ऑडियोबुक सुनना फिल्म देखने से ज्यादा आपको बांध कर रखता है - अध्ययन
ऑडियोबुक्स आपको फिल्म देखनो से ज्यादा भावनात्मक तौर पर बांध कर रखता है। हो सकता है कि आपको यह सुनकर थोड़ा अटपटा जरूर लगे लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में इसका खु्लासा हुआ है। यूसीएल...
ऑडियोबुक्स आपको फिल्म देखनो से ज्यादा भावनात्मक तौर पर बांध कर रखता है। हो सकता है कि आपको यह सुनकर थोड़ा अटपटा जरूर लगे लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में इसका खु्लासा हुआ है।
यूसीएल (यूनिवर्सिटी कॉलेज लदंन) में किए गए एक शोध के अनुसार, किताब को सुनने से इंसान के अंदर साइकोलॉजिकल बदलाव देखने को मिलते हैं। इसके अलावा हार्ट रेट भी बढ़ता है। शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने अलग-अलग उम्र के 103 प्रतिभागियों को कई सारी किताबों के ऑडियो वर्जन सुनाए। इसके बाद शोधकर्ताओं ने उन्हें उन्हीं किताबों पर बनी फिल्में दिखाई। इस दौरान प्रतिभागियों की एक ही सीन को देखते समय और सुनते समय प्रतिक्रियाओं पर भी नजर रखी गई। इस अध्ययन में 'गेम ऑफ थ्रोन्स' और 'गर्ल ऑन द ट्रेन' के भावनात्मक सींस को प्रतिभागियो को टीवी पर दिखाया गया और उनके ऑरिजिनल किताब के ऑडियो वर्जन को सुनाया भी गया।
कृत्रिम अंगों में भी दर्द का अहसास कराएगी ई-त्वचा
शोध के प्रमुख जोसेफ डेवलिन के अनुसार, शोध के दौरान पाया गया कि प्रतिभागियों की भावनात्मक और साइकोलॉजिकल प्रतिक्रिया ऑडियोबुक्स को सुनते समय और उसी सीन को देखते समय से कहीं ज्यादा थी। इसके अलावा अलग-अलग कहानियां में, अलग-अलग उम्र के और अलग-अलग जगह से आने वाले प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया समान ही थी। वहीं दूसरी ओर प्रतिभागियों को इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी प्रतिक्रिया ऑडियोबुक्स के लिए कहीं ज्यादा थी। शोध के बाद प्रतिभागियों ने शोधकर्ताओं को कहा कि उन्होंने सीन को देखते समय ज्यादा बंधा हुआ महसूस किया। लेकिन वहीं उनके शरीर में होने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर ऐसा नहीं था।
लेफ्टी लोगों के मेंटल हेल्थ ट्रीटमेंट के लिए चाहिए अलग नजरिया : रिसर्च
प्रतिभागी जब ऑडियो बुक्स सुन रहे थे, तब उनकी हार्ट रेट प्रति मिनट दो ज्यादा थी। साथ ही उनके शरीर का तापमान भी दो डिग्री अधिक था। हालांकि अभी यह पूरी तरह से साफ नहीं हुआ है कि क्यों ऑडियोबुक्स लोगों को इस तरह बांध कर रखती है। लेकिन शोधकर्ताओं के अनुसार, इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि लोग ऑडियोबुक्स सुनते समय कहानी की कल्पना करने की कोशिश करते हैं, जिस कारण लोगों की प्रतिक्रिया इस माध्यम में कहीं ज्यादा होती है। एक साल तक किए गए यूसीएल(यूनिवर्सिटी कॉलेज लदंन) के अध्ययन में इन तथ्यों का खुलासा हुआ।