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जिंदगी के 48वें बसंत में खुशियों का ग्राफ हो जाता है कम, जानें वजह

अक्सर मिडलाइफ क्राइसिस यानी मध्य जीवन के संकट पर बातचीत की जाती है। कुछ लोग इसे सिर्फ एक मिथ्या समझते हैं। अगर आप भी ऐसा ही मानते हैं तो इस पर दोबारा विचार करें। एक हालिया शोध से पता चला है कि 48...

जिंदगी के 48वें बसंत में खुशियों का ग्राफ हो जाता है कम, जानें वजह
एजेंसी,ब्रिटेनSun, 13 Sep 2020 05:35 PM
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अक्सर मिडलाइफ क्राइसिस यानी मध्य जीवन के संकट पर बातचीत की जाती है। कुछ लोग इसे सिर्फ एक मिथ्या समझते हैं। अगर आप भी ऐसा ही मानते हैं तो इस पर दोबारा विचार करें।

एक हालिया शोध से पता चला है कि 48 वर्ष की आयु के आसपास इंसान सबसे ज्यादा दुखी और परेशान होता है। अध्ययन के मुताबिक हमारी खुशी का स्तर यू-आकार से मिलता-जुलता है, जब तक कि हम लगभग आधी सदी के निशान तक नहीं पहुंच जाते, मुश्किलें रहती हैं। इस बिंदु तक पहुंचने तक तनाव का स्तर बहुत हाई होता है। आर्थिक तंगी रहती है और बालों का रंग सफेद होना शुरू हो जाता है।

48 के बाद पटरी पर लौटती है जिंदगी-
मगर सकारात्मक बात ये है कि 48.3 की आयु के बाद जिंदगी का रुख फिर बदलता है। 70वें दशक तक पहुंचने तक हम व्यवहारिक रूप से खुशियों से भरे होते हैं।

500,000 प्रतिभागियों पर हुआ अध्ययन-
इस अध्ययन को इंग्लैंड के पूर्व नीति-निर्माता डेविड ब्लांचफ्लॉवर ने किया, जो अब अमेरिका में डार्टमाउथ कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। उन्होंने 145 देशों के करीब 500,000 व्यक्तियों का डाटा देखा और उन्होंने प्रथम विश्व और विकासशील देशों के बीच बहुत कम अंतर पाया। उन्होंने कहा कि बिना किसी किन्तु-परंतु के जिंदगी यू-आकार में है।गरीब-अमीर सभी देशों में ऐसा है।

हालांकि वक्र की गति उन देशों में सही है जहां औसत वेतन अधिक है। अध्ययन के दौरान प्रो ब्लांचफ्लॉवर ने प्रतिभागियों से सवाल पूछा आप आजकल अपने जीवन से कितने संतुष्ट हैं?' उन्होंने पाया कि 40 के दशक के प्रतिभागियों ने सबसे ज्यदा नकारात्मक जवाब दिया।

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