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वीआईपी सीट औरंगाबाद सीट: सूर्य की नगरी औरंगाबाद में चुनावी मुकाबला रोचक

सूर्य की नगरी औरंगाबाद में इस बार का मुकाबला काफी रोचक बना हुआ है। क्योंकि इस बार यहां से कांग्रेस का कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं है। दो दिन बाद नौ अप्रैल की शाम चुनावी भोंपू का शोर थम जाएगा। यूं...

वीआईपी सीट औरंगाबाद सीट: सूर्य की नगरी औरंगाबाद में चुनावी मुकाबला रोचक
औरंगाबाद | विकास कुमारSat, 18 May 2019 04:07 PM
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सूर्य की नगरी औरंगाबाद में इस बार का मुकाबला काफी रोचक बना हुआ है। क्योंकि इस बार यहां से कांग्रेस का कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं है। दो दिन बाद नौ अप्रैल की शाम चुनावी भोंपू का शोर थम जाएगा। यूं चुनाव में कुल 9 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं लेकिन मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है। 

एनडीए से वर्तमान भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह एक बार फिर मैदान में हैं, वहीं महागठबंधन की ओर से हम पार्टी पहली बार यहां से चुनाव लड़ रही है। इसके प्रत्याशी उपेंद्र प्रसाद हैं। उपेंद्र भी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि सांसद सुशील कुमार सिंह 2009 से लगातार सांसद हैं।  उससे पहले भी सांसद और विधायक रह चुके हैं। 

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उपेंद्र प्रसाद जदयू छोड़कर हम का दामन थाम लिए हैं। इन दोनों से इतर, औरंगाबाद की लड़ाई का एक तीसरा कोण यह है कि कांग्रेस की सीट हम के खाते में जाने से पुराने कांग्रेसी नाराज हैं। 

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हाल ही में निखिल कुमार के समर्थकों ने सदाकत आश्रम में काफी हंगामा किया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हम प्रत्याशी के लिए पुराने कांग्रेसियों को साधना आसान होता नहीं दिख रहा है। यही कारण है कि वोटरों को पक्ष में करने के लिए महगठबंधन कई बड़े नेताओं तेजस्वी यादव, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की सभाएं हो चुकी हैं। लेकिन यहां अबतक कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने दस्तक नहीं दी है। दूसरी तरफ  एनडीए की ओर से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, रामविलास पासवान आदि  की सभाएं इस क्षेत्र में हो चुकी हैं।  

विकास व देश की सुरक्षा का मुद्दा हावी
चुनाव विकास के मुद्द्े पर लड़ा जा रहा है। रमेश चौक हर बदलाव का गवाह रहा है। चर्चा के दौरान युवा मतदाता राजीव कुमार का कहना है कि देश की सुरक्षा से बढ़कर अभी कुछ नहीं है। मतदाता राजकुमार सिंह का मानना है कि औरंगाबाद में हाल के दिनों में विकास हुआ है। कई योजनाएं पूरी हुई हैं और इसका भी असर दिख रहा है। 2014 में गया के चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुप्रतिक्षित उत्तर-कोयल सिंचाई परियोजना को पूरा करने का आश्वासन दिया था। 2019 में कैबिनेट से 1622 करोड़ 47 लाख राशि का आवंटन हुआ। सिंचाई की दृष्टि से औरंगाबाद के लिए यह काफी महत्वपूर्ण परियोजना है।

मुख्यमंत्री, राज्यपाल भी बने हैं इस क्षेत्र के दिग्गज
छोटे साहब के नाम से प्रसिद्ध सत्येन्द्र नारायण सिन्हा छह बार चुनाव जीतकर और एक बार 1950 में बनी प्रोविजनल पार्लियामेंट के लिए चुने गए थे। वे बिहार के मुख्यमंत्री भी बने। इन्हीं के पुत्र निखिल कुमार भी यहां से सांसद रहे हैं, जो केरल और नागालैंड के राज्यपाल भी बने। 

देश-विदेश में फैली है देव सूर्य मंदिर की महिमा
औरंगाबाद क्षेत्र प्राचीन मगध जनपद का महत्वपूर्ण हिस्सा था। इतिहासकारों का भी मानना है कि इस इलाके के लोग प्रगतिशील सोच के रहे हैं। यहां के देव सूर्य मंदिर की महिमा देश-विदेश में फैली हुई है। कार्तिक और चैत्र महीने में यहां 10-15 लाख लोग छठ करने आते हैं। 

जातीय समीकरण 
जातीय समीकरण के मताबिक यहां राजपूत वोटरों की संख्या सबसे अधिक 17.5, उसके बाद यादव वोटरों की संख्या 10% है।  मुस्लिम व कुशवाहा 8.5 -8.5 प्रतिशत हैं। भूमिहार व ब्राह्मण मिलाकर वोटरों की संख्या 8 प्रतिशत है। एससी और महादलित वोटरों की संख्या 19 प्रतिशत है। 

मैदान में उतरे प्रत्याशी
1. सांसद सुशील कुमार सिंह, भाजपा, 
2. उपेन्द्र प्रसाद, हम, महागठबंधन
3. नरेश यादव, बसपा 
4. सोमप्रकाश सिंह, स्वराज पार्टी (लोकतांत्रिक)
5. डा. धर्मेन्द्र कुमार, अखिल हिन्द फारवर्ड ब्लॉक (क्रांतिकारी)
6. संतोष कुमार सिन्हा, निर्दलीय
7. धीरेन्द्र कुमार सिंह, निर्दलीय
8. अविनाश कुमार, पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक)
9. योगेन्द्र राम, निर्दलीय 

2014 
जीते- सुशील सिंह, भाजपा,     307941
हारे- निखिल कुमार, कांग्रेस,     241594

2009
सुशील कुमार सिंह, जदयू, 260153
सकील अहमद खां, राजद, 188095

2004
निखिल कुमार, कांग्रेस,     290009
सुशील कुमार सिंह, जदयू,     282549

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