Lok Sabha Election: इंदिरा लहर में भी इस सीट पर नहीं जीत पाई कांग्रेस, चला था 'हंसिया हथौड़ा' और जगमगाया 'दीपक'
Lok Sabha Elections 2019: मुरादाबाद मंडल सियासत की सरजमीं पर नई इबारतें लिखता आया है। मतदाताओं ने यहां लहरों का रुख मोड़ा है। यहां के परिणाम चौंकाते रहे हैं। जब कांग्रेस की 1967 और 71...
Lok Sabha Elections 2019: मुरादाबाद मंडल सियासत की सरजमीं पर नई इबारतें लिखता आया है। मतदाताओं ने यहां लहरों का रुख मोड़ा है। यहां के परिणाम चौंकाते रहे हैं। जब कांग्रेस की 1967 और 71 में तूती बोलती थी, तब यहां के मतदाताओं ने कांग्रेस को हराया। दोनों चुनाव के बाद में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं, पर मुरादाबाद में कांग्रेस सफल नहीं हो सकी। जनसंघ, कम्युनिस्ट पार्टी ने दोनों और स्वतंत्र पार्टी ने यहां एक चुनाव में जीत हासिल की। देश का यह चौथा आम चुनाव था। जनसंघ के दीपक चुनाव चिह्न पर ओपीटी पुरुषार्थी 1967 में मुरादाबाद से प्रत्याशी बने और कांग्रेस के एमएस फखरी को शिकस्त दी। किसी को अंदाजा नहीं था कि ऐसा उलटफेर होगा।
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पांचवां चुनाव 1971 में हुआ, तब जनसंघ ने मुरादाबाद से वीरेंद्र अग्रवाल को उतारा। वह भी जीतकर संसद पहुंच गए। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी शमीम अहमद को हराया था। तब संभल सीट नहीं बनी थी। रामपुर से 1967 में स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार एनएसजेडए खान जीते। उन्होंने जनसंघ के एसकेतु को हराया था। कांग्रेस से एसए मेहंदी तीसरे स्थान पर रहे थे। अमरोहा लोकसभा सीट से लेफ्ट फ्रंट ने इशहाक संभली को टिकट दिया और अमरोहा की जनता ने उन्हें जिताकर संसद भेजा। संभली को 67 और 71 दोनों आम चुनाव में जीत हासिल हुई। संभली ने 67 में जनसंघ के आर सिंह को और 71 में चंद्रपाल सिंह को हराया।
इशहाक की छवि ईमानदार नेता की : इशहाक संभली की छवि बेहद ईमानदार नेता की थी। वह जनता में लोकप्रिय थे। कांग्रेस ने आजाद भारत में पहले दो चुनाव लगातार मुरादाबाद सीट से जीते। अमरोहा और रामपुर से लगातार तीन बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इसके बाद कांग्रेस का विजय रथ थमा। जनता ने पार्टी और लहर से परे चेहरों पर अपनी आस्था जताई। यह हाल तब का है, जब 1967 में कांग्रेस ने 520 में 283 और 1971 में 518 में 352 सीटें जीती थीं।