फोटो गैलरी

Hindi News लाइफस्टाइलब्लड प्रेशर से मृत्यु और विकलांगता का खतरा बढ़ा, ग्रामीण इलाकों में लोग ज्यादा प्रभावित

ब्लड प्रेशर से मृत्यु और विकलांगता का खतरा बढ़ा, ग्रामीण इलाकों में लोग ज्यादा प्रभावित

मध्यप्रदेश में तेजी से बढ़ रहे उच्च रक्तचाप के प्रकोप को रोकने के कार्य को सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य के रूप में प्राथमिकता दे रही है। उच्च रक्तचाप प्रबंधन और ट्रांस फैटी एसिड के उन्मूलन विषय पर कल...

ब्लड प्रेशर से मृत्यु और विकलांगता का खतरा बढ़ा, ग्रामीण इलाकों में लोग ज्यादा प्रभावित
वार्ता,भोपालSat, 25 Jan 2020 06:44 PM
ऐप पर पढ़ें

मध्यप्रदेश में तेजी से बढ़ रहे उच्च रक्तचाप के प्रकोप को रोकने के कार्य को सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य के रूप में प्राथमिकता दे रही है।
उच्च रक्तचाप प्रबंधन और ट्रांस फैटी एसिड के उन्मूलन विषय पर कल यहां आयोजित मीडिया संवाद में मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की अतिरिक्त निदेशक डॉ. सलोनी सिडाना में कहा कि प्रदेश सरकार ने पिछले 45 दिनों में लगभग 3० लाख लोगों के गैर संचारी रोगों (उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कैंसर) की जांच की है। इसमें से 86 प्रतिशत लोगों का उपचार किया जा रहा है।

डॉ. सिडाना ने कहा कि फालोअप इस स्क्रीनिंग का अभिन्न हिस्सा है। उच्च रक्तचाप पीड़ित को पहले दिन से ही उपचार दिया जाने लगा है। उच्च रक्तचाप गैर संचारी रोगों का एक प्रमुख जोखिम है। जांच की प्रक्रिया से पता चला कि ग्रामीण इलाकों में गैर संचारी रोगों का प्रकोप अधिक है जबकि इसके बारे में जागरूकता कम है। उन्होंने बताया कि स्क्रीनिंग की प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें आशा कार्यकतार्ओं को नॉन इंवैसिव ब्लड प्रेशर मशीनों के इस्तेमाल के करने के बारे में प्रशिक्षण भी शामिल है।

इस अवसर पर गांधी मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. राजीव गुप्ता ने कहा कि उच्च रक्तचाप मध्यप्रदेश में मृत्यु और विकलांगता के लिए प्रमुख जोखिम कारणों में से एक है। रक्तचाप की रोकथाम पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सुबह-सुबह रक्तचाप में होने वाली वृद्धि पर निगरानी रखना आवश्यक है। खासतौर पर सुबह 4 से 9 बजे के बीच क्योंकि इस अवधि के दौरान रक्तचाप बढ़ने से हृदय संबंधी आपात स्थितियों के होने की आशंका अधिक हो जाती है। उन्होंने कहा कि युवाओं में बढ़ता उच्च रक्तचाप चिंता का कारण है।

मध्य प्रदेश खाद्य एवं औषधि प्रशासन के संयुक्त नियंत्रक डी. के. नागेंद्र ने कहा कि माइक्रोबायोलॉजी लैब सहित प्रयोगशाला केन्द्रों की संख्या में वृद्धि करने से राज्य को वर्ष 2०22 तक औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस वसा से मुक्त होने की स्थिति प्राप्त करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर में नई प्रयोगशालाओं की स्थापना से हमारी परीक्षण क्षमताओं में वृद्धि होगी।

कंज्युमर वॉयस के सीओओ अशीम सान्याल ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रणनीति की तर्ज पर हमारा देश वर्ष 2०22 तक खाद्य प्रणाली से ट्रांस वसा को खत्म करने का ठोस प्रयास करे। उन्होंने बताया कि ट्रांस फैटी एसिड के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने में दिल्ली स्थित कंज्युमर वॉयस अग्रणी भूमिका निभा रहा है। ट्रांस फैट का उन्मूलन जन स्वास्थ्य की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

इस कार्यक्रम में एनसीडी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के उप निदेशक डॉ. आशीष सक्सेना सहित चिकित्सकों, नीति निमार्ताओं, समाजिक संगठनों और मीडिया कर्मियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और अपने विचार रखे।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें