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अध्ययन से खुलासा: सफल इलाज के बाद भी टीबी लौटने का खतरा

टीबी का सफलता पूर्वक इलाज करने के बाद भी 10 फीसदी से अधिक मरीजों में टीबी की बीमारी दोबारा लौटने का खतरा रहता है। दिल्ली समेत देश के छह राज्यों में ‘रिवाइज्ड नेशनल ट्यूबरक्लोसिस कंट्रोल...

अध्ययन से खुलासा: सफल इलाज के बाद भी टीबी लौटने का खतरा
नई दिल्ली | स्कन्द विवेकThu, 15 Nov 2018 11:30 AM
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टीबी का सफलता पूर्वक इलाज करने के बाद भी 10 फीसदी से अधिक मरीजों में टीबी की बीमारी दोबारा लौटने का खतरा रहता है। दिल्ली समेत देश के छह राज्यों में ‘रिवाइज्ड नेशनल ट्यूबरक्लोसिस कंट्रोल प्रोग्राम' (आरएनटीसीपी) के मरीजों पर हुए अध्ययन से यह खुलासा हुआ है। भारत सरकार के सेंट्रल टीबी डिविजन की ओर से कराए गए इस स्वतंत्र अध्ययन को अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2015 में तमिलनाडु, कर्नाटक, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं केरल राज्यों में 1565 टीबी मरीजों का चयन अध्ययन के लिए किया गया। ये वे मरीज थे, जो आरएनटीसीपी में टीबी के इलाज के लिए रजिस्टर हुए थे। इन मरीजों को आरएनटीसीपी कार्यक्रम के तहत छह महीने तक प्रति सप्ताह तीन दिन दवा दी गई।

इनमें से 1210 लोगों का सफलता से इलाज किया गया था। उन पर एक साल तक निगरानी रखी गई और एक बार फिर उनके स्पटम की जांच की गई। इसमें पाया गया कि 158 लोगों को दोबारा टीबी हो गई है। उसका मुख्य कारण मरीज के शरीर में मौजूद बैक्टीरिया का दोबारा सक्रिय होना पाया गया। रिपोर्ट में डॉट्स रिजीम पर सवाल उठाते हुए इस पर दोबारा विचार करने की सलाह दी गई है।

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विशेषज्ञ ज्यादा चिंतित नहीं
टीबी पर काम करने वाले विशेषज्ञ इन नतीजों को लेकर अधिक चिंतित नहीं हैं। टीबी के खिलाफ काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन से जुड़े टीबी विशेषज्ञ ने कहा कि यह अध्ययन सप्ताह में तीन दिन दवा देने वाले कार्यक्रम के समय किया गया था। अब सप्ताह में सातों दिन दवाएं दी जाती हैं। इससे इलाज पहले से बेहतर होता है और मरीज में डॉमरमेंट बैक्टीरिया पहले से कम बचते होंगे। अगर इलाज के बाद मरीज दोबारा टीबी मरीजों के आसपास रहेगा, तो उसे दोबारा टीबी होने का खतरा बना रहेगा।

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अफ्रीकी देशों में अधिक समस्या
इलाज के बाद दोबारा टीबी होने की सबसे बड़ी समस्या अफ्रीकी देशों में है। वहां कुछ देशों में 30 फीसदी तक मरीजों में दोबारा टीबी लौटने के मामले देखे गए हैं। वहीं, यूरोप एवं अन्य विकसित देशों में टीबी दोबारा लौटने की समस्या ना के बराबर है। मरीज में पोषण का स्तर एवं आसपास का पर्यावरण टीबी दोबारा लौटने में मुख्य भूमिका निभाता है। इसलिए विकसित देशों में यह समस्या बहुत सीमित है। जबकि गरीब देशों में यह काफी अधिक है।

बीच में इलाज छोड़ना गलत
संजीव कुमार (अतिरिक्त सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय) ने कहा- कई बार मरीज थोड़ा ठीक महसूस होने पर इलाज बीच में छोड़ देते हैं, इससे उन्हें दोबारा टीबी हो जाती है। इसके अलावा घर में या पास-पड़ोस में टीबी के मरीजों की उपस्थिति से भी टीबी होने का खतरा रहता है। इसे जागरूकता के जरिए ही दूर किया जा सकता है। सरकार इसे लेकर काम कर रही है।

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