Hindi Newsलाइफस्टाइल न्यूज़know what is Ectopic Pregnancy symptoms risk and treatment in hindi

आखिर क्या है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी? जानें लक्षण, कारण और उपचार

Ectopic Pregnancy: एग फर्टिलाइजेशन से लेकर प्रेगनेंट होने तक का सफर हर महिला के लिए मुश्किलों से भरा लेकिन खूबसूरत अनुभव लिए होता है। हालांकि, ऐसा हर महिला के साथ नहीं होता है। गर्भावस्था के दौरान...

Manju Mamgain लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीWed, 2 Feb 2022 04:09 PM
share Share

Ectopic Pregnancy: एग फर्टिलाइजेशन से लेकर प्रेगनेंट होने तक का सफर हर महिला के लिए मुश्किलों से भरा लेकिन खूबसूरत अनुभव लिए होता है। हालांकि, ऐसा हर महिला के साथ नहीं होता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और समय पर इसका इलाज न करवाने से यह समस्याएं गंभीर रूप भी ले लेती हैं। गर्भावस्था के दौरान ऐसी ही समस्याओं में से एक समस्या है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी। आइए जानते हैं क्या होती है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी और क्या हैं इसके लक्षण,खतरा और उपचार। 

क्या हैं एक्टोपिक प्रेग्नेंसी-
एक्‍टोपिक प्रेग्‍नेंसी में फर्टिलाइज एग गर्भाशय से नहीं जुड़ता है बल्कि वह फैलोपियन ट्यूब, एब्‍डोमिनल कैविटी या गर्भाशय ग्रीवा से जाकर जुड़ जाता है। इसे अस्‍थानिक गर्भावस्‍था भी कहा जाता है।अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमिली फिजीशियन के अनुसार एक्‍टोपिक प्रेग्‍नेंसी 50 में से एक महिला को होती है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण-
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षणों में पेट खराब होना, उल्टी, हल्‍की ब्‍लीडिंग या तेज ब्लीडिंग, पेल्विक हिस्‍से में दर्द, पेट में तेज ऐंठन, चक्‍कर आना या कमजोरी, बहुत ज्यादा पसीना आना, पीली त्वचा, जैसी एनीमिया में होती है, बेहोशी, कंधे, गर्दन या गुदा में दर्द या फिर शरीर के एक हिस्से में दर्द हो सकता है।

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के कारण-
-फैलोपियन ट्यूब के सूजन
- किसी कारण से ट्यूब का क्षतिग्रस्त होना
- फर्टिलाइज एग के असामान्‍य विकास
-हार्मोन असंतुलन
-पेल्विक इंफ्लामेट्री डिजीज
- 35 के बाद प्रेगनेंसी
- पेल्विक सर्जरी के कारण स्‍कार टिश्‍यू बनना
- फर्टिलिटी दवाओं के सेवन या आईवीएफ

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का उपचार-
एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता लगाना आसान नहीं है। डॉक्टर इसकी जांच तभी करते हैं, जब आपको गर्भावस्था के दौरान बार-बार दर्द होता है। ऐसे में डॉक्टर पेल्विक परीक्षा करवाते हैं। इनके अलावा, अन्य जांच भी की जा सकती हैं।
-रक्त परीक्षण : इसके जरिए, रक्त जांच में एचजीसी (ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन) का स्तर पता किया जाता है। एचसीजी एक हार्मोन है, जो गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होता है। अगर एचसीजी का स्तर बहुत ज्यादा है, तो यह एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण हो सकते हैं। 

-अल्ट्रासाउंड : एक्टोपिक प्रेग्नेंसी से निपटने के लिए डॉक्टर ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड (Transvaginal ultrasound) का सहारा ले सकते हैं। योनि में एक डिवाइस डाला जाता है, जिससे अंदर का भाग देखा जा सकता है। अगर फैलोपियन ट्यूब में भ्रूण दिखाई दे, तो यह एक्टोपिक प्रेगनेंसी होती है।

-सोनोग्राफी के जरिए भी गर्भाशय की जांच की जा सकती है। अगर प्रेगनेंसी की पुष्टि हो चुकी है और फिर भी गर्भाशय में भ्रूण दिखाई न दे, तो यह एक्टोपिक प्रेगनेंसी का संकेत हो सकता है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें