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बच्चों से ज्यादा पैरेंट्स हो रहे हैं मोबाइल लत के शिकार

आजकल जमाना डिजिटल हो गया है। बच्चे ही नहीं, बड़े भी मोबाइल पर खासा समय बिताते हैं। ऐसे में माता-पिता के भी मोबाइल में व्यस्त रहने की बात सामने आई है। एक सर्वे के अनुसार, 70 फीसदी माता-पिता इस बात को...

बच्चों से ज्यादा पैरेंट्स हो रहे हैं मोबाइल लत के शिकार
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 01 Jan 2020 01:23 PM
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आजकल जमाना डिजिटल हो गया है। बच्चे ही नहीं, बड़े भी मोबाइल पर खासा समय बिताते हैं। ऐसे में माता-पिता के भी मोबाइल में व्यस्त रहने की बात सामने आई है। एक सर्वे के अनुसार, 70 फीसदी माता-पिता इस बात को स्वीकार करते हैं कि वे जरूरत से ज्यादा समय ऑनलाइन रहते हैं। इसका नकारात्मक असर परिवार पर पड़ता है।

अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि उनके बच्चे हद से ज्यादा मोबाइल, लैपटॉप और अन्य गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं। मगर इस ओर कम ध्यान देते हैं कि कहीं उन्हीं से तो बच्चों में यह आदत विकसित नहीं हो रही। एक हालिया अध्ययन की मानें तो अभिभावक खुद जरूरत से ज्यादा वक्त तकनीक पर बर्बाद कर रहे हैं। अध्ययन में 72 फीसदी अभिभावकों ने माना है कि इंटरनेट और मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल का असर परिवार पर पड़ता है और उनका सामान्य पारिवारिक जीवन भी इसकी वजह से बाधित हो रहा है। बीते दिन जारी हुई एक रिपोर्ट में यह बात सामने आयी।

बुरी लत की तरह है- सर्वे के मुताबिक, 70 फीसदी माता-पिता इस बात से सहमत हैं कि इंटरनेट पर समय बिताना उनके लिए व्यसन सरीखा हो गया है। हालांकि 51 प्रतिशत लोग इंटरनेट और मोबाइल को खुद की और अपने बच्चों की बातचीत को प्रभावित करने की अनुमति दे देते हैं। ऐसे अभिभावक अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविध के साथ-साथ खुद भी मोबाइल फोन के प्रयोग की अपनी आदतों को रोकने का प्रयास नहीं करते हैं।

बच्चों पर भरोसा-

 रिपोर्ट के अनुसार, माता-पिता इंटरनेट के इस्तेमाल को लेकर बच्चों पर भरोसा करते हैं। कैस्परस्काई द्वारा कराए गए सर्वे में 52 प्रतिशत अभिभावकों ने इस बात को लेकर सहमति जताई कि उनके बच्चे जानते हैं कि कब इसका इस्तेमाल अधिक हो चुका है और उन्हें इसे बंद कर देना चाहिए। सर्वे के अनुसार, माता (48 फीसदी) की तुलना में पिता (57 प्रतिशत) बच्चों पर उनकी इंटरनेट आदत को लेकर अधिक विश्वास करते हैं। सर्वे में यह बात भी सामने आई कि 40 प्रतिशत पैरेंट्स को ऐसा लगता है कि उन्हें अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों को नियंत्रित करने की जरूरत नहीं है। हालांकि यह खतरनाक हो सकता है, क्योंकि साइबर खतरे महज एक क्लिक की दूरी पर होते हैं।

आकर्षक लगती है इंटरनेट की दुनिया-
सर्वे कराने वाली कंपनी कैस्परस्काई की अधिकारी मरीना टिटोवा के अनुसार इंटरनेट और डिजिटल दुनिया पर बच्चों को आकर्षक सामग्री मिलती है। इससे उनका ध्यान लंबे समय तक उसी में लगा रहता है। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं और कुछ ऐसी गतिविधयों में उन्हें शामिल करें जिससे उनका ध्यान इंटरनेट से कम हो।

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