बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए जरूरी है स्कूल में हाजिरी, जानें क्या कहता है यह अध्ययन
कोरोनावायरस वैश्विक महामारी से पूरी दुनिया परेशान हैं और इसका सबसे ज्यादा असर हुआ है स्कूली बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर। वेबिनार के जरिए बच्चों को लगातार ज्ञान की घुट्टी पिलाई जा रही है, इसका नतीजा...
कोरोनावायरस वैश्विक महामारी से पूरी दुनिया परेशान हैं और इसका सबसे ज्यादा असर हुआ है स्कूली बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर। वेबिनार के जरिए बच्चों को लगातार ज्ञान की घुट्टी पिलाई जा रही है, इसका नतीजा बाद में बहुत घातक होने वाला है। इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता कि पढ़ाई के लिए बच्चों का शारीरिक और मानसिक संपर्क बेहद जरूरी है। चंचलता से लेकर रचनात्मकता कई चीजें हैं, जो चीजें कभी ऑनलाइन कक्षाओं से बच्चों में नहीं आ सकतीं।
हाल ही में कोलंबिया की ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी ने इस पर अध्ययन किया और पाया कि इससे सबसे ज्यादा प्रभावित किंडरगार्डन से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चे होंगे। जब वे युवा अवस्था में पहुंचेंगे, तब उन्हें इसका खामियाजा चुकाना पड़ेगा।
अभिभावकों को दी नसीहत-
शोधकर्ता असिस्टेंट प्राफेसर आर्य अंसारी ने इस पर चिंता जाहिर की। उनका कहना है कि स्कूलों में बच्चों की अनुपस्थिति को हल्के में नहीं लेना चाहिए। खासकर बच्चों के माता-पिता इस गलतफहमी में हैं कि अपने जीवन के शुरुआती दौर में अगर उनका बच्चा स्कूल न भी जाए तो कोई दिक्कत नहीं है। अभिभावाकों के लिए दसवीं और बारहवीं कक्षा में स्कूल जाना मायने रखता है। जब वो बच्चा बड़ा हो जाता है, तब उसे अहसास होता है कि शुरुआती दिनों में स्कूल जाना उसके लिए कितना जरूरी था।
बदलावों पर किया शोध-
अंसारी और उनके सहयोगियों ने स्टडी ऑफ अर्ली चाइल्ड केयर एंड यूथ डेवलपमेंट के डाटा का इस्तेमाल किया, जो राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य और मानव विकास संस्थान द्वारा संचालित किया जाता है। जर्नल ऑफ यूथ एंड एडोलेसेंस में छपे इस शोध में संयुक्त राज्य अमेरिका के 10 शहरों के 648 छात्रों शामिल किया गया। बचपन से युवा होने तक उनके व्यवहार, ज्ञान, शैक्षिक, आर्थिक सफलता और राजनीतिक जुड़ाव संबंधी बदलावों पर अध्ययन किया गया।
स्कूल न जाने के कई दुष्प्रभाव-
जो छात्र शुरुआत में स्कूल से ज्यादा अनुपस्थित थे, युवा होने पर उनकी चुनाव में भागीदारी काफी कम थी। ज्यादातर युवाओं के पास रोजगार नहीं था। न तो उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी थी और न ही उन्हें कॉलेज जाने में कोई दिलचस्पी थी। इस अध्ययन से यह बात सामने आई है कि जैसे-जैसे आप स्कूल से कटते जाएंगे, वैसे-वैसे समाज से आपका लगाव भी कम होता जाएगा। इस शोध से बेशक लोगों को यह जानकारी मिलेगी कि कच्ची उम्र में बच्चे का स्कूल जाना उसके उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करता है।