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14 वां आम चुनाव: 15 साल बाद खुला कांग्रेस का खाता

2004 के आम चुनाव के बाद कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने सरकार बनाई तो भाजपा को देश भर में कुल 138 सीटों पर संतोष करना पड़ा। गोरखपुर-बस्ती मंडल में उसके हाथ सिर्फ दो सीटें...

14 वां आम चुनाव: 15 साल बाद खुला कांग्रेस का खाता
अजय कुमार सिंह ,गोरखपुरSun, 14 Apr 2019 10:25 PM
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2004 के आम चुनाव के बाद कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने सरकार बनाई तो भाजपा को देश भर में कुल 138 सीटों पर संतोष करना पड़ा। गोरखपुर-बस्ती मंडल में उसके हाथ सिर्फ दो सीटें आईं। जबकि 1999 में छह सीटें मिली थीं। मंडल की बांसगांव सीट पर महावीर प्रसाद के जरिए 15 साल बाद कांग्रेस का खाता भी इस चुनाव में खुला। 

2004 में बांसगांव सीट पर 15 साल बाद कांग्रेस के महावीर ने की वापसी 
भाजपा दो सीटों पर सिमटी, बसपा ने तीन, सपा ने दो और एनएलपी ने जीती एक सीट 
पड़रौना में बालेश्वर यादव ने जीती सीट 

जिन दो सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी उनमें से एक गोरखपुर की योगी आदित्यनाथ (वर्तमान मुख्यमंत्री) और दूसरी महराजगंज की पंकज चौधरी की सीट थी। योगी आदित्यनाथ, सपा के जमुना प्रसाद निषाद से इस चुनाव में तीसरी बार मुकाबिल हुए थे। योगी की इस तीसरी जीत का अंतर 1998 के (26,206) और 1999 के  (7,339) के मुकाबले बढ़कर 1,42,309 मत हो गया था।

बांसगांव में कांग्रेस के महावीर प्रसाद की 15 साल बाद वापसी हुई। इसके पहले 1980 से 1989 तक वह इस सीट से सांसद थे। 1991,1999 और 1998 में भाजपा के राजनारायण पासी और 1996 में सपा की सुभावती पासवान ने यह सीट जीती थी। उधर, देवरिया लोकसभा सीट पर सपा के मोहन सिंह ने जीत हासिल की। 

वह इस सीट से 1991 और 1998 में भी सांसद चुने गए थे। सलेमपुर से सपा के हरिकेवल प्रसाद ने कांग्रेस के भोला पांडेय को चुनाव हराया था। पड़रौना लोकसभा सीट पर नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी से बालेश्वर यादव ने जीत हासिल की। तीन सीटों, डुमरियागंज से मोहम्मद मुकीम, खलीलाबाद से भालचंद्र यादव और बस्ती से  लालमणि प्रसाद ने बसपा के टिकट पर जीत हासिल की थी।  

2004 के चुनाव परिणाम
गोरखपुर        योगी आदित्यनाथ     भाजपा 
बांसगांव        महावीर प्रसाद         कांग्रेस
सलेमपुर        हरिकेवल प्रसाद        सपा
देवरिया        मोहन सिंह            सपा
पड़रौना        बालेश्वर यादव        नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी
महराजगंज        पंकज चौधरी        भाजपा 
डुमरियागंज    मोहम्मद मुकीम        बसपा
खलीलाबाद    भालचंद्र यादव        बसपा
बस्ती         लालमणि प्रसाद     बसपा 

2004 में आम तौर पर मतदाता शांत था। चुनाव में उसने जो नतीजे दिए वे सर्वेक्षणों में आ रहे रूझानों से अलग थे। कई सीटों पर बिल्कुल ऐसे उम्मीदवार जीते जिनके बारे में नहीं सोचा जा रहा था। राजनीति में ऐसा होना कोई असामान्य बात नहीं है। 
जयशंकर उपाध्याय, किसान 

चुनाव बाद देश को प्रधानमंत्री के रूप में एक अर्थशास्त्री मिला। मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री रहते 1991 में वैश्वीकरण की शुरुआत कराई थी। अब प्रधानमंत्री के रूप में उस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का अवसर उनके पास था। 
राधारमण तिवारी, किसान 
 
राजनीति में उतार चढ़ाव बहुत आते हैं। 2004 में स्थिति 1999 के बिल्कुल उलट थी। चुनाव बाद तेजी से बदले घटनाक्रम में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने और अगले दस साल तक इस पद पर रहे। इसके पहले देश ने उन्हें आर्थिक सुधार लागू करने वाले वित्तमंत्री के तौर पर देखा था।
पृथ्वीनाथ सिंह, किसान 

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