
जब सोने का छत्र ले कर अकबर पहुंचा था मां के द्वार, नवरात्रि पर जानें ज्वाला देवी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
संक्षेप: कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी मंदिर ना केवल शक्तिपीठों में अपनी खास पहचान रखता है, बल्कि यहां घटने वाले चमत्कारों ने इसे और भी प्रसिद्ध बना दिया है। शारदीय नवरात्रि के पावन मौके पर जानते हैं, ज्वाला देवी मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
भारत में अनगिनत मंदिर हैं, जिनसे करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इन मंदिरों के साथ कई रहस्यमयी कथाएं और अद्भुत चमत्कार भी जुड़े हैं, जो इन्हें और भी खास बना देते हैं। इन्हीं पवित्र धामों में से एक है हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी मंदिर। यह मंदिर ना केवल शक्तिपीठों में अपनी खास पहचान रखता है, बल्कि यहां घटने वाले चमत्कारों ने इसे और भी प्रसिद्ध बना दिया है। यहां सदियों से जलती आ रही रहस्यमयी ज्वाला और मंदिर से जुड़ी प्राचीन कहानियां श्रद्धालुओं के मन में गहरी आस्था जगाती हैं। चलिए शारदीय नवरात्रि के पावन मौके पर जानते हैं, ज्वाला देवी मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
ज्वाला देवी मंदिर का रहस्य
ज्वाला देवी मंदिर को 'ज्वालामुखी मंदिर' या 'जोता वाली मां' का मंदिर भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में जलने वाली लौ किसी दीपक या घी-तेल से नहीं जलती, बल्कि यह प्राकृतिक रूप से प्रकट हुई है। भक्तों का मानना है कि यह अग्नि स्वयं मां ज्वाला का रूप है। यह लौ पानी के संपर्क में आने पर भी नहीं बुझती। गर्भगृह में स्थित इस ज्वाला को देखकर हर भक्त का विश्वास और गहरा हो जाता है।
ज्वाला देवी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा और मंदिर का इतिहास
ऐसी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने देवी सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित किया, तो उनकी जीभ जिस स्थान पर गिरी, वहां अग्नि की एक लौ प्रज्वलित हुई। कहते हैं उसी स्थान पर ज्वाला देवी मंदिर की स्थापना हुई है। एक अन्य कथा के अनुसार, राजा भूमि चंद कटोच ने इन ज्वालाओं के चारों ओर मंदिर का निर्माण कराया था। पांडवों ने भी इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया था, जिसका उल्लेख लोककथाओं और लोकगीतों में मिलता है।
अकबर और ज्वालादेवी मंदिर से जुड़ा इतिहास
इतिहास से जुड़ी एक कहानी है कि मुगल बादशाह अकबर ने ज्वाला देवी मंदिर की ज्वालाओं को बुझाने की कोशिश की थी। उसने नहर खुदवाकर पानी छोड़ने का आदेश दिया, लेकिन ज्वाला शांत नहीं हुई। इस चमत्कार को देखकर अकबर ने मां के चरणों में सोने का छत्र अर्पित किया, लेकिन मां ने उसे स्वीकार नहीं किया और वह किसी अनजान धातु में बदल गया। यही नहीं अकबर द्वारा अर्पित किया गया छत्र आज भी मंदिर में ही मौजूद है।
ज्वाला देवी दुर्गा के नौ रूप
हिमाचल प्रदेश के ज्वाला देवी मंदिर में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिनमें महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका और अंजनी देवी शामिल हैं। भक्त मानते हैं कि मां के इन नौ रूपों का दर्शन करने से जीवन की सभी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं।
(Image Credit: Pinterest)

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Anmol Chauhanलेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




