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International Yoga Day : डायबिटीज के मरीजों को जरूर करना चाहिए मेरूवक्रासन, जानें विधि

बदलती जीवनशैली में शरीर को फिट रखना किसी चुनौती से कम नहीं है खासकर डायबिटीज के मरीजों को अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए कई जतन करने पड़ते हैं। डायबिटीज के मरीजों को कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा है। ऐसे...

International Yoga Day : डायबिटीज के मरीजों को जरूर करना चाहिए मेरूवक्रासन, जानें विधि
लाइव हिन्दुस्तान टीम ,नई दिल्ली Sun, 20 Jun 2021 09:27 AM
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बदलती जीवनशैली में शरीर को फिट रखना किसी चुनौती से कम नहीं है खासकर डायबिटीज के मरीजों को अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए कई जतन करने पड़ते हैं। डायबिटीज के मरीजों को कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा है। ऐसे में हम आपको ऐसे उपाय बता रहे हैं, जो न सिर्फ बीमारी से बचाएंगे बल्कि फिट रखने में भी मदद करेंगे। सूर्य नमस्कार के कुछ चक्रों का नियमित अभ्यास करने पर इस समस्या को अपने से दूर रखा जा सकता है। इसके साथ ही वे लोग, जो इस रोग से एक-दो साल पहले ही ग्रस्त हुए हैं, वे भी योग्य मार्गदर्शन में सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से रोग को पूर्णतया दूर कर सकते हैं। किन्तु गंभीर रोगी को अन्य आसनों का भी अभ्यास करना चाहिए। इनमें पवनमुक्तासन, जानुशिरासन, उष्ट्रासन, सुप्त वज्रासन, मेरूवक्रासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन तथा हलासन प्रमुख हैं।

 

मेरूवक्रासन की अभ्यास विधि
दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा फैला कर बैठ जाएं। पैरों को आपस में जुड़ा रखें। दाएं पैर को घुटने से मोड़ कर इसके पंजे को बाएं पैर के घुटने के बायीं ओर रखें। बाएं हाथ की कुहनी को दाएं पैर के घुटने के पास रखते हुए इसके पंजे को स्पर्श करने का प्रयास करें। दाएं हाथ को पीठ के पीछे रखते हुए धड़ को दायीं ओर यथासंभव मोड़ने का प्रयास करें। इस स्थिति में आरामदायक अवधि तक रुकें। इसके बाद वापस पूर्व स्थिति में आएं। यही क्रिया दूसरी तरफ भी करें।

 

प्राणायाम
मधुमेह जैसी बीमारी को दूर करने के लिए प्राणायाम की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस के लिए कपालभाति, अग्निसार, बंध तथा नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास बहुत महत्वपूर्ण है।

 

अग्निसार प्राणायाम की अभ्यास विधि
ध्यान के किसी भी आसन, पद्मासन, सिद्धासन या सुखासन पर रीढ़, गला व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। ज्यादा बेहतर पद्मासन होता है। एक गहरी श्वास अंदर लेकर पूरी श्वास मुंह के द्वारा बाहर निकालें। अब श्वास को बाहर रोक कर दोनों हाथों को घुटनों पर सीधा रख कर पेट को जल्दी-जल्दी अंदर-बाहर करें। जब तक श्वास को सहजता से रोक सकते हैं, तब तक पेट को अंदर बाहर करते रहें। किसी भी प्रकार की असहजता होने के पहले ही पेट को सामान्य करें और फिर हाथ को सामान्य रखते हुए श्वास को अंदर लेकर सहज करें। इसकी तीन-चार आवृत्तियों का अभ्यास करें।

 

इन पर भी ध्यान दें
कार्बोहाइड्रेट, स्टार्च तथा वसायुक्त आहार कम लेना चाहिए। चोकर वाली रोटी, दही, सब्जियां, सलाद का सेवन प्रतिदिन करें।
भोजन नियमित समय पर लें। भूख से अधिक भोजन नहीं करें। बार-बार भोजन करना भी ठीक नहीं होता।

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