Girl Child Day 2023: बालिका दिवस पर बेटी को डेडिकेट करें ये कविताएं, पढ़ कर मन हो जाएगा खुश
Happy National Girl Child Day: 24 जनवरी को भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।इस दिन का उद्देश्य लड़कियों के अधिकारों और शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

National Girl Child Day 2023: बालिका दिवस हर साल 24 जनवरी 2023 को मनाया जाता है और पहली बार इस दिन को साल 2008 में मनाया गया था। यह भारत सरकार और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का एक संयुक्त अभियान था। यह पहली बार समाज में विभिन्न स्तरों पर लड़कियों और महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली असमानताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया गया था। इस दिन पर बेटी को आप कुछ शानदार कविताओं के जरिए विश कर सकते हैं। यहां देखें लड़कियों पर लिखी गईं कविताएं-
1) फूलों सी नाज़ुक, चांद सी उजली मेरी गुड़िया,
मेरी तो अपनी एक बस, यही प्यारी सी दुनिया।
सरगम से लहक उठता मेरा आंगन,
चलने से उसके, जब बजती पायलिया।
जल तरंग सी छिड़ जाती है,
जब तुतलाती बोले, मेरी गुड़िया।
गद -गद दिल मेरा हो जाये,
बाबा -बाबा कहकर, लिपटे जब गुड़िया।
कभी घोड़ा मुझे बनाकर, खुद सवारी करती गुड़िया,
बड़ी भली सी लगती है, जब मिट्टी में सनती गुड़िया।
दफ्तर से जब लौटकर आऊं,
दौड़कर पानी लाती गुड़िया।
कभी जो मैं, उसकी मां से लड़ जाऊं,
खूब डांटती नन्ही सी गुड़िया।
फिर दोनों में सुलह कराती,
प्यारी -प्यारी बातों से गुड़िया।
मेरी तो वो कमजोरी है, मेरी सांसो की डोरी है,
प्यारी नन्ही सी मेरी गुड़िया।
2) नन्ही-नन्ही कलियां है हम,
जीवन की इस बगिया की।
छोटी-छोटी परियां है हम,
आसमान की दुनिया की।
मत तोड़ो डाली से हमको,
फूलों सा खिल जाने दो।
सुन्दर सी अपनी बगिया को,
खुशबू सा महकाने दो।
पंख लगाकर सपनों के,
आसमां में उड़ जाने दो।
रौशन होगी हमसे यह दुनिया,
अपना परचम लहराने दो।
3) लड़कें की तरह लड़की भी, मुट्ठी बांध के पैदा होती हैं,
लड़कें की तरह लड़की भी, मां की गोद में हसती रोती हैं।
करते शैतानियां दोनों एक जैसी,
करते मनमानियां दोनों एक जैसी।
दादा की छड़ी दादी का चश्मा तोड़ते हैं,
दुल्हन के जैसे माँ का आँचल ओढ़ते हैं।
भूक लगे तो रोते हैं, लोरी सुन कर सोते हैं,
आती हैं दोनों की जवानी, बनती हैं दोनों की कहानी।
दोनों कदम मिलकर चलते हैं,
दोनों दिपक बनकर जलते हैं।
लड़के की तरह लड़की भी नाम रोशन करती हैं,
कुछ भी नहीं अंतर फिर क्यूँ जन्म से पहले मारी जाती हैं।
बेटियां बेटियां बेटियां ..
4) शाम हो गई अभी तो घूमने चलो न पापा
चलते चलते थक गई कंधे पे बिठा लो न पापा
अंधेरे से डर लगता सीने से लगा लो न पापा
मम्मी तो सो गई
आप ही थपकी देकर सुलाओ न पापा
स्कूल तो पूरी हो गई
अब कॉलेज जाने दो न पापा
पाल पोस कर बड़ा किया
अब जुदा तो मत करो न पापा
अब डोली में बिठा ही दिया तो
आंसू तो मत बहाओ न पापा
आपकी मुस्कुराहट अच्छी हैं
एक बार मुस्कुराओ न पापा
आप ने मेरी हर बात मानी
एक बात और मान जाओ न पापा
इस धरती पर बोझ नहीं मैं
दुनियां को समझाओ न पापा
5) कहती बेटी बांह पसार,
मुझे चाहिए प्यार दुलार।
बेटी की अनदेखी क्यूं,
करता निष्ठुर संसार?
सोचो जरा हमारे बिन,
बसा सकोगे घर-परिवार?
गर्भ से लेकर यौवन तक,
मुझ पर लटक रही तलवार।
मेरी व्यथा और वेदना का,
अब हो स्थाई उपचार।
दोनों आंखें एक समान,
बेटों जैसे बेटी महान !
करनी है जीवन की रक्षा,
बेटियों की करो सुरक्षा
6) घर की जान होती हैं बेटियां,
पिता का गुमान होती हैं बेटियां,
ईश्वर का आशीर्वाद होती हैं बेटियां,
यूं समझ लो कि बेमिसाल होती हैं बेटियां।
बेटों से ज्यादा वफादार होती हैं बेटियां,
मां के कामों में मददगार होती हैं बेटियां,
मां-बाप के दुःखको समझे, इतनी समझदार होती हैं बेटियां,
असीम प्यार पाने की हकदार होती हैं बेटियां।
बेटियों की आंखें कभी नम ना होने देना,
जिन्दगी में उनकी खुशियां कम ना होने देना,
बेटियों को हमेशा हौसला देना, गम ना होने देना,
बेटा-बेटी में फर्क होता है, खुद को ये भ्रम ना होने देना।
