
1200 साल पुराने इस देवी मंदिर में तुरंत पूरी होती हैं इच्छाएं, जानें शंकराचार्य के स्थापित मंदिर में क्या है खास
संक्षेप: Sri Kshanambika Temple : मंदिर का नाम 'क्षणांबिका' इसलिए पड़ा क्योंकि कन्नड़ में 'क्षण' का अर्थ है 'सेकंड', होता है। यहां आने वाले भक्तों का ऐसा विश्वास है कि मंदिर की देवी भक्तों की प्रार्थनाओं को एक सेकंड में पूरा करती हैं।
व्यक्ति जब हर तरफ से निराश होता है तो वो या तो ईश्वर की शरण लेता है या फिर प्रकृति में सुकून खोजता है। लेकिन क्या आप जानते हैं ये दोनों ही चीजें आपको कर्नाटक राज्य के श्रीरंगपट्टनम शहर में मिल सकती हैं। जी हां, यहां क्षणांबिका देवी का 1200 साल पुराना मंदिर मौजूद है। जो श्री चक्र के साथ क्षणांबिका देवी की प्रतिमा के लिए जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां आने वाले भक्तों की इच्छाएं माता रानी बिना देर किए तुरंत पूरी कर देती हैं। आइए जानते हैं क्या है इस मंदिर की खासियत और यहां कैसे पहुंचा जा सकता है।

क्या है 'क्षणांबिका' का मतलब
यह मंदिर मैसूर से लगभग 19 किलोमीटर और श्रीरंगपट्टनम से मात्र 0.5 किलोमीटर की दूरी पर है। ज्योतिर्महेश्वर (शिव) मंदिर के रूप में पहचाने जाने वाले इस मंदिर में श्री यंत्र की स्थापना श्री आदि शंकराचार्य ने की थी। यह मंदिर न केवल कर्नाटक के लिए बल्कि पूरे भारत से भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जो अपनी आध्यात्मिक और भक्तों की मनोकामना पूरी करने की शक्ति के लिए जाना जाता है। मंदिर का नाम 'क्षणांबिका' इसलिए पड़ा क्योंकि कन्नड़ में 'क्षण' का अर्थ है 'सेकंड', होता है। यहां आने वाले भक्तों का ऐसा विश्वास है कि मंदिर की देवी भक्तों की प्रार्थनाओं को एक सेकंड में पूरा करती हैं।
शंकराचार्य ने करवाई मूर्ति की स्थापना
यह मंदिर देवी पार्वती के अवतार ललिता महात्रिपुरसुंदरी को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि यहां की मूर्ति को आदि शंकराचार्य द्वारा 6वीं शताब्दी में स्थापित किया था। मंदिर में देवी की मूर्ति के सामने एक श्री चक्र है, जिसमें बीजाक्षरी मंत्र खुदे हुए हैं। यह श्री चक्र ब्रह्मांड का प्रतीक है और इसे अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है। देवी क्षणांबिका मंदिर के पास निमिषांबा मंदिर भी है, जो एक मिनट में मनोकामना पूरी करने के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन क्षणांबिका मंदिर को उससे भी अधिक शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि यहां देवी एक सेकंड में मनोकामना पूरी करती है।
मंदिर में दर्शन करने का समय
मंदिर में देवी दर्शन का समय सुबह साढ़े 8 से साढ़े 11 और शाम साढ़े 5 से 8 बजे तक है।
कैसे पहुंचें
अगर आप बस से यात्रा कर रहे हैं तो बैंगलोर से मैसूर के लिए KSRTC या निजी बसें उपलब्ध होती हैं। श्रीरंगपट्टनम बस स्टॉप से मंदिर 10 मिनट की पैदल दूरी पर है। लेकिन आप अगर ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं तो : मैसूर या बैंगलोर से श्रीरंगपट्टनम या पांडवपुरा रेलवे स्टेशन तक ट्रेन उपलब्ध हैं। वहां से बस नंबर 313A, 313, 307 से मस्जिद के पास उतरकर 5 मिनट पैदल चलें।

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Manju Mamgainलेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




