वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि कोरोना वायरस टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन को खत्म कर सकता है। सार्स-सीओवी-2 वायरस पुरुषों को संक्रमित करने के बाद उनमें टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के स्तर को बिगाड़ सकता है। हार्मोन के स्तर में ज्यादा गिरावट होने पर रोगी की हालात गंभीर हो सकती है।
द एजिंग माले नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि जैसे ही पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर घटता जाता है, उनके लिए आईसीयू में भर्ती होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
मेर्सिन विश्वविद्यालय में यूरोलॉजी के प्रोफेसर सेलाहिटिन सियान के अनुसार, यह पहले ही स्पष्ट है कि टेस्टोस्टेरॉन का कम होना कोरोना रोगियों के लिए खराब स्थिति का कारण हो सकता है। पहले किए गए अध्ययन में यह साफ हो चुका है कि कोविड-19 ही टेस्टोस्टेरॉन को कम करता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, जिन रोगियों की मृत्यु हुई, उनमें जीवित रोगियों की तुलना में औसत टेस्टोस्टेरॉन कम था। उन्होंने कहा कि टेस्टोस्टेरॉन श्वसन अंगों की प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ा होता है और श्वसन संक्रमण के जोखिम को बढ़ाता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि निष्कर्ष यह बता सकते हैं कि कोरोना संक्रमित महिलाओं की तुलना में पुरुषों में बीमारी का स्तर ज्यादा गंभीर है। इसलिए, टेस्टोस्टेरॉन आधारित उपचारों का उपयोग करके नैदानिक परिणामों में संभावित सुधार की खोज में मदद मिलती है।