नारी शक्ती: संविधान सभा की सदस्य थीं कैप्टन लक्ष्मी सहगल की मां
अम्मू स्वामीनाथन 1952 में तमिलनाडु के डिंडिगुल लोकसभा से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचीं। वे तमिलानाडु की तेज तर्रार गांधीवादी नेताओं में शुमार थीं। छोटी उम्र से ही महिला अधिकारों की आवाज बनीं।...
अम्मू स्वामीनाथन 1952 में तमिलनाडु के डिंडिगुल लोकसभा से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचीं। वे तमिलानाडु की तेज तर्रार गांधीवादी नेताओं में शुमार थीं। छोटी उम्र से ही महिला अधिकारों की आवाज बनीं। संविधानसभा के सदस्य के तौर पर संविधान निर्माण में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई।
अम्मू स्वामीनाथन का जन्म केरल के पालघाट में हुआ था। वे 13 भाई बहनों में सबसे छोटी थीं। उनकी औपचारिक शिक्षा नहीं हुई। 14 साल की उम्र में उनका विवाह उनसे 20 साल बड़े डॉ. सुब्रमा स्वामीनाथन से हुआ। पति ने उन्हे घर में ट्यूटर रखकर पढ़ाया। फिर वे अंग्रेजी बोलने लगीं और सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेने लगीं।
स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय
पति की प्रेरणा से अम्मू स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय हुईं। वे तमिलनाडु में कांग्रेस का प्रमुख चेहरा बन गईं। उन्होंने एनी बेसेंट व मालती पटवर्धन के साथ वूमेन इंडिया एसोसिएशन की स्थापना की। अम्मू ने संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने में सक्रिय भूमिका निभाईं। उन्होंने संविधान में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार देने की बात प्रमुखता से रखी। पहली लोकसभा के सदस्य के तौर पर अम्मू ने महिलाओं को मातृत्व संबंधी लाभ दिलाने के लिए कार्य किया।
कैप्टन लक्ष्मी सहगल की मां
अम्मू की चार संतानें हुईं। उनमें से एक लक्ष्मी का विवाह आजाद हिंद फौज के सेनानी प्रेम सहगल से हुआ और वे कैप्टन लक्ष्मी सहगल के नाम से जानी गईं। दूसरी बेटी मृणालिनी साराभाई हैं जो भरतनाट्यम की नृत्यांगना बनीं। अम्मू ब्राह्मण परिवार से थीं पर समाज से छूआछूत खत्म करने को जीवनभर काम किया।
सफरनामा
- 1894 में 22 अप्रैल को केरल में अम्मू स्वामीनाथन का जन्म
- 1908 में 14 वर्ष की उम्र में उनका विवाह हुआ
- 1934 में इंडियन नेशनल कांग्रेस में सक्रिय हुईं
- 1946 में संविधान सभा की सदस्य चुनी गईं
- 1952 में पहली लोकसभा की सदस्य चुनीं गईं
- 1978 में 4 जुलाई को पालघाट (केरल) में निधन हुआ