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लोकसभा चुनाव 2019 : VIP Seat अमेठी में पीढ़ियों के रिश्तों से ‘स्मृति’ का मुकाबला

अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा नेता स्मृति जुबिन ईरानी आमने-सामने हैं। यहां लंबे समय से गांधी परिवार का प्रभाव बरकरार है, जिसे हटाकर भाजपा यहां अपनी जगह बनाने की कोशिश में जुटी है।...

लोकसभा चुनाव 2019 : VIP Seat अमेठी में पीढ़ियों के रिश्तों से ‘स्मृति’ का मुकाबला
के.के. उपाध्याय, लखनऊSat, 04 May 2019 11:41 AM
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अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा नेता स्मृति जुबिन ईरानी आमने-सामने हैं। यहां लंबे समय से गांधी परिवार का प्रभाव बरकरार है, जिसे हटाकर भाजपा यहां अपनी जगह बनाने की कोशिश में जुटी है। यहां चुनाव किन मुद्दों पर हो रहा है? गांधी परिवार के रुतबे के सामने खाद-पानी, रोजी-रोजगार, पढ़ाई-दवाई के मुद्दे हैं भी या नहीं? एयर स्ट्राइक, किसान सम्मान निधि, न्याय और राफेल वोट का आधार बन रहे हैं या नहीं? अमेठी के गांव-गांव घूम कर इन सवालों का जवाब जानने की कोशिश की हिन्दुस्तान, लखनऊ के संपादक के.के. उपाध्याय ने।

अमेठी अवध का एक कस्बानुमा इलाका है, जिसके तमाम गांव-गलियारे ‘गांधियों’ की स्मृतियों से भरे पड़े हैं। कहीं भी निकल जाइए, कोई न कोई आपको संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी या राहुल गांधी-प्रियंका गांधी का कोई किस्सा बता ही देगा। बात का, मुलाकात का या केवल उन्हें देखने का। वर्ष 1975 में पहली बार खेरौना गांव में श्रमदान करके संजय गांधी ने इस इलाके से रिश्ता जोड़ा था। तब से गांधी परिवार का इस इलाके से रिश्ता कायम है। शायद यह देश का अकेला ऐसा लोकसभा क्षेत्र होगा, जिसने लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंचे अपने दो सांसद और वे भी सहोदर असमय खो दिए। वर्ष 1980 में संजय गांधी का एक हवाई हादसे में निधन हो गया, जबकि 1991 में राजीव गांधी की हत्या हो गई। 

राहुल गांधी यहां से पिछले तीन लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। वर्ष 2014 की तरह इस बार भी भाजपा ने स्मृति जुबिन ईरानी को राहुल के मुकाबले में उतारा है। पिछले चुनाव में स्मृति करीब एक लाख वोटों से हार गई थीं। इस चुनाव में भी अमेठी पर पूरे देश की निगाहें लगी हैं। यहां मुकाबला सीधा है। गठबंधन ने यहां कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है। 

बेरोजगारी का मसला : रोजगार जब पूरे देश में विपक्ष का मुद्दा बना है, तब अमेठी में भी इसका सवाल उठ रहा है। इस सवाल पर लोग बंटे हुए हैं। कुछ लोग बेरोजगारी के लिए सरकार को जिम्मेदार मानते हैं तो कुछ स्थानीय सांसद राहुल गांधी को। 

वीवीआईपी का रुतबा : राहुल गांधी की वजह से अमेठी देश की वीवीआईपी सीट है। अमेठी के तमाम लोग इस रुतबे को बचाए रखना चाहते हैं, वहीं कुछ का मानना है कि वीवीआईपी सीट होने के बावजूद यहां का कुछ भला नहीं हुआ। लिहाजा बदलाव जरूरी है। थोड़ी नाराजगी इस बात से है कि सांसद राहुल यहां ज्यादा समय नहीं दे पाते। जबकि हारने के बावजूद स्मृति लगातार अमेठी से जुड़ी रहीं। उन्होंने भी गांव-गांव रिश्ते बना लिए हैं।

पहले भी राहुल थे, आगे भी रहेंगे : सुबह 10:30 बजे हैं। धूप तीखी है। अमेठी के तिलोई विधानसभा क्षेत्र के फुरसतगंज में चाय की दुकान पर चर्चा चल रही है। पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य शिवाजी कहते हैं, राहुल गांधी ही जीतेंगे। तीन साल पहले ब्रम्हनी गांव के पास रेल हादसा हुआ तो सोनिया गांधी आईं। सबके घर गईं और मदद भी की। सवाल होता है कि सांसद तो राहुल हैं, उन्होंने क्या किया? शिवाजी बोले, राहुल की कार को सड़क पर हाथ दे दो। वह रुक कर हाल-चाल पूछे बिना आगे नहीं बढ़ते। 

यहीं बैठे भाकियू (टिकैत) के नेता जगन्नाथ यादव शिवाजी की बात को ही आगे बढ़ाते हैं, दिल्ली में मोदी की सरकार बनेगी। मोदी अच्छा काम कर रहे हैं। आजादी के 75 साल बाद अब जाकर अमेठी के हर घर में बिजली पहुंची है। लेकिन अमेठी में पहले भी राहुल थे, अब भी राहुल हैं और आगे भी रहेंगे। ब्रम्हनी गांव के निवासी राम प्रकाश बोले, राहुल हमारे घर-परिवार जैसे हैं। दिल्ली में मोदी भले बने रहें, यहां तो राहुल भैया ही जीतेंगे।

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हमें तो 2000 रुपए नहीं मिले : दिन 11:45 बजे। धूप झुलसाने लगी है। तिलोई विधानसभा क्षेत्र के ही बेलन हसनपुर गांव में सड़क के किनारे छांव में बैजनाथ, राधेश्याम, दयाराम, मोहम्मद इसरार और संतराम बैठे हैं। अमेठी में इस बार कौन जीतेगा? इस सवाल के जवाब में सभी राहुल को अपनी पसंद बताते हैं। क्यों? यह सवाल करते ही केंद्र  सरकार से उनकी शिकायतों का पिटारा खुल जाता है। बैजनाथ शुरू करते है, मेरे पास दो बीघे जमीन है। मुझे किसान सम्मान निधि के 2000 रुपए नहीं मिले। संतराम, दया और इसरार तस्दीक करते है, हां, हमें भी नहीं मिले। राधेश्याम ने जोड़ा, गांव में कई लोगों को शौचालय मिला, मुझे नहीं मिला। इन सभी ने बाकी मुद्दों पर कहा, प्रधानमंत्री मोदी का काम अच्छा है, लेकिन वोट राहुल को ही देंगे। 

पहली बार घर-घर जा रहे कांग्रेसी : दोपहर 12:05 बजे। जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र के नवदांड गांव में चाय की एक दुकान। राजनीति पर गरमागरम चर्चा हो रही है। कल्लू रैदास बोले, धुंधा के पुरवा में चार घर दलित हैं। किसी को आवास नहीं मिला। राजेपुर गांव के शाहिद अली ने भी यही शिकायत की। कहा, आवास और शौचालय नहीं मिला। केवल बातें हुई हैं। इसलिए लोग राहुल के साथ हैं। पुरे गिसाराय गांव निवासी यशवंत ने उनकी बात काट दी। कहा, राहुल गांधी को पता है कि वह अमेठी हार रहे हैं, इसलिए वायनाड चले गए। यहां से जीत जाएंगे तो भी भागेंगे। मुकेश पांडेय ने कहा, स्मृति ईरानी हारने के बाद भी लगातार सक्रिय हैं, काम किया है। मोदी जैसा चेहरा देश में कोई नहीं है। अमेठी में पहली बार ऐसा हुआ है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दरवाजे-दरवाजे जाना पड़ रहा है। लेकिन पास बैठे शिवकुमार श्रीवास्तव उनसे सहमत नहीं हुए। उन्होंने कहा, कुछ भी कहो, राहुल ही यहां से चुनाव जीतेंगे। 

पूर्वी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र में दिक्कतें : दोपहर एक बजे अमेठी जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर जगदीशपुर औद्योगिक क्षेत्र। कानपुर को छोड़ दें तो यह पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। यहां इंडो गल्फ फर्टिलाइजर और भेल सहित 500 से अधिक उद्योग इकाइयां हैं। इनकी आधारशिला राजीव गांधी ने रखी थी। इनमें से कई इकाइयां अभी तक बेहतरीन ढंग से चल रही हैं तो कुछ की रफ्तार मंद पड़ चुकी हैं। जबकि कुछ बंद हो चुकी हैं।

यहां इमर्जिंग बिजनेस चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष मकसूद अहमद खान से मुलाकात होती है। उन्होंने कहा, 24 घंटे बिजली मिलने के बावजूद जर्जर तारों के कारण निर्बाध बिजली आपूर्ति नहीं मिली। यूपीएसआईडीसी प्लॉटों की कब्जेदारी की समस्या का समाधान नहीं कर पा रहा है। यहां राजीव गांधी के बाद कोई विकास हुआ ही नहीं। राहुल ने भी कोई खास काम नहीं किया है। इस क्षेत्र में करीब 25 हजार लोग रोजगार से जुड़े हैं। लोग वोट किसे देंगे? इस सवाल पर इशारों में बोल, राहुल ने काम किया हो या नहीं, वोट तो उन्हें ही देंगे।

छुट्टा जानवरों से किसान परेशान : दोपहर 2:45 बजे हैं। जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र के कनकपुर गांव में कुछ युवक एक जगह इकट्ठा मिले। राजू, आरिफ, मोहम्मद सईद, मोहम्मद मंसूर, जहीर अहमद। अमेठी में कौन-कौन से मुद्दे हैं? यहां कौन जीतेगा? इन सवालों पर इन नौजवानों ने कहा, नीलगायों और छुट्टा जानवरों ने किसानों की कमर तोड़ दी है। सरकार ने इसका कुछ इंतजाम नहीं किया। राजू ने कहा, मेरे तीन बीघे गेहूं के खेत की सारी फसल छुट्टा जानवर चर गए। निगरानी में एक दिन चूके, पूरे साल की मेहनत बर्बाद हो गई। इस गांव में मुसलमान और दलित हैं। नौजवानों ने बताया, यहां वोट सिर्फ राहुल गांधी को ही जाएगा। क्यों? राहुल ने ऐसा क्या किया है? नौजवान बस इस बात से खुश दिखे कि राहुल गांधी के काफिले को हाथ दो तो वह रुक जाते हैं और बातें करते हैं।

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हारने के बाद भी 24 बार आईं स्मृति ईरानी : दोपहर 3:10 बजे। मुसाफिरखाना बाजार में चाय की एक दुकान पर कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ता चाय पी रहे हैं। इन्हीं में यूथ कांग्रेस के प्रदेश सचिव वरुण मिश्रा भी हैं। उनकी टीम के सदस्यों ने बताया कि वे प्रतिदिन सुबह सुल्तानपुर से अमेठी आते हैं और रात में वापस चले जाते हैं। इन युवा कांग्रेसियों ने कहा कि राहुल यहां हैं, इसलिए स्मृति आई हैं। भाजपा के लोग अमेठी को चारागाह समझ रहे हैं। पेपर, मिल, ट्रिपल आईटी और फूड पार्क, जो यहां प्रस्तावित था उसे भाजपा सरकार ने खत्म कर दिया। 

इसी बाजार में फल विक्रेता मोहम्मद रिजवान मिलते हैं। उन्होंने कहा, क्षेत्र की जनता जोश में है। राहुल बंपर वोटों से जीतेंगे। भाजपा तो जमानत बचाने की लड़ाई लड़ रही है। आगे बढ़ने पर गौरीगंज विधानसभा क्षेत्र के गांव पुरे मलिक मौजा खौदिया में जगन्नाथ यादव और अरविंद यादव से मुलाकात हुई। इन लोगों ने कहा कि हारने के बाद भी स्मृति 24 बार अमेठी आईं। राहुल चुनाव जीतकर भी दिखाई नहीं देते हैं। भाजपा ने बहुत काम किया है।  

अमेठी बताते ही 10 जनपथ में होती है सुनवाई : शाम 4:10 बजे। अमेठी विधानसभा क्षेत्र के मुंशीगंज स्थित अंबेडकर बाजार में चाय की दुकान। 40 दुकानों वाला यह बाजार राजीव गांधी ने बनवाया था। दुकानदार बताते हैं, यहां दुकानें बहुत ही कम दाम पर लोगों को दी गई थीं। यहां मिले उमेश कुमार, श्रीराम और लक्ष्मण प्रसाद गौतम ने कहा, अमेठी वीवीआईपी इलाका है तो इसकी वजह गांधी परिवार है। इस परिवार ने यहां के गांव-गांव में  सड़कें बनवाईं। इस क्षेत्र में एचएएल और ऑर्डिनेंस फैक्टरी है जिनसे रोजगार मिला। इसीलिए अमेठीवासी गांधी परिवार को मानते हैं। यहां से कोई दिल्ली जाए और 10, जनपथ में अमेठी का नाम बता दे तो फौरन उसकी सुनी जाती है। 

राहुल गांधी
19 जून, 1970 को जन्में राहुल गांधी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पुत्र हैं। उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से एम.फिल. किया है। राहुल पहला लोकसभा चुनाव 2004 में अमेठी से लड़े और जीते। 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस का प्रचार किया। उसी साल उन्हें पार्टी संगठन में अहम जिम्मा दिया गया और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का महासचिव बनाया गया। वर्ष 2009 का आम चुनाव वह 3,33,000 वोटों के अंतर से जीते। तब कांग्रेस ने यूपी में 21 सीटें जीती थीं। इसका श्रेय राहुल को ही दिया गया। 2017 में वह कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए। 

स्मृति जुबिन ईरानी
मौजूदा केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी इस बार भी भाजपा की टिकट पर अमेठी लोकसभा सीट से प्रत्याशी हैं। वह राज्यसभा सांसद हैं। उन्हें अभिनय से राजनीति में आए लगभग डेढ़ दशक हो चुके हैं। 2003 में वह भाजपा में शामिल हुई थीं। 2004 में उन्हें पार्टी ने महाराष्ट्र की युवा शाखा का उपाध्यक्ष बनाया। 2004 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा की टिकट पर दिल्ली के चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी बनीं, हालांकि वह जीत नहीं पाईं।  2010 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया और  2011 में गुजरात से राज्यसभा सांसद चुना गया। उन्हें 2014 में अमेठी से हारने के बावजूद केंद्र में मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिया गया।

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अमेठी संसदीय सीट का इतिहास
आजादी के बाद पहले लोकसभा चुनाव के वक्त अमेठी संसदीय क्षेत्र वजूद में ही नहीं था। पहले यह इलाका सुल्तानपुर दक्षिण लोकसभा क्षेत्र में आता था, जहां से कांग्रेस के बालकृष्ण विश्वनाथ केशकर जीते थे। 1957 में मुसाफिरखाना सीट अस्तित्व में आई, जो फिलहाल अमेठी जिले की तहसील है। केशकर यहां से जीतने में भी सफल रहे। 1962 के लोकसभा चुनाव में राजा रणंजय सिंह कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। रणंजय सिंह वर्तमान राज्यसभा सांसद संजय सिंह के पिता थे।

1980 में संजय गांधी चुनावी मैदान में उतरे और जीते। इस जीत ने अमेठी को गांधी परिवार की सीट में तब्दील कर दिया। उनके निधन के बाद 1981 में हुए उपचुनाव में राजीव गांधी अमेठी से सांसद चुने गए और यहां से लगातार जीतते रहे। सोनिया गांधी ने राजनीति में कदम रखने के बाद 1999 में अमेठी को अपनी कर्मभूमि बनाया। 2004 के चुनाव में उन्होंने अपने बेटे राहुल गांधी के लिए यह सीट छोड़ दी। इसके बाद से राहुल यहां से लगातार तीन बार सांसद चुने जा चुके हैं। अमेठी संसदीय सीट कांग्रेस का दुर्ग है। इस सीट पर अभी तक 16 लोकसभा चुनाव और 2 उपचुनाव हो चुके हैं, जिनमें से 16 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। सिर्फ 1977 की जनता लहर में लोकदल और 1998 में भाजपा को यहां जीत मिली थी।

‘अमेठी का एमपी 2019 का पीएम’
शाम 5:20 बजे। अमेठी के जिला मुख्यालय गौरीगंज स्थित कांग्रेस का चुनाव कार्यालय। कार्यकर्ताओं का आना-जाना लगा है। कार्यालय की दीवार पर लिखा हुआ है, ‘अमेठी का एमपी, 2019 का पीएम’। 

कार्यालय की दूसरी तरफ सड़क पर रॉयल इनफील्ड बुलेट का शोरूम है। इस शोरूम में युवा रविभान सिंह मिलते हैं। वह इसी इलाके के लुगरी गांव के हैं। उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई कि राहुल के कर्ता-धर्ता योजनाओं का लाभ ईमानदारी से जनता तक नहीं पहुंचाते।  भाजपा का अभियान दरवाजे-दरवाजे चल रहा है। वह कहते हैं, तीन दिन पहले चनईपुर गांव में फसल में आग लग गई थी। सूचना मिलते ही स्मृति मौके पर पहुंच गईं और आग बुझाने का पूरा प्रबंध किया। आगे बढ़ने पर फिर से तिलोई विधानसभा क्षेत्र मिलता है। ओदारी चौराहे पर 10वीं के छात्र अबू सूफियान मिले। वह बताते हैं कि वह अभी मतदाता नहीं हैं, पर यहां सब ओर राहुल के चर्चे हैं।  

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