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वयस्क रोगियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं

केंद्र सरकार ने बुधवार को जारी अपने दिशा-निर्देशों में कहा कि कोविड-19 के वयस्क रोगियों के इलाज में काम आने वाली अधिकतर दवाएं बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है।आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन,...

वयस्क रोगियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं
एजेंसी,नई दिल्लीThu, 17 Jun 2021 09:40 AM
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केंद्र सरकार ने बुधवार को जारी अपने दिशा-निर्देशों में कहा कि कोविड-19 के वयस्क रोगियों के इलाज में काम आने वाली अधिकतर दवाएं बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है।आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, फैविपिराविर जैसी दवाएं और डॉक्सीसाइक्लिन व एजिथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक बच्चों को नहीं दिया जा सकता। इन दवाओं का परीक्षण बच्चों पर नहीं किया गया है।

कोविड केंद्रों की क्षमता में वृद्धि जरूरी : महामारी की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच सरकार ने बच्चों के लिए कोविड देखरेख केंद्रों के संचालन के वास्ते दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। इसमें कहा गया है कि गंभीर कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित बच्चों को चिकित्सा देखभाल मुहैया कराने के लिए मौजूदा कोविड देखरेख केंद्रों की क्षमता में वृद्धि की जानी चाहिए। 

इस क्रम में बच्चों के इलाज से जुड़े अतिरिक्त विशिष्ट उपकरणों और संबंधित बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी। बच्चों के अस्पतालों में अलग से बिस्तर का इंतजाम करना चाहिए। वहां बच्चों के साथ माता-पिता को ठहरने की अनुमति दी जानी चाहिए।

अन्य रोगों से पीड़ित बच्चों को पहले टीका : बच्चों के लिए कोविड रोधी टीके को स्वीकृति मिलने के बाद टीकाकरण में ऐसे बच्चों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो अन्य रोगों से पीड़ित हैं और जिन्हें कोविड-19 का गंभीर खतरा हो। 

निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों को मिलकर काम करना होगा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बच्चों के इलाज के बारे में जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि तीसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामलों में किसी भी वृद्धि से निपटने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र को संयुक्त रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है।

बच्चों के लिए अतिरिक्त बिस्तरों का अनुमान महामारी की दूसरी लहर के दौरान विभिन्न जिलों में संक्रमण के दैनिक मामलों के चरम के आधार पर लगाया जा सकता है। पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित कर्मी-डॉक्टर और नर्स उपलब्ध कराए जाने चाहिए। स्वास्थ्य अधिकारियों को पीड़ित बच्चों की उचित देखरेख के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू करने चाहिए। 

बच्चों में गंभीरता कम: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि बच्चों में वयस्कों के मुकाबले बीमारी (कोरोना वायरस संक्रमण) की गंभीरता कम होती है। अधिकतर बच्चों में संक्रमण लक्षण विहीन या हल्के लक्षणों वाला होता है। स्वस्थ बच्चों में मध्यम से गंभीर स्तर का संक्रमण असामान्य है।

बुखार में पैरासीटामोल दें 
मंत्रालय ने कहा कि लक्षणयुक्त बाल रोगियों के इलाज के दौरान बुखार की स्थिति में पैरासीटामोल दवा दी जा सकती है। उनकी श्वसन दर, मुंह से खाना खाने, सांस लेने में कठिनाई और ऑक्सीजन लेवल आदि स्थितियों पर नजर रखी जानी चाहिए। टेलीमेडिसिन सेवा का सहारा भी लिया जा सकता है।

अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता
बच्चों में कोविड रोग के क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है जिसमें प्रबंधन के विभिन्न पहलू शमिल होने चाहिए। इनमें कहा गया है कि सीरो सर्वेक्षण संबंधी रिपोर्ट से पता चलता है कि 10 साल से अधिक उम्र के बच्चों में कोरोना वायरस संक्रमण की आवृत्ति वयस्कों जैसी ही होती है, हालांकि, महामारी के पुष्ट मामलों में 20 साल से कम आयु के लोगों में 12 प्रतिशत से कम मामले हैं।

 

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