नारी शक्ति: भोपाल को राजधानी बनाने के लिए मैमूना सुल्तान ने किया कड़ा संघर्ष
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल 1957 में जब संसदीय सीट के तौर पर अस्तित्व में आया तो मैमूना सुल्तान के रूप में पहली महिला सांसद मिलीं। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाली मैमूना स्वतंत्रता आंदोलन से...
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल 1957 में जब संसदीय सीट के तौर पर अस्तित्व में आया तो मैमूना सुल्तान के रूप में पहली महिला सांसद मिलीं। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाली मैमूना स्वतंत्रता आंदोलन से जुडी थीं और भोपाल को राजधानी बनाने के लिए संघर्ष करने वालों में शामिल थीं। मैमूना दूसरी बार 1962 में भी भोपाल से सांसद चुनी गईं।
भोपाल जब रियासत हुआ करता था तो लगातार 82 साल तक यहां महिला नवाबों ने शासन किया था। पर आजादी के बाद एक बार फिर भोपाल को एक महिला सांसद का प्रतिनिधित्व मिला। पहले लोकसभा चुनाव में रायसेन और सीहोर दो लोकसभा क्षेत्र भोपाल प्रांत में थे। पर 1956 में मध्य प्रदेश राज्य के गठन के बाद दोनों लोकसभा सीटों को मिलाकर भोपाल लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया।
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अफगानिस्तान के शाह की वंशज: मैमूना सुल्तान के परदादा शाह सूजा अफगानिस्तान के रहने वाले थे, जो दुर्रानी सम्राज्य के शासक थे। कांग्रेस नेता मैमूना सुल्तान के पिता मोहम्मद असगर अंसारी थे जो आईसीएस अधिकारी थे। मोहम्मद असगर केंद्र सरकार में कृषि मंत्रालय में सचिव रहे।
दो बार जनसंघ उम्मीदवार को हराया : मैमूना ने 1957 में अपने पहले चुनाव में हिंदू महासभा के हरदयाल देवगांव को शिकस्त दी। 1962 के चुनाव में हिंदू महासभा के उम्मीदवार ओमप्रकाश को पराजित किया। पर 1967 में जनसंघ के जेआर जोशी ने मैमूना को पराजित कर दिया। मैमूना मध्य प्रदेश कांग्रेस की सम्मानित नेता थीं। लोकसभा के बाद कांग्रेस पार्टी ने उन्हें बाद में दो बार राज्यसभा में भी भेजा। वे 1974 और फिर 1980 में उच्च सदन के लिए चुनीं गईं।
' 1932 में मैमूना सुल्तान का *जन्म हुआ.
' 1957 और 1962 में लोकसभा का चुनाव जीता.
' 1974 और 1980 में राज्यसभा की सदस्य चुनीं गईं.
' 2006 में उनकी मृत्यु हुई
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