लॉकडाउन ने बढ़ाई मोटापे से जूझ रहे लोगों की परेशानी, मानसिक सेहत पर भी पड़ा बुराअसर
कोरोना महामारी ने दुनियाभर में लोगों की नींद और चैन छीन लिया है। संक्रमण की वजह से शुरुआत में लगे लॉकडाउन के चलते लोगों की जीवनशैली में अनचाहे बदलाव आए। एक नए शोध के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान लोगों के...
कोरोना महामारी ने दुनियाभर में लोगों की नींद और चैन छीन लिया है। संक्रमण की वजह से शुरुआत में लगे लॉकडाउन के चलते लोगों की जीवनशैली में अनचाहे बदलाव आए। एक नए शोध के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान लोगों के खान-पान में आए बदलाव के चलते मोटापे से जूझ रहे लोगों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके चलते नींद भी बुरी तरह प्रभावित हुई।
अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन से यह खुलासा हुआ है। जर्नल ओबेसिटी में प्रकाशित इस अध्ययन ने महामारी के व्यापक प्रतिबंधों के तहत लोगों के स्वास्थ्य व्यवहारों में होने वाले अनजाने परिवर्तनों का मूल्यांकन किया। अमेरिका में लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी (एलएसयू) के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया। उनके अनुसार लॉकडाउन के दौरान लोगों का वजन काफी बढ़ा। परिणामस्वरूप स्वास्थ्य संबंधी तमाम समस्याएं पैदा हो गईं।
लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी से अध्ययन की सह-लेखक लीन रेडमैन ने कहा, लॉकडाउन के दौरान लोगों ने पौष्टिक भोजन का सेवन ज्यादा किया और घर पर रहकर खाने-पीने पर पूरा ध्यान दिया,वहीं, दूसरी तरफ शारीरिक गतिविधियां बहुत कम हो गईं। व्यायाम नहीं किया। घर से काम करने के चलते नींद का पैटर्न बदल गया। रात को देरी से सोने की वजह से नींद में खलल आई और नींद पूरी नहीं हुई। काम के घंटों में बढ़ोतरी और स्क्रीन पर बिताए गए समय ने नींद की खलल में बहुत बड़ी भूमिका अदा की। नींद की आदतें बदलने की वजह से लोगों में चिंता का स्तर काफी बढ़ गया।
मानसिक सेहत पर असर पड़ा
रेडमैन ने कहा, अध्ययन में पाया गया कि मोटापे से ग्रस्त लोगों ने अपनी डाइट में सबसे ज्यादा सुधार किया लेकिन इस बीच उन उनकी मानसिक सेहत पर विपरीत असर पड़ा। वजन बढ़ने का अनुभव करने के साथ-साथ उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया। मोटापे से ग्रसित एक तिहाई लोगों ने यह स्वीकार किया कि लॉकडाउन के दौरान उनकी यह बीमारी पहले से ज्यादा बढ़ गई। अध्ययन से पता चलता है कि मोटापे जैसी बीमारी सिर्फ शारीरिक सेहत पर नहीं, बल्कि मन की सेहत पर भी असर डालती है।
अप्रैल माह में हुए इस अध्ययन में 7,754 लोगों ने हिस्सा लिया। प्रतिभागियों में से अधिकांश ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिकर के निवासी थे। इनके अलावा इसमें 50 से अधिक अन्य देशों ने भी भाग लिया।