फोटो गैलरी

Hindi News लाइफस्टाइलसिंगल चाइल्ड से जुड़े 5 मिथक जो पेरेंट्स के लिए जानने हैं जरूरी

सिंगल चाइल्ड से जुड़े 5 मिथक जो पेरेंट्स के लिए जानने हैं जरूरी

Common Myths About Raising Single Child: अकेले बच्चे बाकी बच्चों की तुलना में ज्यादा लाड़-प्यार की वजह से जल्दी बिगड़ जाते हैं तो कुछ लोग मानते हैं ऐसे बच्चे स्वभाव से बेहद जिद्दी होते हैं। अगर आप भी

सिंगल चाइल्ड से जुड़े 5 मिथक जो पेरेंट्स के लिए जानने हैं जरूरी
Manju Mamgainलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 30 May 2023 02:41 PM
ऐप पर पढ़ें

Common Myths About Raising Single Child: अकेले बच्चे को लेकर समाज में कई तरह के मिथक फैले हुए हैं। कई लोगों को लगता है कि अकेले बच्चे बाकी बच्चों की तुलना में ज्यादा लाड़-प्यार की वजह से जल्दी बिगड़ जाते हैं तो कुछ लोग मानते हैं ऐसे बच्चे स्वभाव से बेहद जिद्दी होते हैं। अगर आप भी सिंगल चाइल्ड पेरेंट्स हैं तो जानें क्या है अकेले बच्चों से जुड़े क्या हैं ये फेमस मिथक।  

अकेले बच्चे से जुड़ी 5 कॉमन गलतफहमियां- 

वे अकेले पड़ जाते हैं- 
इकलौते बच्चे अक्सर जीवन में अकेले रह जाते हैं। सिंगल चाइल्ड के बारे में यह सबसे आम गलतफहमी लोगों के मन में बनी रहती है। जबकि हकीकत यह है कि कुछ समय बाद हर बच्चा कभी न कभी अपने जीवन में अकेलेपन का सामना जरूर करता है। ऐसे में आपको इकलौते और अकेलेपन में फर्क पता होना चाहिए।  

स्वभाव से उग्र होते हैं इकलौते बच्चे- 
यह जरूरी नहीं कि हर इकलौता बच्चा अपने स्वभाव से उग्र स्वभाव का ही हो। बच्चे के स्वभाव से उग्र या बॉसी होने के पीछे उनके इकलौते होने से ज्यादा उसकी परवरिश जिम्मेदार होती है। बच्चा चाहे एक हो या दो, उन्हें शांत, संयमित रहते हुए अपनी बात रखना, दूसरों का सम्मान करना, शालीनता से व्यवहार करना जैसे शिष्टाचार जरूर सिखाएं।

पेरेंट्स पर रहते हैं निर्भर- 
कई लोगों को लगता है कि इकलौते बच्चे अपने पैरेंट्स पर जरूरत से ज्यादा इमोशनली और फिजिकली निर्भर रहते हैं। जबकि सच यह है कि वो ज्यादातर समस्याओं का सामना अकेले करते हुए जल्दी आत्मनिर्भर बन जाते हैं। उन्हें ज्यादातर अपनी समस्याओं से खुद निपटना होता है, ऐसे में कई वो पैरेंट्स की मदद लेने में भी पीछे नहीं रहते हैं, जो कि सही भी है। ऐसे बच्चे अपने पेरेंट्स से भावनात्मक रूप से काफी जुड़ा हुआ महसूस करते हैं।  

देर से होते हैं मैच्योर-
कई बार लोगों को यह लगता है कि अकेले रहने वाले बच्चों को मिलने वाला लाड़-प्यार उन्हें लंबे समय तक एम मैच्योर बनाए रखता है। ऐसे बच्चे जल्दी मैच्योर नहीं हो पाते। जबकि जो बच्चे अपने भाई-बहन के साथ रहते हैं वो  जल्दी मैच्योर हो जाते हैं। जबकि सच यह है कि मैच्योर होना हर व्यक्ति पर अलग-अलग निर्भर करता है। कई बार भाई-बहन के साथ रहने वाले बच्चे भी अकेले रहने वाले बच्चों की तुलना में जल्दी मैच्योर नहीं हो पाते । 

जरूरत से ज़्यादा संवेदनशील-
इकलौते बच्चों के बारे में यह बात भी काफी फेमस होती है कि वो जल्दी किसी भी बात से आहत हो जाते हैं। इस बात में यह सच्चाई जरूर है कि सिंगल चाइल्ड भाइयों-बहनों के साथ लड़ते-झगड़ते बड़े नहीं होते, सिबलिंग राइवलरी जैसे अनूठे अनुभवों से उन्हें दूर रहना पड़ता है। जिसकी वजह से वो इस बात को महसूस नहीं कर पाते कि झगड़े के बाद भी प्यार बना रह सकता है। जबकि अगर इसकी पॉजिटिव साइड देखें तो ऐसे बच्चे दूसरों की भावनाओं का हमेशा ख़्याल रखते हैं। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें