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भारत के पड़ोसी देशों में बने हैं ये 12 देवी मां के मंदिर, 51 शक्तिपीठों में होती है गिनती

भारत के पड़ोसी देशों में बने हैं ये 12 देवी मां के मंदिर, 51 शक्तिपीठों में होती है गिनती

संक्षेप: 12 ShaktiPeeth Outside From India: माता सती के अंग जिन स्थानों पर गिरे उन्हें शक्तिपीठ माना गया। मान्यतानुसार भारत के अलावा पड़ोसी देशों में भी ये शक्तिपीठ बने हैं और इन मंदिरों में वहां के स्थानीय लोगों की गहरी आस्था है। जिसमे से एक पाकिस्तान और बाकी नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में है। 

Fri, 26 Sep 2025 11:25 AMAparajita लाइव हिन्दुस्तान
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देवी दुर्गा में आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं में देवी शक्तिपीठ का खास महत्व है। मान्यतानुसार जिन-जिन स्थानों पर देवी सती के अंग और आभूषण गिरे उसे शक्तिपीठ माना गया। देवी पुराण में पूरे 51 शक्तिपीठों का उल्लेख मिलता है। जिसमे से एक दो नहीं पूरे 12 शक्तिपीठ दूसरे देश की धरती पर बने हुए हैं और इन मंदिरों में वहां के स्थानीय लोगों की भी गहरी आस्था है। पाकिस्तान के साथ ही ये शक्तिपीठ नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में भी बने हुए हैं। तो चलिए जानें कौन-कौन से हैं वो 12 शक्तिपीठ।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगलाज शक्तिपीठ

हिंगलाज शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है। ये शक्तिपीठ भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में रहने वाले हिंदूओं के लिए महत्वपूर्ण है। ये कराची से 250 किमी दूर है। माना जाता है कि यहां पर माता सती का सिर गिरा था।

दंतकाली शक्तिपीठ

दंतकाली शक्तिपीठ नेपाल के बिजयापुर गांव में माता सती के दांत गिरे थे। ये स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक हैं। इस मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

दाक्षायणी शक्ति पीठ

तिब्बत में मानसरोवर झील के नीचे, दक्षायनी शक्तिपीठ है। मान्यता है कि यहां पर माता सती के दाईं हथेली गिरी थी। इसलिए इन्हें माता दक्षायनी कहते हैं। यहां माता शिला रूप में विराजित हैं। इसे मनसा शक्तिपीठ भी बोलते हैं। ये शक्तिपीठ बहुत ही दुर्गम तीर्थ है यहां पहुंचने के लिए भक्तों को बहुत ऊंचाई चढ़नी पड़ती है।

आद्या शक्तिपीठ या गंडकी शक्तिपीठ

नेपाल के गंडक नदी के पास आद्या शक्तिपीठ है। यहां पर माता सती का बांया गाल गिरा था।

गुहेश्वरी शक्तिपीठ, नेपाल

नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर से दूरी पर बागमती नदी के किनारे पर गुहेश्वरी शक्तिपीठ है। यहां माता सती के दोनों घुटने गिरे थे। यहां शक्ति स्वरूपा महामाया या महाशिरा की पूजा होती है।

इंद्राक्षी शक्तिपीठ

श्रीलंका के जाफना नल्लूर में देवी के पायल गिरे थे। इस शक्तिपीठ को इंद्राक्षी शक्तिपीठ बोला जाता है।

यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ

यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ बांग्लादेश के खुलना जिले में यशोर नाम की जगह है, जहां मां सती की बाईं हथेली गिरी थी।

श्रीशैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ

बांग्लादेश के सिलहट जिले में माता सती का गला गिला था। इस शक्तिपीठ में महालक्ष्मी स्वरूप की पूजा होती है।

सुगंधा शक्तिपीठ

बांग्लादेश के शिकारपुर से 20 किमी दूर माता की नासिका गिरी थी। इस शक्तिपीठ में माता को सुगंधा कहा जाता है। इस शक्तिपीठ का एक अन्य नाम उग्रतारा शक्तिपीठ है।

जयंती शक्तिपीठ

बांग्लादेश के सिलहट जिले में जयंतिया परगना में माता की बाईं जांघ गिरी थी। यहां माता देवी जयंती नाम से स्थापित हैं।

चट्टल भवानी शक्तिपीठ

बांग्लादेश के चिट्टागौंग जिले में चंद्रनाथ पर्वत पर चट्टल भवानी शक्तिपीठ है। यहां माता सती की दायीं भुजा गिरी थी। इस मंदिर के पास ही गर्म पानी के प्राकृतिक सोते हैं। जिसमे नहाने से कई बीमारियां ठीक होती है। यहीं वजह है कि इस मंदिर पर यहां के स्थानीय लोगों की भी गहरी आस्था है।

अपर्णा शक्तिपीठ

बांग्लादेश में भवानीपुर के बेगड़ा में करतोया नदी के किनारे एक और शक्तिपीठ है,जिसे अपर्णा शक्तिपीठ के नाम से जानते हैं। मान्यतानुसार यहां पर देवी सती के बांए पैर की पायल गिरी थी। हालांकि इस शक्ति पीठ के बारे में थोड़ा संशय की स्थिति रहती है।

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