'बूढ़ी दीवाली' के बारे में जानते हैं आप? देश में इस जगह मनाई जाती है खास परंपरा!
संक्षेप: दीपावली के ही त्यौहार का एक अलग रूप है जिसे 'बूढ़ी दिवाली' के नाम से जाना जाता है। इसमें दीपों के साथ मशालें जलती हैं, लोक गीतों की धुन पर नृत्य होता है और पूरा माहौल खुशी से जगमगा उठता है।

भारत अलग-अलग त्योहारों का देश है, जहां हर त्योहार अपनी एक अलग कहानी और एक अलग रंग लेकर आता है। कुछ ही दिनों में दीपावली का त्योहार पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं इसी त्योहार का एक और रूप है जो परंपरा, लोक संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत मेल है। जी हां, दीपावली के ही त्यौहार का एक अलग रूप है जिसे 'बूढ़ी दिवाली' के नाम से जाना जाता है। इसमें दीपों के साथ मशालें जलती हैं, लोक गीतों की धुन पर नृत्य होता है और पूरा माहौल खुशी से जगमगा उठता है। ये खास पर्व ‘बूढ़ी दिवाली’ के साथ ‘इगास’ नाम से भी जाता है। चलिए जानते हैं इस त्यौहार से जुड़ी कुछ खास बातें।
इस जगह पर मनाई जाती है बूढ़ी दिवाली
हिमाचल प्रदेश का कुल्लू शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और लोक परंपराओं के लिए जाना जाता है। ब्यास नदी के किनारे बसा यह शहर हर मौसम में पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसी शहर में 'बूढ़ी दिवाली' का पर्व मनाया जाता है। दिवाली के करीब एक महीने बाद जब देश के बाकी हिस्सों में त्योहारों की चहल-पहल कम हो जाती है, तब कुल्लू में 'बूढ़ी दिवाली' की तैयारी शुरू होती है। चारों तरफ लोक गीतों की धुन गूंजती है, लोग पारंपरिक वेशभूषा में सजते हैं और मशालों की रोशनी से पूरा इलाका जगमगा उठता है।
बूढ़ी दिवाली का पारंपरिक अंदाज
बूढ़ी दिवाली में दीप जलाने के साथ-साथ लोग जलती मशालें हाथों में लेकर नाचते-गाते हैं। यह दृश्य देखने में बहुत ही सुन्दर लगता है। इस दिन गांव-गांव में लोक नृत्य होते हैं, पारंपरिक गीत गाए जाते हैं और लोग एक-दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि अपनी संस्कृति को जीवंत रखने का तरीका भी है।
क्यों खास है यह पर्व
बूढ़ी दिवाली हिमाचल की संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। यह त्योहार यह दिखाता है कि आधुनिकता के दौर में भी लोग अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों से कितने गहराई से जुड़े हुए हैं। कुल्लू की वादियों में ना मनाई जाने वाली यह दिवाली ना केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि प्रकृति, संगीत और समाज के मेल का अद्भुत उदाहरण भी है।
यहां घूमने के लिए अन्य जगहें
कुल्लू की यात्रा केवल बूढ़ी दिवाली तक सीमित नहीं है। यहां आने पर आप श्री हनोगी माता मंदिर, रघुनाथ मंदिर, गुरुद्वारा मणिकर्ण साहिब, और बिजली महादेव मंदिर जैसे प्रसिद्ध स्थलों की यात्रा कर सकते हैं। इसके अलावा भृगु झील और खीरगंगा जैसी जगहों की प्राकृतिक सुंदरता आपके मन को सुकून देगी। त्योहार के दौरान इन जगहों का वातावरण और भी अधिक खूबसूरत हो जाता है, जिससे आपकी यात्रा यादगार बन जाती है।

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Anmol Chauhanलेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




