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Health Tips:बचपन में ज्यादा एंटीबायोटिक खाने से हाजमा होगा खराब, मोटापा-एलर्जी का भी बढ़ सकता है खतरा

बच्चे को सर्दी-जुकाम हुआ नहीं कि डॉक्टर एंटीबायोटिक खाने की सलाह देते हैं। हालांकि, ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंड लिवर फिजियोलॉजी जर्नल’ में छपे एक अध्ययन की मानें...

Health Tips:बचपन में ज्यादा एंटीबायोटिक खाने से हाजमा होगा खराब, मोटापा-एलर्जी का भी बढ़ सकता है खतरा
एजेंसी ,वाशिंगटनSat, 04 Jul 2020 10:29 AM
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बच्चे को सर्दी-जुकाम हुआ नहीं कि डॉक्टर एंटीबायोटिक खाने की सलाह देते हैं। हालांकि, ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंड लिवर फिजियोलॉजी जर्नल’ में छपे एक अध्ययन की मानें तो शारीरिक और मानसिक विकास के शुरुआती चरण में एंटीबायोटिक का सेवन न सिर्फ हाजमा बिगाड़ सकता है, बल्कि पेट संबंधी रोगों से लड़ने की क्षमता भी घटाता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक एंटीबायोटिक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रणाली की आंतरिक संरचना में बदलाव लाता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रणाली में सर्वाधिक मात्रा में गुड बैक्टीरिया पाए जाते हैं। ये न सिर्फ पाचन क्रिया को सुचारु बनाए रखते हैं, बल्कि पेट और आंत की सेहत के लिए हानिकारक कीटाणुओं के खात्मे में भी अहम भूमिका निभाते हैं। 

गुड बैक्टीरिया की मौजूदगी पाचन तंत्र में रक्तप्रवाह बढ़ाने और हाजमा दुरुस्त रखने वाले तरल पदार्थों का बहाव सुचारु बनाए रखने में भी मददगार है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रणाली की आंतरिक संरचना बदलने से गुड बैक्टीरिया दम तोड़ने लगते हैं।

अध्ययन से यह भी पता चला है कि कम उम्र से ही एंटीबायोटिक का अत्यधिक इस्तेमाल मोटापा, एलर्जी और चयापचय संबंधी रोगों को खतरा बढ़ाता है। इससे इंसुलिन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने से आगे चलकर टाइप-2 डायबिटीज का शिकार होने की भी आशंका रहती है। 

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने चूहों के दो समूह लिए। पहले समूह में तुरंत जन्मे चूहे शामिल थे। वहीं, दूसरा समूह ऐसा था, जिसमें चूहों को पैदा हुए कुछ महीने बीत गए थे। उन्हें वैंकोमाइसिन नामक के एंटीबायोटिक की कुछ खुराक भी दी जा चुकी थीं। वैंकोमाइसिन का इस्तेमाल अलग-अलग संक्रमण के इलाज में होता है। कई हफ्ते तक नजर रखने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि पहले समूह के चूहों में गुड बैक्टीरिया अधिक मात्रा में बने थे। वहीं, दूसरे समूह के चूहों में इसकी संख्या बेहद कम थी।

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