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ऐसे कम होगा आपका गुस्सा, गुस्सा आने पर आजमाएं ये टिप्स

बात-बात पर गुस्सा करने वाले लोग किसी को पसंद नहीं आते। ऑफिस में तो बिल्कुल भी नहीं। तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी कैसे अपने मूड को ऑफिस में रखें ठीक, बता रही हैं स्वाति गौड़ ऑफिस हो या घर... एक...

ऐसे कम होगा आपका गुस्सा, गुस्सा आने पर आजमाएं ये टिप्स
हिन्दुस्तान फीचर टीम,नई दिल्लीMon, 21 Jan 2019 01:02 PM
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बात-बात पर गुस्सा करने वाले लोग किसी को पसंद नहीं आते। ऑफिस में तो बिल्कुल भी नहीं। तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी कैसे अपने मूड को ऑफिस में रखें ठीक, बता रही हैं स्वाति गौड़

ऑफिस हो या घर... एक हंसता-खिलखिता व्यक्ति हर किसी को पसंद आता है, वहीं बात-बात में तुनकमिजाजी दिखाने वाले या गुस्सा हो जाने वाले इंसान से लोग दूरी बनाकर रखने में ही समझदारी समझते हैं। यूं तो गुस्सा आनंद, खुशी, पीड़ा और डर की तरह ही एक सामान्य भाव है, लेकिन जब यह हद से ज्यादा बढ़ने लगता है तो परेशानी का सबब बन जाता है। 

खासतौर पर अगर आप कामकाजी महिला हैं और ऑफिस में अपने सहकर्मियों की छोटी-छोटी बात पर तुनक जाती हैं, तो आपको अपने इस व्यवहार पर ध्यान देने की जरूरत है। सामान्य परिस्थितियों में गुस्सा आना सहज हो सकता है, लेकिन अगर हर छोटी-बड़ी बात पर आपको गुस्सा आता है, तो प्रोफेशनल जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए इस समस्या का हल जल्द ही खोज लें। गुस्सा आने पर ठंडी गहरी सांस लेना, एक से दस तक गिनती गिनना, ठंडा पानी पीना जैसे उपायों के बारे में आपने बहुत सुना होगा, लेकिन व्यावहारिक रूप में देखा जाए तो ऐसे टिप्स से तुरंत कोई खास लाभ नहीं मिलता। इनकी बजाय अगर आप अपनी दिनचर्या में कुछ छोटे-छोटे बदलाव ले आएंगी तो निश्चित रूप से आपको अपने स्वभाव में बदलाव दिखने लगेगा। 
क्षण भर का आवेग है गुस्सा
हमेशा ध्यान रखें कि कोई भी भाव हमेशा बना नहीं रहता। इसी तरह गुस्सा भी हमेशा कायम नहीं रहता। माना, आज आप किसी चीज पर बेहद नाराज हैं और आवेश में आपने किसी को भला-बुरा कह दिया, लेकिन हो सकता है कि गुस्सा शांत होने पर आपको अपनी ही कही बातों पर शर्मिंदा होना पड़े या पछतावा हो। किसी भी चीज पर अचानक सख्त प्रतिक्रिया देने से पहले रुकें और सोचें कि क्या वाकई उक्त मुद्दे पर कठोर प्रतिक्रिया देने की जरूरत है।
 

दिल पर मत ले यार
ऐसा जरूरी नहीं कि क्रोध और आवेश में कही गयी हर बात सत्य और सटीक ही हो। आवेश में अकसर इंसान अपना आपा खो देता है और शब्दों को तोलकर नहीं बोल पाता। फिर चाहे आप हों या सामने वाला, दोनों ही शर्मिंदा होते हैं और बाद में पछताते भी हैं। साथ ही हर बात को दिल पर लगा लेने की आदत गुस्से को लगातार बढ़ाती है, क्योंकि ऐसी स्थिति में आप किसी को माफ ही नहीं कर पाते। इसलिए हर छोटी-बड़ी बात को दिल से न लगाएं। 
संवाद बनाए रखें
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हम दूसरों की कही-सुनी बातों पर भरोसा करकेकिसी व्यक्ति के प्रति अपने मन में कोई गलत धारणा बना लेते हैं, जिसकी वजह से परस्पर संबंधों में कड़वाहट आ जाती है। बेहतर यही होता है कि आप ऐसी किसी असमंजस की स्थिति में सामने वाले से शालीनतापूर्वक सीधे बात कर लें ताकि समय रहते गलतफहमियां दूर हो सकें। 

शालीनता का दामन न छोड़ें
ऑफिस एक ऐसी जगह होती है, जहां अलग-अलग पृष्ठभूमि से आये लोग एक साथ मिलकर काम करते हैं। वह आपका घर नहीं होता। आप अपने परिवार के लोगों के संग तो किसी बात पर नाराजगी 
दिखा सकते हैं, लेकिन ऑफिस का माहौल पूरी तरह से पेशेवर होता है। जहां इस बात से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपको किस बात पर गुस्सा आ रहा है। दफ्तर में काम करते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि माहौल खुशनुमा और गरिमामय बना रहे और आपकेकिसी व्यवहार की वजह से यह खराब ना हो। 
संतुलित आहार करेगा मदद
आपने शायद इस बात पर गौर न किया हो, लेकिन जब आप खाली पेट होती हैं तो आप कुछ ज्यादा ही चिड़चिड़ी हो 
जाती हैं और आपको ज्यादा गुस्सा आने लगता है। इसलिए अगली बार जब लगे कि आपको गुस्सा आ रहा है तो बाहर टहलने के लिए निकल जाएं और अपनी पसंद का कुछ खाएं। मसलन, चॉकलेट्स और आइसक्रीम मूड को अच्छा बनाने में मदद करती हैं। इसके अलावा संतरा, हरी पत्तेदार सब्जियां और बैरीज प्राकृतिक रूप से मूड को अच्छा बनाने वाले खाद्य पदार्थ हैं, इसलिए इन्हें अपने आहार में जरूर शामिल करें। 
कसरत रखेगी मूड फ्रेश 
माना कि आप कामकाजी हैं और आपको अपने लिए बिल्कुल समय नहीं मिलता। लेकिन विभिन्न शोधों में यह बात साबित हो चुकी है कि रोजाना कुछ देर टहलना, ध्यान लगाना या कसरत करना सेहत को दुरुस्त रखने के साथ-साथ मन को खुश भी रखता है। जब हम शारीरिक रूप से सक्रिय रहते हैं तो हमारे शरीर में एंडोर्फिन्स नामक हार्मोन ज्यादा मात्रा में रिलीज होता है, जो हमारे मूड को अच्छा बनाने में अहम भूमिका निभाता है। 

दूसरे के नजरिये से आंकें
गुस्से में हमें अकसर लगता है कि गलती सिर्फ सामने वाली की है, जबकि वास्तव में हमेशा ऐसा नहीं होता। गुस्से में आकर इंसान सही और गलत के बीच कई बार फैसला नहीं कर पाता है, इसलिए वह अपने पक्ष को ही सही समझने लगता है। बेहतर होगा कि  अगली बार जब आपको गुस्सा आये तो आप दूसरे के नजरिये से भी स्थिति को समझकर उसका आकलन करने की कोशिश करें। 

(काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रदिति चौधरी से बातचीत पर आधारित)

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