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बाकी लोगों की तुलना में आकार में छोटा होता है अपराधियों का दिमाग, ये है वजह

उग्र, झगड़ालू और अपराध में लिप्त लोगों की मनोवृत्ति को पढ़ने की कोशिश लंबे समय से होती रही है और इस जद्दोजहद में लगे शोधकर्ताओं को बड़ी कामयाबी मिली है। असल में लंदन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने...

बाकी लोगों की तुलना में आकार में छोटा होता है अपराधियों का दिमाग, ये है वजह
एजेंसी,लंदनWed, 19 Feb 2020 08:03 PM
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उग्र, झगड़ालू और अपराध में लिप्त लोगों की मनोवृत्ति को पढ़ने की कोशिश लंबे समय से होती रही है और इस जद्दोजहद में लगे शोधकर्ताओं को बड़ी कामयाबी मिली है। असल में लंदन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक शोध पाया है कि असामाजिक व्यवहार करने वाले लोगों के मस्तिष्क का आकार सामान्य इंसान के मुकाबले छोटा होता है। 

प्रतिष्ठित पत्रिका लैंसेट में यह शोध प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे मनोवैज्ञानिकों, चिकित्सकों को यह पता लगाने में आसानी होगी कि कौन से वजहें किसी को अपराधी बनाती हैं और ऐसे बच्चों को कैसे खूंखार अपराधी बनने से बचाया जा सकता है।

लंदन विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने 45 की उम्र के 7000 लोगों के मस्तिष्क का अध्ययन किया। इसमें एक तिहाई लोगों का लड़ाई-झगड़े या अपराधों में लिप्त होने का लंबा इतिहास था और उनके मस्तिष्क का आकार छोटा और पतला था। इनमें से कई ऐसे हिस्से शामिल हैं, जो किसी व्यक्ति के व्यवहार और भावनाओं का नियंत्रण करते हैं। 

बचपन से हिंसक प्रवृत्ति-
वैज्ञानिकों ने ऐसे लोगों के आपराधिक रिकॉर्ड की जांच के बाद उनके स्कूल शिक्षकों से बात की। इसमें 672 ऐसे प्रतिभागी मिले जो बचपन में दूसरे बच्चों को काट लेते थे या दूसरी तरह की हिंसा करते थे। वयस्क होने पर इन लोगों घरों में हिंसा शुरू कर दी। ऐसे युवकों के 45 साल के होने पर उनका एमआरआई कराया गया।  

ये अध्ययन भी चौंकाने वाले-
56 की उम्र में 27 साल के युवक जैसे था जॉब्स का दिमाग-

अगर योग-साधना की जाए तो मस्तिष्क उम्र के साथ बूढ़ा नहीं जवान होता है। इसका सबसे बेहतर उदाहरण एप्पल के सीईओ रहे स्टीव जॉब्स हैं। 56 साल की उम्र में जब कैंसर से उनकी मौत हुई तो उनके मस्तिष्क की जांच की गई और पाया गया कि यह 27 साल के युवक जितना तेज और सक्रिय था। वजह यह थी कि जॉब्स कई साल से रोज काफी वक्त ध्यान, योग साधना में बिताते थे। मैसाच्युसेट्स जनरल हॉस्पिटल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोध में यह तथ्य सामने आया। 

एरोबिक व्यायाम से बढ़ता है दिमाग-  
2017 में साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार, अगर रोज एरोबिक व्यायाम किया जाए तो मस्तिष्क की प्रक्रियाओं व स्मृति के लिए जिम्मेदार भाग मजबूत होते हैं।  

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