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World Liver Day 2022: मोटापा भी बढ़ा सकता है फैटी लिवर का खतरा, जानें लक्षण, कारण और बचाव

लिवर पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण अंग है। खराब जीवनशैली और खानपान की गलत आदतों के कारण लिवर से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं। इनमें से एक समस्या है फैटी लीवर। इसमें लिवर पर वसा (फैट) जमा होने लगती है। फैटी

World Liver Day 2022: मोटापा भी बढ़ा सकता है फैटी लिवर का खतरा, जानें लक्षण, कारण और बचाव
Manju Mamgain विवेक शुक्ला, नई दिल्लीTue, 19 April 2022 04:40 AM
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World Liver Day 2022: लिवर पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण अंग है। खराब जीवनशैली और खानपान की गलत आदतों के कारण लिवर से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं। इनमें से एक समस्या है फैटी लीवर। इसमें लिवर पर वसा (फैट) जमा होने लगती है। फैटी लिवर का सही इलाज न कराने से लिवर क्षतिग्रस्त होने लगता है। व्यक्ति का पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अन्य गंभीर शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

फैटी लिवर के दो प्रकार-
एल्कोहॉलिक फैटी लिवर-

काफी समय तक अधिक शराब पीने से यह समस्या हो सकती है। समस्या बढ़ने पर लिवर फाइब्रोसिस और लिवर सिरोसिस का रूप ले सकती है।

नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर-
यह समस्या गलत खानपान और असक्रिय जीवनशैली के कारण होती है।

फैटी लिवर के चार स्टेज-
फैटी लिवर के ग्रेड का निर्धारण लिवर में जमा वसा के आधार पर किया जाता है।

स्टेज-1 : इसे सिंपल फैटी लिवर की समस्या कहते हैं। लिवर पर सूजन व वसा का जमाव कम होता है। यह गंभीर नहीं है।

स्टेज 2 : इस अवस्था को नॉन-एल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस(एनएएसएच या नैश) भी कहा जाता है, जिसमें बहुत कम मात्रा में वसा जमा रहती है।

स्टेज 3 : यह स्थिति चिंताजनक है,जो लिवर फाइब्रोसिस की गंभीर समस्या के रूप में सामने आती है। इस स्टेज में लिवर की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं।

स्टेज-4: यह बेहद चिंताजनक स्टेज है। लिवर काम करना बंद कर देता है। इसे लिवर सिरोसिस कहा जाता है।

लक्षण: अनेक लोगों में दूसरी स्टेज तक फैटी लिवर के लक्षण प्रकट नहीं होते, पर कुछ लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। जैसे-
-वजन लगातार कम होना।
- आए दिन पेट से जुड़ी समस्याएं रहना। जैसे, पेट दर्द, अपच और गैस बनना, दस्त होना और सूजन होना।
-भूख कम होते जाना। उल्टी रहना।
-थकान और कमजोरी महसूस होना।
-आंखों, नाखूनों व त्वचा का पीला होना।

उपरोक्त लक्षणों में से किसी एक लक्षण के बार-बार सामने आने के बाद डॉक्टर से परामर्श लें।

कारण- 
-मोटापा या अधिक वजन । जिनका बॉडी मास इंडेक्स 30 से अधिक है, उनमें फैटी लिवर होने की आशंका ज्यादा होती है।
-हेपेटाइटिस होना। टाइप-2 डायबिटीज व हाई बीपी भी इसके खतरे को बढ़ाते हैं।
-शराब और अन्य मादक पदार्थों की लत।
-जंक फूड, ट्रांस फैट और अधिक चिकनाई युक्त चीजें ज्यादा खाना।
-रक्त में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड (एक तरह की वसा) बढ़ना।
-आनुवंशिक या जेनेटिक कारण।
-डॉक्टर के परामर्श केबिना स्टेरॉएड्स, पेन किलर्स और एंटीबॉयोटिक दवाएं लेना।

बचाव: 
-वजन काबू करने के लिए कम वसायुक्त चीजें खाएं। ट्रांस फैट से परहेज करें।
-अधिक कैलोरी युक्त डाइट से बचें। साबुत अनाज खाएं।
-शारीरिक क्षमता के अनुरूप करीब 30 मिनट व्यायाम नियमित करें। सक्रिय रहें।
-शुगर नियंत्रित रखें। नियमित दवाएं लें।
-उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रॉल और थायरॉएड की दवाएं समय पर लें।

बात इलाज की-
फैटी लिवर के इलाज में दवाएं 20 प्रतिशत ही असर दिखाती हैं। 80 प्रतिशत भूमिका स्वस्थ जीवनशैली व सही खानपान की है। डायबिटीज से जुड़ी दवाएं जैसे मेटफॉर्मिन भी फैटी लिवर में असरदार है।

फैटी लिवर की स्टेज 1 और 2 में डॉक्टर जीवनशैली व खान-पान में सुधार पर जोर देते हैं। ज्यादातर व्यक्ति इससे ही ठीक हो जाते हैं। अगर कोई व्यक्ति एल्कोहॉलिक फैटी लिवर से ग्रस्त है तो उसे शराब छोड़ने की सलाह दी जाती है। कुदरत ने लिवर को यह अद्भुत शक्ति प्रदान की है कि शराब छोड़ने पर वह अपने आप को स्वत: ही दुरुस्त कर लेता है।

वहीं नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर की समस्या में डॉक्टर मरीज को नियमित व्यायाम करने और खानपान में अत्यधिक वसायुक्त खाद्य पदार्थों (फैटी फूड्स) से परहेज करने का परामर्श देते हैं। फैटी लिवर के स्टेज 3 और स्टेज 4 वाले मरीजों का इलाज उनके लक्षणों के आधार पर किया जाता है। स्टेज 4 में लिवर सिरोसिस होने पर अगर दवाओं से राहत नहीं मिलती है, तो लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प बचता है, जो अत्यधिक खर्चीला है।

अगर लिवर कैंसर की समस्या है तो उपचार कैंसर के मानकों के आधार पर करते हैं।

हेपेटाइटिस से भी रहें सजग-
हेपेटाइटिस का समय रहते समुचित इलाज नहीं किया गया, तो यह लिवर को क्षति पहुंचाता है और अंत में लिवर सिरोसिस का कारण भी बन सकता है। हेपेटाइटिस में लिवर में सूजन आ जाती है। वायरस के आधार पर इसके 5 प्रकार हैं- हेपेटाइटिस ए,बी, सी,डी और ई। हेपेटाइटिस ए और बी के लिए वैक्सीन उपलब्ध है।

हमारे विशेषज्ञ: पद्मश्री डॉ. रणधीर सूद, चेयरमैन, मेदांता इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव एंड हेपेटोबिलियरी साइंसेस, गुरुग्राम।

डॉ. रविकांत ठाकुर, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, एपेक्स हॉस्पिटल, वाराणसी।

डॉ. सोमनाथ चट्टोपाध्याय, सीनियर लिवर स्पेशलिस्ट, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई।

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