जन्माष्टमी पर डंठल वाले खीरे से क्यों पैदा होते हैं कृष्ण, जानें माता देवकी से क्या है कनेक्शन
- Krishna Janmashtami Special: जन्माष्टमी पर कई जगहों पर खीरे से कृष्णजी का जन्म करवाया जाता है। जानें क्या है इससे जुड़ी मान्यताएं।
जन्माष्टमी पर कृष्णजी के भोग में तरह-तरह की चीजें रखी जाती हैं। इसमें माखन-मिश्री, पंजीरी, पंचामृत, लड्डू शामिल हैं। कई जगह जन्म के वक्त डंठल वाला खीरा रखना जरूरी है। इसको काटकर कृष्ण को पैदा किया जाता है। यहां जानें डंठल वाले खीरे का कृष्ण और देवकी से क्या कनेक्शन है।
उत्तर भारत में कई जगहों पर कृष्ण जी का जन्म खीरे से करवाया जाता है। पूजा में डंठल वाला खीरा रखते हैं और सिक्के से डंठल को खीरे से अलग किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से कृष्ण देवकी की गर्भ से अलग हो जाते हैं। इसके बाद शंख बजाकर कृष्णी का स्वागत किया जाता है। कुछ जगहों पर खीरे को बीच से काटकर इसमें कृष्ण का बालगोपाल रूप भी रखा जाता है। फिर खीरा कृष्णजी को अर्पित करके प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
बता दें कि गर्भनाल से ही मां पोषक तत्व बच्चे तक पहुंचाती है। कई जगहों पर जन्माष्टमी वाला खीरा घर की गर्भवती को देना शुभ माना जाता है।
विज्ञान की दृष्टि से भी देखा जाए तो खीरा गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा होता है। यह मौसम उमसभरा है ऐसे में खीरा लोगों को डिहाइड्रेशन से बचाता है।
खीरा विटामिन सी, ए, के, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन और जिंक का अच्छा सोर्स है जो कि गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है।
गौर किया जाए तो कृष्ण जन्माष्टमी में दिए जाने वाले सारे भोग ऐसे होते हैं जो गर्भवती या प्रसूता की सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। वो चाहे मक्खन मिश्री हो, खीर, धनिया पंजीरी या पंचामृत ही क्यों ना हो। खीरे सहित ये सारी चीजें सेहत के लिए अच्छी मानी जाती हैं।
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