Parenting Tips: घर पर रहने से बच्चे हो गए हैं जिद्दी और चिढ़चिढ़े, पेरेंट्स के लिए ये है एक्सपर्ट्स की सलाह
Parenting in a Pandemic : कोरोना महामारी की वजह से आजकल बच्चों का सारा समय घर पर ही बीत रहा है। ऑनलाइन क्लास से लेकर दोस्तों से बातचीत और खेल, हर चीज के लिए फोन फर उनकी निर्भरता बढ़ती जा रही है। इसका...
इस खबर को सुनें
Parenting in a Pandemic : कोरोना महामारी की वजह से आजकल बच्चों का सारा समय घर पर ही बीत रहा है। ऑनलाइन क्लास से लेकर दोस्तों से बातचीत और खेल, हर चीज के लिए फोन फर उनकी निर्भरता बढ़ती जा रही है। इसका सीधा असर बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावावेश पर पड़ा है। जिसकी वजह से बच्चे गुस्सैल, दुखी और चिढ़चिढ़े से रहने लगे हैं।
डॉ चांदनी तुगनैत, एमडी (एएम) साइकोथेरेपिस्ट,( Life Alchemist, Coach & Healer , Founder & Director, Gateway of Healing) कहती हैं कि ज्यादातर समय घर में बंद रहने और फोन पर समय बिताने की वजह से बच्चों की लर्निंग पावर कमजोर होने के साथ, भावनात्मक समस्याएं, घर के माहौल का ठीक ना होना, एंग्जायटी, डिप्रेशन, दिमाग में थकावट, नींद पूरी न होना, चिड़चिड़ापन, आदि जैसी परेशानी देखने को मिल रही हैं। ऐसे में माता-पिता का परेशान होना स्वाभाविक है। अगर आप अपने बच्चे के व्यवहार से परेशान हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
बच्चे के व्यवहार से परेशान हैं तो अपनाएं ये टिप्स-
बच्चों की बात सुनें -
अगर बच्चा कोई गलत काम कर रहा है या उससे कोई गलती हो गई है तो उसे डांटने या मारने के बजाय, उसकी बात ध्यान से सुनें, उसे समझाएं और उस काम को करने का सही तरीका बताएं। अगर आप बच्चे की गलती पर उस पर चिल्लाएंगे या उसके साथ मारपीट करेंगे तो बच्चा कुछ भी सीखने की जगह आपसे डरने लगेगा, आपसे बातें छिपाने लगेगा और खुद को छोटा महसूस करेगा।
संतुलित आहार -
बच्चों की डाइट का ध्यान रखें। जंक फूड कम करके, बच्चों को पौष्टिक आहार दें। इससे बच्चों की नींद, व्यवहार, मानसिक संतुलन और शारीरिक विकास में सुधार होगा। डाइट में कुछ ऐसी चीजें (जैसे बादाम, फल, हरी सब्ज़ियां, आदि) शामिल करें, जिससे आपके बच्चे का मानसिक विकास हो सके।
बच्चों के तनाव को करें दूर -
बच्चों के जीवन में पढ़ाई,दोस्त या फिर खेलकूद जैसी चीजों को लेकर तनाव हो सकता है। हालांकि हमारे लिए ये तनाव बहुत छोटा है लेकिन बच्चों का जीवन इन्हीं चीजों के आस-पास घुमता रहता है। ऐसे में बच्चों के तनाव को समझें। साथ ही उनका ध्यान दूसरी तरफ लगाएं। उनसे बातचीत करें, उनकी तरफ़ ध्यान दें, उन्हें सपोर्ट करें और उन्हें ऐसा मौहौल दें जिसमें वो अपने दिल की बात आपसे बिना डरे कर सकें।
बच्चों की तारीफ करें -
बच्चों की तारीफ करना बहुत जरूरी है। ऐसा करने से ना केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा भी मिलती है। माता पिता की यह जिम्मेदारी बनती है कि वो छोटी-छोटी चीजों पर अपने बच्चों की तारीफ करें और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। ऐसा करने से उनका ध्यान सही दिशा में लगेगा।
बच्चों के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीमित करें -
आजकल बच्चों का अधिकतम समय टेक्नॉलजी में ही लगा हुआ है - पढ़ाई, खेल, एंटर्टेन्मेंट, दोस्तों से बातें, सोशल मीडिया, आदि में पूरा दिन निकल जाता है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है के माता-पिता अपने बच्चों के लिए टेक्नॉलजी का प्रयोग थोड़ा सीमित कर दें। उन्हें अच्छी आदतों की अहमियत सिखाएं ताकि उनके शारीरिक, मानसिक और भावावेश पर बुरा प्रभाव ना पड़े।
यह भी पढ़ें : नए रिश्ते में बंध रहीं हैं, तो सम्मान और प्यार बनाए रखने के लिए इन 6 मुद्दों पर जरूर करें बात