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जानें माता-पिता के झगड़ों का बच्चों पर पड़ता है कैसा असर, नजर आने लगते हैं ये 7 लक्षण

अगर आप और आपका साथी अपने बच्चों के सामने रोज लड़ते हैं और सोचते हैं कि बच्चे यह सब नहीं समझते तो आप गलत हैं। ऐसा करना बच्चों की मानसिक सेहत के लिए अच्छा नहीं है।  विशेषज्ञों का कहना है कि...

जानें माता-पिता के झगड़ों का बच्चों पर पड़ता है कैसा असर, नजर आने लगते हैं ये 7 लक्षण
कॉलिन रॉड्रिग्स ,नई दिल्लीSun, 08 Dec 2019 01:45 PM
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अगर आप और आपका साथी अपने बच्चों के सामने रोज लड़ते हैं और सोचते हैं कि बच्चे यह सब नहीं समझते तो आप गलत हैं। ऐसा करना बच्चों की मानसिक सेहत के लिए अच्छा नहीं है। 

विशेषज्ञों का कहना है कि पति-पत्नी के आपसी झगड़े बच्चों को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। शादी से पहले, मिलने-जुलने के दौरान वाद-विवाद, तकरार या असहमतियां आम बात है। शादी के बाद भी पति-पत्नी के बीच यह सब जारी रहता है। 

समस्या तब गहराती है, जब लोग अपने बच्चों के सामने भी झगड़ना जारी रखते हैं और यह महसूस नहीं करते कि इसका बच्चों के दिल-दिमाग पर कितना गंभीर असर पड़ रहा है। जबकि बच्चे समझ सकते हैं कि उनके माता-पिता के बीच क्या चल रहा है।

बाल परामर्शदाता स्वाति पोपट वत्स कहती हैं,‘किसी बच्चे के लिए परिवार उसका आश्रय होता है। माता-पिता उस आश्रय के मुख्य हिस्से होते हैं। बच्चे जब माता-पिता के बीच असहमतियां देखते हैं, तो उनकी पूरी दुनिया डगमगा जाती है। यह बात उन्हें भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर प्रभावित करती है। इससे उनका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।’ 

यहां विशेषज्ञों की मदद से हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि माता-पिता के बीच झगड़ों को देखकर बच्चे किस प्रकार प्रभावित होते हैं।
 
1-बेचैनी और असुरक्षा-
जब माता-पिता बच्चों के सामने बहस करते हैं, तो इससे वे खुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। प्ले थेरेपिस्ट मिष्टी वर्मा कहती हैं, एक स्थिर घर में बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। इससे उनकी भरोसे की भावना को मजबूती मिलती है। लेकिन जब माता-पिता बच्चों के सामने लड़ते हैं, तो बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं।
 
2-एकाग्रता की कमी-
माता-पिता के बार-बार लड़ने से बच्चों की एकाग्रता भंग हो सकती है। वर्मा बतलाती हैं, ‘एक प्ले थेरेपी सत्र के दौरान, हमने छह साल के ऐसे एक बच्चे को देखा, जो स्कूल में ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा था। हमने पाया कि बच्चे की सीखने-समझने की क्षमता में कोई समस्या नहीं थी, बल्कि उसके परिवार में लगातार हो रहे झगड़े उसकी इस समस्या का प्रमुख कारण थे।’
 
3-अपराध-बोध-
अपने माता-पिता को हमेशा झगड़ते देखने वाले ज्यादातर बच्चों में आत्मविश्वास की कमी और अपराध-बोध देखा गया है। वर्मा कहती हैं, ‘दरअसल बच्चा यह सोचने लगता है कि इन झगड़ों का कारण कहीं वह तो नहीं है? इससे उसके भीतर अपराध-बोध की भावनाएं पैदा होती हैं। उसके आत्मसम्मान को भी चोट पहुंचती है, जिससे खुद पर उसका भरोसा कम होने लगता है।’
 
4-झूठ बोलना-
ऐसे हालात में बच्चे माता-पिता के झगड़ों से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय सोचने लगते हैं, जैसे झूठ बोलना। वर्मा अपना अनुभव साझा करती हैं, ‘एक दंपती मेरे पास अपने बच्चे की शिकायत लेकर आया था। दरअसल उसके बच्चे ने माता-पिता से कई बार झूठ बोला था। जब धीरे-धीरे बच्चे से बात करने की कोशिश की गई तो हमें पता चला कि बच्चा विश्वसनीय कहानियां गढ़कर अपने घर के झगड़ों से बचने की कोशिश करता था। यही चीज आगे चलकर उसकी आदत बन गई थी। जब बच्चे अपनी वर्तमान वास्तविकता से असहज होते हैं, तो वे उससे बचने या भागने के रास्ते तलाशने लगते हैं।’

5-खाने-सोने में समस्या-
माता-पिता के झगड़ों का सामना कर रहे बच्चों को खाने और सोने से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। मनोवैज्ञानिक डॉ. माया कृपलानी कहती हैं, ‘एक से चार साल तक की उम्र वाले बच्चे अपने मुंह में खाने का निवाला बिना चबाए या बिना निगले देर तक रखते हैं। वे दरअसल अपनी ओर ध्यान खींचना चाहते हैं। संभव है, वे पर्याप्त न सो पा रहे हों, जिससे उनकी सूचना ग्रहण करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। वे सोचने की अपनी क्षमता को भी सुधारने में नाकाम रहते हैं।’
 
6-विद्रोही स्वभाव-
ऐसे परिवारों में बच्चे बड़े होकर दयनीय हो जाते हैं। कृपलानी कहती हैं, ‘दु:खी परिवारों के बच्चे अपने माता-पिता की बात नहीं मानते। कई बार तो ऐसे बच्चे समस्याएं पैदा करने वाले और गुंडे भी बन सकते हैं।’
 
7-माता-पिता को खोने का भय-
माता-पिता लड़ते वक्त अपने बच्चों के सामने एक-दूसरे के लिए जो दलीलें देते हैं, उसके भी गंभीर नतीजे निकल सकते हैं। कृपलानी कहती हैं, ‘माता-पिता आपस में झगड़ते समय जब एक-दूसरे को घर से निकालने की बात करते हैं, तो इसका बच्चों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। उन्हें लगता है कि झगड़े के कारण माता-पिता में से किसी एक का साथ छूट जाएगा। ऐसे में बच्चे झगड़ालू व्यवहार प्रदर्शित करना शुरू कर सकते हैं। शिक्षाविद फातिमा आगरकर कहती हैं, ‘माता-पिता के झगड़ों के कारण बच्चों में नकारात्मकता और अति उत्साह की समस्याएं हो सकती हैं। वे घर की चुनौतियों से अपनी पढ़ार्ई को अछूता नहीं रख पाते। वे उदासीन हो सकते हैं और उनका व्यवहार अतिवादी हो सकता है।’  

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