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बेंगलुरु उत्तर VIP सीट: इस सीट पर दो वोक्कालिगा नेताओं के बीच जंग

कर्नाटक की बेंगलुरु उत्तर लोकसभा में इस बार दो बड़े वोक्कालिगा नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई होने जा रही है। भाजपा ने जहां एक बार फिर डीवी सदानंद गौड़ा को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने यहां से...

बेंगलुरु उत्तर VIP सीट: इस सीट पर दो वोक्कालिगा नेताओं के बीच जंग
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 18 May 2019 04:48 PM
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कर्नाटक की बेंगलुरु उत्तर लोकसभा में इस बार दो बड़े वोक्कालिगा नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई होने जा रही है। भाजपा ने जहां एक बार फिर डीवी सदानंद गौड़ा को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने यहां से पंजायती राज मंत्री कृष्णा बैरे गौड़ा को प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही नेता वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं। 


सदानंद गौड़ा ने 2014 में इस सीट से भारी मतों से जीत दर्ज की थी। सदानंद दक्षिणी कन्नड़ जिले से आते हैं और इससे पहले मंगलोर और उडुपी से सांसद रह चुके हैं। वहीं कृष्णा बैरे गौड़ा राज्य सरकार में मंत्री हैं और बेंगलुरु उत्तर संसदीय क्षेत्र की बैटरायनपुरा सीट से विधायक हैं। बैरे गौड़ा दूसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इससे पहले 2009 में बेंगलुरु दक्षिण से भाजपा नेता अनंत कुमार से बैरे गौड़ा चुनाव हार चुके हैं।


कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के लिए यह सुरक्षित सीट मानी जा रही है। इससे पहले देवेगौड़ा यहां से चुनाव लड़ना चाहते थे। कांग्रेस ने पहले बेंगलुरु उत्तर सीट को जेडीएस को देने पर विचार किया था। पर यह बताया गया कि बेंगलुरु उत्तर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के अधिकांश विधायक सिद्धरमैया गुट के हैं जो कि देवेगौड़ा के विरोधी रहे हैं। इस कारण जेडीएस इस सीट को कांग्रेस को देने को तैयार हो गई। देखा जाए तो लोकसभा चुनावों में यहां के मतदाता राष्ट्रीय मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं लेकिन इस बार कृष्णा बैरे गौड़ा के ताल ठोंकने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है।


इस सीट को पूर्व में अलग-अलग नामों से जाना जाता रहा है। 1957 से 1962 के चुनाव में यह सीट बेंगलुरु शहर के नाम से जानी गई जबकि पहले इसे बेंगलुरु उत्तर का ही नाम दिया गया था। इस सीट पर 1951 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के केशव अयंगर को जीत मिली थी। तब से 1996 तक यानी 45 साल इस सीट पर लगातार कांग्रेस को जीत मिलती रही। पहली बार 1996 में जनता दल के सी नारायणसामी ने बेंगलुरु उत्तर सीट पर जीत दर्ज की। इसके बाद से यहां पर भाजपा का खाता खुलना शुरू हुआ और 2004 में भाजपा के एच टी संगलियाना को जीत मिली। 2009 में भाजपाके डीबी चंद्र गौड़ा और 2014 के चुनाव में भाजपा के सदानंद गौड़ा यहां से सांसद चुने गए।


पेयजल संकट बड़ा मुद्दा -
बेंगलुरु उत्तर लोकसभा क्षेत्र में पेयजल की समस्या बड़ा मुद्दा रहा है। आधा निर्वाचन क्षेत्र टैंकरों से की जाने वाली पानी की आपूर्ति पर निर्भर है। पिछले आम चुनाव में सदानंद गौड़ा ने इस समस्या निजात दिलाने का वादा किया था पर समस्या पूरी तरह से हल नहीं हुई। 

आठ में पांच विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
बेंगलुरु उत्तर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें मल्लेश्वरम, यशवंतपुर, बैटरायनपुरा, हेब्बाल, महालक्ष्मी लेआउट, पुलकेशीनगर, दासरहल्ली और केआर पुरम हैं। इनमें से पांच विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है वहीं दो विधानसभा क्षेत्रों में जद (एस) के विधायक हैं। केवल मलेश्वरम विधानसभा क्षेत्र भाजपा के कब्जे में हैं।

सीके जाफर सात बार सांसद रह चुके हैं
बेंगलुरु उत्तर सीट पर अब तक हुए 16 चुनावों में से 12 बार कांग्रेस को जीत मिली है। जबकि पिछले तीन चुनावों में लगातार भाजपा यहां से जीत दर्ज करती आ रही है। इस सीट से एक चुनाव जनता दल ने भी जीता था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीके जाफर शरीफ सबसे ज्यादा सात बार इस सीट से सांसद रहे हैं, जिसमें में 1977-96 तक लगातार पांच बार वो जीत दर्ज कर चुके हैं।

 

मौजूदा सांसद - सदानंद गौड़ा 

sadanand gauda


 

कृष्णा आईटी समुदाय के बीच लोकप्रिय
कृष्णा बैरे ने वाशिंगटन में अमेरिकी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। साथ ही वह बेंगलुरु में आईटी समुदाय और शहरी मतदाताओं के बीच लोकप्रिय हैं। कृष्णा बैरे गौड़ा के लिए बेंगलुरु उत्तर सीट सुरक्षित मानी जा रही है। क्योंकि वह इसी संसदीय क्षेत्र की बैटरायनपुरा सीट से विधायक हैं। कृष्णा के पिता सी बैरे गौड़ा का वोक्कालिगा समुदाय में काफी सम्मान है। इसका फायदा भी बैरे को मिलने की उम्मीद हैं।


कौन कब जीता
1951-1957------------केशव अयंगर------------कांग्रेस

1962------------के हनुमंतय्या------------कांग्रेस

1967-1971------------के हनुमंतय्या------------कांग्रेस

1977-1980------------सीके जाफर शरीफ------------कांग्रेस

1984-1989------------सीके जाफर शरीफ------------कांग्रेस

1991------------सीके जाफर शरीफ------------कांग्रेस

1996------------सी नारायण स्वामी------------जनता दल

1998------------सीके जाफर शरीफ------------कांग्रेस

1999------------सीके जाफर शरीफ------------कांग्रेस

2004------------एचटी संगलियाना------------भाजपा

2009------------डी बी चंद्र गौड़ा------------भाजपा

2014------------सदानंद गौड़ा------------भाजपा 

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