ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रही है रेगिस्तानी धूल में मौजूद आयोडीन
रेगिस्तान की धूल में मौजूद आयोडीन ओजोन परत को नष्ट कर देता है। वैज्ञानिकों ने इसका खुलासा एक नए अध्ययन में किया है। इस अध्ययन को 'साइंस एडवांसेज जर्नल' में प्रकाशित किया गया है। वैसे चिली के...

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रेगिस्तान की धूल में मौजूद आयोडीन ओजोन परत को नष्ट कर देता है। वैज्ञानिकों ने इसका खुलासा एक नए अध्ययन में किया है। इस अध्ययन को 'साइंस एडवांसेज जर्नल' में प्रकाशित किया गया है। वैसे चिली के अटाका और पेरू के सेचुरा रेगिस्तान के ऊपर वायुमंडल में धूल कणों के साथ आयोडीन की मात्रा बहुत ज्यादा पाई गई है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के रसायन विज्ञान के प्रोफेसर रेनर वोल्कमर ने बताया कि ये वही आयोडीन है, जिसका इस्तेमाल हम पोषक तत्व के रूप में करते हैं। उन्होंने बताया कि जब हवाएं रेगिस्तान की महीन धूल को वायुमंडल में ऊपर उठाती हैं, तो उस धूल में आयोडीन रासायनिक प्रतिक्रियाओं के तहत वायु प्रदूषण को नष्ट कर देता है, लेकिन ग्रीनहाउस गैसों को लंबे समय तक वैसे ही रहने देता है।
यही ग्रीनहाउस गैस ओजोन परत को नष्ट कर देती है। उन्होंने बताया कि अभी तक हम सोच रहे थे आयोडीन फायदेमंद है, लेकिन इस मामले में वह नुकसानदेह है। वायुमंडल और ओजोन पर आयोडीन के दुष्प्रभावों का अध्ययन फिलहाल अधूरा है, लेकिन प्रारंभिक स्तर पर यह बात सामने आ चुकी है कि इससे ओजोन को नुकसान हो रहा है।
नए तरह का प्रदूषणकारी तत्व
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता और चीन के पेकिंग यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक थियोडोर कोनिग ने बताया कि धूल कणों के साथ ओजोन परत तक पहुंचने वाला आयोडीन नुकसानदेह है। यह नए तरह का प्रदूषणकारी तत्व है, जो हमारे सिर के ऊपर से सुरक्षा वाली छतरी को नष्ट करने में लगा है। इस बात की पुष्टि ट्रॉपिकल ओशन ट्रोपोस्फेयर एक्सचेंज ऑफ रिएक्टिव हैलोजेन्स एंड ऑक्सीजेनेटेड हाइड्रोकार्बन्स (टीओआरईआरओ) प्रयोग से भी हुई है।
वैज्ञानिकों से अपील की
वोल्कमर ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों से अपील की है कि हमारी समझ धरती पर मौजूद स्रोतों और उनकी रसायनिक प्रक्रियाओं की तो ठीक है, लेकिन वायुमंडल में इनका क्या असर होता है, इसका अध्ययन करना चाहिए। वहीं, ज्यादातर लोगों को यह लगता था कि धूल भरी हवा प्रदूषण वाले जोन से नीचे बहती है, लेकिन ऐसा नहीं है। अब धूल भरी हवा वायुमंडल में ऊंचाई तक पहुंच रही है। इससे ओजोन पर असर पड़ रहा है।
अल्ट्रावायलेट किरणें तबाही मचाएंगी
वोल्कमर ने बताया कि अगर वातावरण में ज्यादा मात्रा में आयोडीन ऊपरी वायुमंडल तक पहुंच गया तो जीवनभर के लिए मीथेन और अन्य ग्रीनहाउस गैस को वहां चिपकने का मौका मिल जाएगा, जिससे ओजोन परत पूरी तरह नष्ट हो जाएगा। उन्होंने बताया कि अगर ओजोन परत खत्म हुआ तो सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें धरती पर कितनी तबाही मचाएंगी इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।
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ओजोन परत क्या है?
ओजोन परत ओजोन अणुओं की एक परत है, जो 20 से 40 किमी के बीच के वायुमंडल में पाई जाती है। ओजोन परत पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने का काम करती है। अल्ट्रावायलट किरणें अगर सीधा धरती पर पहुंच जाए तो ये मनुष्य, पेड़-पौधों और जानवरों के लिए भी बेहद खतरनाक हो सकती है। ऐसे में ओजोन परत का संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है।
