Lockdown:लॉकडाउन में नींद की अवधि बढ़ी पर गुणवत्ता खराब हुई
कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण लोगों को सामान्य से ज्यादा सोने का समय मिल रहा है। लोग ज्यादातर समय बिस्तर में बिता रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ बासेल द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि लोग 75 फीसदी लोग रोज...
कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण लोगों को सामान्य से ज्यादा सोने का समय मिल रहा है। लोग ज्यादातर समय बिस्तर में बिता रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ बासेल द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि लोग 75 फीसदी लोग रोज सामान्य से 15 मिनट ज्यादा सो रहे हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं ने कहा कि नींद की अवधि बढ़ी है लेकिन नींद की गुणवत्ता में गिरावट आई है। 435 प्रतिभागियों पर 23 मार्च से 26 अप्रैल के बीच शोध किया गया।
सोशल जेटलैग की कमी-
शोधकर्ताओं का मानना है कि नींद की गुणवत्ता खराब होने के पीछे सबसे बड़ा कारण सोशल जेटलैग है। सोशल जेटलैग उस थकान को कहते हैं जो परिवार और दोस्तों के साथ समाज को दिए जाने वाले समय के कारण होती है। लॉकडाउन से पहले लोग सप्ताहांत में ज्यादा सोते थे, लेकिन अब लॉकडाउन में सोशल जेटलैग न होने से लोग ज्यादा सो रहे हैं।
सामाजिक मेल-मिलाप कम होने के कारण लोगों के नींद की गुणवत्ता खराब हो गई है। नींद का बार-बार टूटना, सोकर उठने के बाद भी थकान महसूस होना आदि नींद की गुणवत्ता कम होने के संकेत हैं। कई प्रकार की चिंताओं और आशंकाओं के कारण लोगों की नींद में व्यवधान पैदा हो रहा है।