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मायोपिया से बचने के लिए वैज्ञानिकों ने बनाया खास चश्मा, जानें क्या हैं इस रोग के लक्षण

आजकल बच्चों में मोबाइल और टीवी का ऐसा शौक है कि घंटों तक बच्चे स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं। जिसका सीधा असर उनकी आंखों पर पड़ता है और नजर कमजोर होने का खतरा पैदा होने लगता है। इससे मायोपिया यानी...

मायोपिया से बचने के लिए वैज्ञानिकों  ने बनाया खास चश्मा, जानें क्या हैं इस रोग के लक्षण
एजेंसी ,बीजिंगThu, 23 Sep 2021 10:35 AM

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आजकल बच्चों में मोबाइल और टीवी का ऐसा शौक है कि घंटों तक बच्चे स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं। जिसका सीधा असर उनकी आंखों पर पड़ता है और नजर कमजोर होने का खतरा पैदा होने लगता है। इससे मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष और हाइपरमेट्रोपिया का खतरा बढ़ जाता है। मगर हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे चश्मे को बनाया है जिससे मायोपिया की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है। 

इस चश्मों के लेंस में रिंग्स बनाई गई हैं जिसके जरिये मायोपिया के प्रोसेस को या तो धीमा किया जा सकता है या फिर पूरी तरह से रोका जा सकता है। इन कॉन्सेंट्रिक रिंग्स को इस तरह बनाया गया है कि ये लाइट को सीधे आंखों के रेटिना पर फोकस करेंगे जिससे सामने का दृष्य बिल्कुल साफ नजर आएगा। इसके जरिए पुतलियों के आकार को बदलने की प्रक्रिया को भी धीमा किया जाएगा। बता दें कि मायोपिया में आंखों की पुतलियां गोल की जगह लंबी होने लगती हैं यानी अंडाकर हो जाती हैं। 

167 बच्चों पर हुआ अध्ययन
चीन में हुए एक अध्ययन में 167 बच्चों को ये चश्मे 2 साल तक दिन में 12 घंटे पहनने के लिए दिए गए। दो साल बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि 70 फीसदी बच्चों की आंखों में मायोपिया बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो गई है। देखने में ये स्टेलेस्ट चश्मे आम चश्मों जैसे ही लगते हैं मगर ये चश्मे हॉल्ट तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इस तकनीक के जरिए लेंस के अंदर 1 मिलीमीटर की 11 रिंग्स बनाई जाती हैं। 

मायोपिया के लक्षण
-बार-बार जल्दी-जल्दी पलकें झपकना
-दूर की चीज़ें ठीक से न देख पाना और आंखों में तनाव के साथ थकान महसूस होना
-ड्राइविंग करते समय खासकर रात में परेशानी होना
-सही प्रकार से न देख पाने की वजह से सिर में दर्द होना
-आंखों पर जोर देकर या पलकों को सिकोड़कर देखना
-आंखों से ज्यादा पानी आना
-क्लासरूम में ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड से ठीक प्रकार से दिखाई न देना।
-लगातार आंखें मसलना। 

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