Election: अपने घर में ही घिरे चंद्रबाबू नायडू, टीआरएस ने बढ़ाई मुश्किल
Elections: अरसे से केंद्र में भाजपा के खिलाफ तीसरे मोर्चे की मुहिम में जुटे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू अपने प्रदेश में ही घिरते जा रहे हैं। उनकी घेराबंदी में...
Elections: अरसे से केंद्र में भाजपा के खिलाफ तीसरे मोर्चे की मुहिम में जुटे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू अपने प्रदेश में ही घिरते जा रहे हैं। उनकी घेराबंदी में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) प्रमुख के. चंद्रशेखर राव की भूमिका अहम है। राव ने आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में वहां के प्रमुख विपक्षी दल वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन का ऐलान किया है। साथ ही एमआईएम को भी साथ ले लिया है। एक तरह से टीआरएस ने तेदेपा के खिलाफ एक अघोषित फ्रंट बना दिया है, जिससे निकलना नायडू के लिए टेढी खीर साबित होगा।
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सत्ता विरोधी लहर का फायदा वाईएसआर को : नायडू ने पिछले विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया था। तब वे एनडीए के घटक थे। विधानसभा की 175 में से 102 सीटें उन्होंने जीती थी। लेकिन वाईएसआर कांग्रेस का प्रदर्शन भी अच्छा था। उसने 68 सीटें जीतीं। तीन सीटें भाजपा तथा दो सीटें छोटे दलों को मिली थी। लेकिन इन पांच सालों में स्थिति बदल चुकी है। तेदेपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है। भाजपा का साथ देने के बावजूद आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिला पाना भी उनके खिलाफ जा रहा है। दूसरे, कांग्रेस से हाथ मिलाने का उनके दल के भीतर ही विरोध हो रहा है।
नायडू चिंतित
चंद्रबाबू नायडू इस गठबंधन से चिंतित हैं। हाल में उन्होंने इस बात पर नाराजगी भी जाहिर की है। वह कहते हैं कि टीआरएस और एमआईएम के समर्थन के पीछे भाजपा की चाल है। वे कहते हैं कि वाईएसआर और टीआरएस में पहले ही तय हो चुका है कि वे लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को समर्थन देंगे।