे हैं। फिर भी इस आम चुनाव में प्रदूषण मुद्दा नहीं पाया। हैरानी वाली बात तो यह है कि देश की जिन दो बड़ी पार्टियों ने अपने...
भारत में अब कैंसर, टीवी, दमा से ज्यादा लोग प्रदूषित हवा के कारण दम तोड़ रहे हैं। फिर भी इस आम चुनाव में प्रदूषण मुद्दा नहीं पाया।
हैरानी वाली बात तो यह है कि देश की जिन दो बड़ी पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र में वायु प्रदूषण से निपटने की बात लिखी है, उन पार्टियों के नेता ही चुनावी रैलियों में इस मुद्दे को प्रमुखता से नहीं रख रहे हैं। ऐसे में घोषणापत्र के इन वादों पर इन दलों की गंभीरता पर ही प्रश्न उठता है।
दूसरी ओर, छोटे दल भी इन मुद्दों पर कोई बात नहीं कर रहे हैं, दिल्ली की हवा जहरीली हो जाने के कारण आम आदमी पार्टी जरूर इस मुद्दे पर बात करती रही है लेकिन चुनावी वादे के रूप में फिलहाल कोई बात सामने नहीं आई।
दुनिया में भारत ऐसा देश बन गया है जहां वायु प्रदूषण के कारण सबसे अधिक बच्चे मरते हैं। इस मुद्दे को प्रमुख राजनीतिक दलों बस छूकर निकल गए हैं।
मुद्दा 1 वायु प्रदूषण
भाजपा : संकल्प पत्र में पार्टी ने लिखा है कि राष्ट्रीय वायु स्वच्छता कार्यक्रम को मिशन में बदलेंगे और पांच वर्ष में 35 प्रतिशत वायु प्रदूषण घटाएंगे।
कांग्रेस : घोषणापत्र में वायु प्रदूषण को ‘राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल' कहा गया है। वादा किया है कि उत्सर्जन के मुख्य केंद्रों पर होगा।
समस्या : दोनों दल भले घोषणाएं कर रहे हैं लेकिन वे व्यवसाय को ठीक पहले की तरह ही चलाना चाहते हैं, ऐसे में किस तरह हवा में सुधार किया जा सकता है।
मुद्दा 2 पानी
भाजपा : जल संरक्षण के लिए नया मंत्रालय बनाने की बात। 2022 तक गंगा की स्वच्छ करने का संकल्प।
कांग्रेस: जल के लिए अगला मंत्रालय। गंगा समेत अन्य नदियों की स्वच्छता संबंधी योजनाओं का बजट दोगुना करने का वादा।
समस्या : दोनों दलों ने ही भूमिगत जल की शुद्धि संबंधी समस्या को संबोधित तक नहीं किया। नया मंत्रालय और ज्यादा बजट की बात करने से भर से समस्या नहीं सुलझेगी।
मुद्दा 3 जलवायु परिवर्तन
भाजपा : 2022 तक 175 गीगाहर्ट्ज नवीनीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य प्राप्त करना व ग्रीन बोनस देने का संकल्प।
कांग्रेस : घोषणापत्र में वैश्विक तापमान को कम करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करने का वादा।
समस्या : भाजपा ने संख्या और लक्ष्यों का जिक्र किया है, कांग्रेस ने योजना बनाने की बात कही है। दोनों स्थितियां इस भयाभय चुनौती से निपटने के लिए अपर्याप्त है।
बीमार हो गई भारत की आबोहवा
2017 में 8 में से कम से कम एक की मौत वायु प्रदूषण से हुई
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, 49 नदियां तीन साल में प्रदूषित हुई
2018 में 351 नदियां हैं प्रदूषित, 2015 में थीं 302
80 प्रतिशत आबादी की जलापूर्ति करने वाले भूमिगत जल में फ्लोराइड, नाइट्रोजन आदि का प्रदूषण
प्रदूषण की भयावहता से जनता अंजान
राजनेताओं के भाषणों में प्रदूषण मुद्दा न बन पाने का मुख्य कारण यह भी माना जाता है कि अभी छोटे शहर और ग्रामीण इलाकों में लोग यह जानते ही नहीं है कि प्रदूषण के कारण वे बीमार हो रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि जागरुकता न होने के कारण मतदाता इन मुद्दों की मांग नहीं करता। विशेष इसे सिविल सोसायटियों का असफलता मानते हैं कि वे आम लोगों के बीच पर्यावरण के मुद्दे को पहुंचाने में फेल हो रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस तरह राजनेता जमीनी मुद्दों पर बात करने से बच निकलते हैं।
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