खुशनुमान यादों ने घटाया लॉकडाउन का तनाव, सर्वे में सामने आया सच
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन में घर में बिताया गया एक-एक पल सदियों की तरह लगता था। रोजमर्रा की बोरियत और तनाव को मिटाने में गुजरे दिनों की खुशनुमान यादें 78 फीसदी लोगों के लिए किसी...
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन में घर में बिताया गया एक-एक पल सदियों की तरह लगता था। रोजमर्रा की बोरियत और तनाव को मिटाने में गुजरे दिनों की खुशनुमान यादें 78 फीसदी लोगों के लिए किसी सौगात से कम नहीं साबित हुईं। वनपोल की ओर से दो हजार से अधिक अमेरिकी वयस्कों पर की गई हालिया रायशुमारी तो कुछ यही बयां करती है।
सर्वे में शामिल 73 फीसदी प्रतिभागियों ने लॉकडाउन में भूली-बिसरी यादें ताजा करने की बात स्वीकारी। 90 प्रतिशत ने माना कि वे दिनभर में औसतन आठ खुशनुमान किस्सों का जिक्र किया करते थे। 84 फीसदी एक-दूसरे को ‘फील गुड’ कराने के लिए पुरानी तस्वीरें भेजते थे। शोधकर्ताओं ने पुरानी यादों को ताजा करने से मस्तिष्क पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव का भी विश्लेषण किया।
इसके लिए प्रतिभागियों से एक प्रश्नावली भरवाई गई, जिसमें जीवन से संतुष्टि और भविष्य को लेकर उम्मीदों का स्तर बयां करने वाले सवाल शामिल थे। जवाब में पुरानी यादों में झांकने वाले 34 फीसदी प्रतिभागियों ने कोरोना संक्रमण के जल्द काबू में आने की बात कही।
27 प्रतिशत ने माना कि मुश्किल दौर रिश्तों और खुशियों का महत्व समझने के लिए अहम हैं। ऐसे में महामारी के बावजूद उनमें जीवन से संतुष्टि के स्तर में कोई कमी नहीं आई है।
सर्वे का सच
-73 फीसदी प्रतिभागियों ने लॉकडाउन में भूली-बिसरी यादें ताजा करने की बात स्वीकारी।
-90 फीसदी दिनभर में औसतन आठ किस्से साझा करते थे, 84 फीसदी फोटो भी भेजते थे।
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