Movember: फैशन ट्रेंड नहीं इस बड़े अभियान का हिस्सा है 'No Shave November'
'No Shave November' या 'Movember' अभियान में पुरुष पूरे नवंबर महीने में अपनी मूछें नहीं काटते हैं।
'No Shave November' या 'Movember' अभियान में पुरुष पूरे नवंबर महीने में अपनी मूछें नहीं काटते हैं
आज से कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर दाढ़ी और मूछें बढ़ाने वाले पोस्ट और सेल्फी आम होने वाली हैं। नवंबर महीना शुरू होते ही दुनियाभर में पुरुष मूछें बढ़ाने लगते हैं। ये कोई फैशन या ट्रेंड नहीं है बल्कि ये एक ग्लोबल कॉज यानि एक अभियान है जो दुनियाभर में चलाया जाता है। पिछले कुछ सालों से भारतीय पुरष भी इस अभियान से काफी तादाद में जुड़ते दिख रहे हैं।
क्या होता है 'नो शेव नवंबर'
दरअसल, 'No Shave November' या 'Movember' अभियान में पुरुष पूरे नवंबर महीने में अपनी मूछें नहीं काटते हैं। यह अभियान दुनियाभर में पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर, टेस्टिकुलर कैंसर और सुसाइड से जुड़ी जागरुकता फैलाने के लिए चलाया जाता है। जितने ज्यादा लोग इस अभियान से जुड़ते हैं उतना ही फंड उन पुरुषों के इलाज और स्वास्थ्य योजनओं के लिए भेजा जाता है जो कम उम्र में ही प्रोस्टेट और टेस्टिकुलर कैंसर की बीमारी का शिकार होते हैं।
ऐसे शुरू होआ ये मूवमेंट
1999 में ऑस्ट्रेलिया के एक प्राइवेट न्यूज चैनल ने रिपोर्ट चलाई थी कि एडिलेड शहर में कुछ युवा लड़कों ने मिलकर 'Movember' नाम का अभियान चैरिटी के लिए शुरू किया। इन लोगों ने चैनल के जरिए ये बताया कि उनको इस अभियान का आइडिया तब आया जब वो एक पब में बैठे थे। 80 लोगों का ये अभियान फिर पूरे ऑस्ट्रेलिया में फैल गया और उसके बाद अलग-अलग देशों में।
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इस अभियान को चलाने वाली संस्थान Movember Foundation दुनियाभर में फंड इकट्ठा करने के लिए कई तरह के इवेंट का आयोजन करती है
इस तरह दुनियाभर में चलाया जाता है ये अभियान
> नो शेव नवंबर पुरुषों में होने वाले कैंसर के प्रति जागरुकता को प्रोत्साहन देने का एक सामान्य तरीका है।
> इस अभियान को चलाने वाली संस्थान Movember Foundation दुनियाभर में फंड इकट्ठा करने के लिए कई तरह के इवेंट का आयोजन करती है।
> कोई भी इस अभियान का हिस्सा बन सकता है, बशर्ते वह क्लीन शेव होकर नवंबर महीने में 30 दिनों तक अपनी मूछें न काटे।
> हालांकि बहुत लोगों को लगता है कि दाढी़ बढ़ाना भी इसका हिस्सा है, लेकिन ऐसा नहीं है।
> मूछें न बढ़ाने वाले पुरुष या फिर महिलाएं भी अलग-अलग सोशल इवेंट का आयोजन करके इस अभियान का हिस्सा बन सकते हैं और फंड जोड़ सकते हैं।
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ये अभियान पूरी तरह से सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया में 2003 में स्थापित हुआ।
ये देश हैं इस अभियान का हिस्सा
ये अभियान पूरी तरह से सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया में 2003 में स्थापित हुआ। 2004 में ये आधिकारिक रूप से चैरिटी अभियान बन गया। 2007 तक ये चैरिटी न्यूजीलैंड, कनाडा, स्पेन, यूएस और यूके में पहुंच गई जहां सभी कैंसर संस्थान इससे जुड़ गए।
इस बार इस अभियान से जुड़ने वाले देश हैं - ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, हांगकांग, जर्मनी, आयरलैंड, नीजरलैंड, नॉर्वे, सिंगापुर, साउथ अफ्रीका, स्वीडन और स्विजरलैंड। भारत अभी अधिकारिक रूप से इस अभियान का हिस्सा नहीं बना है।