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क्या है बायपोलर डिसऑर्डर जिसके मरीज को बार-बार आता है आत्महत्या का ख्याल,जानें शुरुआत में ही इससे कैसे निपटें

हाल ही में एक्ट्रेस शमा सिकंदर ने अवसाद व बायपोलर डिसऑर्डर के अपने संघर्ष के अनुभवों को फैंस के साथ शेयर किया। इस जंग से जीत हासिल करने के बाद शमा ने इस बीमारी को एक महामारी बताया है। शमा पिछले...

क्या है बायपोलर डिसऑर्डर जिसके मरीज को बार-बार आता है आत्महत्या का ख्याल,जानें शुरुआत में ही इससे कैसे निपटें
लाइव हिन्दुस्तान टीम ,नई दिल्ली Tue, 02 Jun 2020 06:44 PM
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हाल ही में एक्ट्रेस शमा सिकंदर ने अवसाद व बायपोलर डिसऑर्डर के अपने संघर्ष के अनुभवों को फैंस के साथ शेयर किया। इस जंग से जीत हासिल करने के बाद शमा ने इस बीमारी को एक महामारी बताया है। शमा पिछले पांच सालों से इस बीमारी की चपेट में थीं। उन्होंने अपना दर्द शेयर करते हुए कहा कि कभी-कभी यह बीमारी आप पर इतनी हावी हो जाती है कि आप आत्महत्या के बारे में भी सोचने लगते हैं। शमा की तरह दुनिया में करोड़ों लोग इस बीमारी से जूझ चुके हैं। आइए, जानते हैं आखिर कितनी खतरनाक है यह बीमारी- 

 

क्या है बायपोलर डिसऑर्डर
बायपोलर डिसऑर्डर एक मेंटल हेल्थ कन्डिशन है जिसमें व्यक्ति का मूड बदलता रहता है। मूड में होने वाले यह बदलाव सामान्य की श्रेणी में नहीं आते। इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति महीनों तक अवसाद में रह सकता है या फिर लंबे समय तक एंग्जाइटी की स्थिती से गुजर सकता है। 


बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति में तीन तरह के लक्षण-
पहला मैनिया (mania), दूसरा हायपोमैनिया (hypomania) और तीसरा डिप्रेशन।
मैनिया की स्थिति में व्यक्ति इमोशनल तौर पर काफी ज्यादा सेंसेटिव हो जाता है। भावनाओं पर उसका ज्यादा नियंत्रण नहीं रहता है। वह बहुत ज्यादा उत्तेजित, आवेग, बहुत ज्यादा खुश व ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करता है। मैनिया एपिसोड के दौरान व्यक्ति के कार्य व रिश्तों पर सबसे ज्यादा असर देखने को मिलता है।
हायपोमैनिया मैनिया से कम वाली स्थिति है। इसे ज्यादातर बायपोलर 2 डिसऑर्डर कहा जाता है। इस स्थिति में भी व्यक्ति के मूड में काफी बदलाव आते हैं हालांकि इससे उसके कार्य व रिश्तों को मैनेज करने की क्षमता पर असर नहीं पड़ता।
डिप्रेशन वाली स्थिति में व्यक्ति बहुत ज्यादा उदास, निराश, ऊर्जा में कमी, चीजों में कम रुचि, कम या बहुत ज्यादा नींद जैसे लक्षण दिखाता है। उसके दिमाग में आत्महत्या करने के ख्याल भी आ सकते हैं। ऐसे में इन लक्षणों को जल्दी पहचानना जरूरी है।

 

इस बीमारी का क्या है इलाज और बचाव 
ज्यादातर फैमिली फोकस्ड थेरेपी जैसे ईसीटी द्वारा रोगी को मदद दी जाती है। रोगी को इलेक्ट्रोकोनवल्सी थेरेपी या साइको-एजुकेशन और कुछ दवाएं, जिनमें मूड स्टेबलाइजर्स और एंटीडिपेंटेंट्स शामिल हैं।


बाइपोलर डिसऑर्डर का प्रमुख कारण तनाव है इसलिए तनाव कम से कम लें। तनाव के स्तैर को कम करने के लिए सबसे पहले आपको यह जानना जरूरी है कि तनाव का क्याै कारण है। शुरुआत में ही तनाव का इलाज करना बेहद जरूरी है, इससे आम समस्या मानते हुए नजरअंदाज बिल्कुल न करें।  


बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्या  उनमें भी पाई जाती है जो नशीले पदार्थो का सेवन डिप्रेशन से छुटकारा पाने या दिमाग को शांत रखने के लिए करते हैं। नशीले पदार्थों से दूर रहें क्यों कि सिगरेट या शराब के सेवन से तनाव घटने की बजाय बढ़ता है यह भी इस बीमारी का कारण बन सकता है।


बाइपोलर डिसऑर्डर में नियमित व्यानयाम बेहतर उपाय है। व्या याम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। 


असंतुलित भोजन दिनचर्या आपके तनाव को बढ़ाती है। तनाव के ज्या।दा बढ़ने से बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्याा बनती है।


बाइपोलर डिसऑर्डर में लोगों को नींद की समस्याै होना आम है। डिप्रेशन के कारण या तो वे बिल्कुसल नहीं सो पाते या बहुत ज्यासदा सोते हैं। ऐसे लोग बहुत अधिक थकान भी महसूस करते हैं। 


अपने दिमाग को सकारात्मक रखें। नकारात्मक पहलुओं के बारे में न सोचें। अगर आपके साथ कुछ ऐसा हुआ है, जिसे सोचकर आप तनाव में आ जाते हैं तो बेहतर होगा कि आप जिंदगी के नकारात्मक पहलुओं से खुद को दूर रखें और उनके बारे में न सोंचे।
 

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